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भारत में हुई हत्याओं के अधिकांश चर्चित मामले

October 25, 2017
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भारत में हुई हत्याओं के अधिकांश चर्चित मामले

इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए गए आरुषि तलवार के माता-पिता के बारे में, इस महीने की शुरुआत में फिर से बेगुनाही की बहस हुई और उन्हें कल जेल से रिहा कर दिया गया। अब हमें यह मान लेना चाहिए कि इस पूर्व चर्चित मामले के सभी तथ्यों पर बहस करने के बाद संदिग्धों पर थोड़ा संदेह होने के बावजूद भी रिहा करने की अनुमति प्रदान की जा सकती है। तो आइए इसी तरह के देश में होने वाले अभी तक के सबसे कुख्यात और सनसनीखेज हत्याओं के कुछ मामलों पर नजर डालते हैं-

आरुषि – हेमराज हत्याकाण्ड

वर्ष 2008 आरुषि तलवार – हेमराज हत्याकांड एक ऐसी घटना है, जिससे देश अब भी हैरान है। 14 वर्षीय आरुषि को उसके बिस्तर पर मरा हुआ पाया गया था। आरुषि के पश्चात उसके घरेलू नौकर व मुख्य संदिग्ध हेमराज को भी छत पर मरा हुआ पाया गया। इस मामले की पुलिस और सीबीआई द्वारा जाँच की गई और उस जाँच में इन हत्याओं के विपरीत निकलने वाले कुछ निष्कर्षों के कारण आरुषि के माता-पिता डॉ. राजेश और नुपूर तलवार संदेह की गिरफ्त में आ गए। आरुषि हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए हर सिद्धांत का प्रतिपालन किया गया, लेकिन अभी तक कोई निश्चित परिणाम उपलब्ध नहीं हुआ है।

शीना बोरा हत्याकांड

शीना बोरा हत्याकांड एक और ऐसा मामला है, जो पिछले कुछ सालों से राष्ट्र का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल हुआ है। वर्ष 2012 में मुंबई मेट्रो वन में काम करने वाली कार्यकारी शीना अचानक लापता हो गई। यह मामला शीना के लापता होने के लगभग 3 साल बाद सुर्खियों में आया और जिसके चलते शीना की बहन इंद्राणी मुखर्जी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार होने के बाद में पता चला कि मीडिया मुगल पीटर मुखर्जी की पत्नी इंद्राणी, शीना की बहन नहीं माँ थीं। इंद्राणी के ड्राईवर ने भी यह बात स्वीकार की है कि इंद्राणी शीना की हत्या सोची-समझी साजिश के तहत करने में कामयाब हुई थी।

सुनंदा पुष्कर

एक और अन्य मामला प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत का था और यह मामला उच्च रुपरेखा वाले लोगों के शामिल होने के कारण बेहद विवादास्पद भी रहा था। एक होटल के कमरे में सुनंदा पुष्कर की अचानक मौत होने के पीछे कई रहस्यात्मक पहलू जैसे विवाहित दंपति के बीच सार्वजनिक विवाद, राष्ट्र-विरोधी गतिविधियाँ और अन्य वैवाहिक संबंध आदि हो सकते हैं। सुनंदा पुष्कर की मृत्यु के बाद, उनके शरीर को पोस्टमार्टम के लिए एम्स अस्पताल में ले जाया गया, जहाँ यह खुलासा हुआ कि अत्यधिक मात्रा में ड्रग का सेवन करने की वजह से उनकी मौत हो गई थी और दूसरी ओर पुलिस ने यह दावा किया कि उनकी हत्या की गई है। अभी भी इस मामले के कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आए हैं।

रिजवानुर रहमान की हत्या

कोलकाता के 30 वर्षीय ग्राफिक्स डिजाइनर रिजवानुर रहमान को कोलकाता में रेलवे पटरियों के पास मृत पाया गया था। शुरूआत में, इस हत्या को आत्महत्या माना गया लेकिन बाद में यह बात प्रकाश में आई कि रहमान ने एक अमीर उद्योगपति अशोक तोडी की बेटी से गोपनीय रूप से विवाह कर लिया था। तोडी ने कथित रूप से रिजवानुर रहमान और अपनी बेटी को एक-दूसरे से अलग करने के काफी प्रयास किए थे और इसलिए इस हत्या के मामले को आत्महत्या नहीं माना जा सकता, क्योंकि तोडी पर सबूतों के साथ हेर-फेर करने और रिजवानुर रहमान को आत्महत्या करने के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था।

जेसिका लाल की हत्या

जेसिका लाल, दिल्ली में एक मॉडलिंग का काम करने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध बार में बारमेड (मधुबाला) का काम करती थीं। इनकी हत्या हरियाणा के कांग्रेस सांसद विनोद शर्मा के बेटे मनु शर्मा (उर्फ सिद्धार्थ वशिष्ठ) ने गोली मारकर की थी और उनकी हत्या का मामला उपरोक्त मामलों में से एक बन गया, क्योंकि मीडिया और जनता के दबाव ने न्याय व्यवस्था को इस मामले के दूसरे पक्ष को देखने के लिए मजबूर कर दिया था। वर्ष 1999 में, मनु शर्मा ने जेसिका लाल को गोली मारी थी, क्योंकि जेसिका लाल ने उसे और उसके दोस्तों को शराब परोसने से मना कर दिया था। शुरूआत में मनु शर्मा को जेल से बरी कर दिया गया था, लेकिन बाद में मीडिया और जनता द्वारा अत्यधिक विरोध करने के कारण, दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

निठारी सीरियल मर्डर

निठारी में हत्याओं का सिलसिला काफी समय तक चलता रहा, लेकिन वर्ष 2006 में, इन हत्याओं के मामलों का खुलासा हुआ। निठारी नामक एक स्थान के आसपास के इलाके के लगभग 50 बच्चे और युवा वयस्क लापता हो गए और व्यापारी मोनिंदर सिंह पंढेर और उनके घरेलू मददगार सुरिंदर कोली पर इन हत्याओं का आरोप लगाया गया। उनके खिलाफ अपहरण, बलात्कार, यातनाओं, हत्याओं और यहाँ तक कि नरभक्षण (अब तक 19 मृत शरीरों की खोज की जा चुकी है) आदि से संबंधित साक्ष्य मिले हैं, लेकिन ये सबूत उन्हें सजा दिलाने के लिए काफी नहीं है। ऐसे लगभग 6 से 8 मामलों में से केवल दो मामले ऐसे हुए हैं, जिनमें मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई है।

तंदूर हत्याकांड

नैना साहनी की हत्या को तंदूर हत्याकांड के नाम से जाना जाता है, इस हत्या के खुलासे से सम्पूर्ण राष्ट्र में एक प्रकार की दहशत फैल गई थी। नैना के पति सुशील शर्मा, जो एक प्रभावशाली युवा राजनीतिज्ञ (दिल्ली के युवा कांग्रेस अध्यक्ष) थे, उन्होने अपनी पत्नी को किसी और के साथ नाजायज संबंध रखने की शंका के कारण आक्रोश में आकर मार डाला। अपने इस अपराध को छिपाने के लिए नैना के शव को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट दिया और तंदूर में डालकर उन अवशेषों को नष्ट करने का प्रयास किया। पुलिस को जाँच के दौरान हत्या के इस अत्यधिक निर्दयतापूर्ण तरीके का पता चलने के कारण, सुशील शर्मा को एक अपराधी के तौर पर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

संजय और गीता चोपड़ा की हत्या

1970 के दशक के सबसे सनसनीखेज और दिलदहला देने वाले मामलों में से एक मामला गीता और संजय चोपड़ा के अपहरण का था, जिनका अपहरण कुलजीत सिंह (उर्फ रंगा) और जसबीर सिंह (उर्फ बिल्ला) के द्वारा किया गया था। दिल्ली के एक संपन्न इलाके से चोपड़ा के दोनों बच्चों (दोनों किशोर) को फिरौती के लिए अपहरण किया गया, लेकिन बाद में उनकी निर्दयतापूर्ण तरीके से हत्या कर दी गई। इस मामले की जाँच लंबे समय तक जारी रही, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस द्वारा उन अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में उन्हें उनके अपराध के लिए मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई।