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निपाह वायरस : संक्रामक और लाइलाज

May 22, 2018
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निपाह वायरस : संक्रामक और लाइलाज

केरल में संक्रामक “निपाह वायरस” के अचानक प्रकोप ने इस जानलेवा बीमारी की तरफ हर किसी का ध्यान आकर्षित किया है। अभी तक इस वायरस से 11 लोगों की जान जा चुकी है और अभी भी जानें जा रही हैं साथ ही कई लोगों की हालत गंभीर है, यह वायरस पूरे राज्य में आतंक की तरह फैल रहा है।

कोझिकोड शहर से लगभग 40 कि.मी. की दूरी पर स्थित पेरम्बलुर, इस जानलेवा निपाह वायरस के फैलने का मुख्य केंद्र है। ऐसा पहली बार हुआ है कि इस वायरस से इतनी अधिक मृत्यु हुई है और मुख्य रूप से चमगादड़, सूअरों और अन्य जानवरों के माध्यम से फैलता है, राज्य ने इस बात का पता लगाया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस वायरस के प्रकोप से पीड़ित राज्य की मदद के लिए विशेषज्ञों की एक टीम को तुरंत भेजा है। घातक वायरस को रोकने के लिए सरकारी के साथ-साथ निजी अस्पतालों में भी अलग-अलग वार्ड स्थापित किए जाएंगे।

आप सभी को इस वायरस के बारे में जानने की आवश्यकता है:       

निपाह वायरस के बारे में  

निपाह वायरस (एनआईवी) का संक्रमण एक नव उभरती महामारी है, यह जानवरों से मनुष्यों के अंदर पहुँचता है जो कि पशुओं और मनुष्यों दोनों में गंभीर बीमारियां उत्पन्न करने का कारण बनते हैं। प्राकृतिक मेजबान पटरोपोडिडे परिवार का फ्रूट बैट प्रजाति के चमगादड़ है इसके साथ-साथ पटरोपस जीन्स का सूअर जैसे अन्य जानवर भी वायरस फैलता है। फ्रूट बैट प्रजाति के चमगादड़ और संक्रमित सूअरों के मलत्याग या स्राव के सीधे संपर्क में आने के बाद मनुष्य इस घातक वायरस से संक्रमित हो जाते हैं। यह वायरस विश्व स्वास्थ्य संगठन (ओआईई) में स्थलीय पशु स्वास्थ्य संहिता में दर्ज किया गया है और इस वायरस की ओआईई (स्थलीय पशु स्वास्थ्य संहिता) को सूचना दी जानी चाहिए।

निपाह वायरस का इतिहास

मलेशिया और सिंगापुर: निपाह वायरस संक्रामक बीमारी के रूप में सबसे पहले 1998 और 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में फैला था। दिमागी बुखार फैलने के बाद 1998 में पहली बार मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह गाँव के लोग इस वायरस से संक्रमित हुये थे। सार्वजनिक रूप से, इस वायरस का संक्रमण पहली बार तब फैला जब मलेशियाई खेतों में सूअर, चमगादड़ों का आगमन हुआ, क्योंकि वनों की कटाई के कारण इन जानवरों ने अपने घर खो दिये थे। सूअरों के अलावा, कुत्ते, बिल्लियां, बकरियां, घोड़ें और भेड़ सहित घरेलू जानवर भी इस घातक वायरस से प्रभावित हुए थे।

बांग्लादेश: 2004 में, बांग्लादेश के निवासी हाथों से बना हुआ ताजा खजूर का रस पीने के बाद निपाह वायरस से संक्रमित हो गए, जो फ्रूट बैट प्रजाति के चमगादड़ों से खजूर संक्रमित हो गए थे। मनुष्यों में एक बड़े पैमाने पर इस वायरस के व्यापक संचरण का पता चला था जिसे भारत में अस्पताल के दस्तावेजों में भी दर्ज किया गया।

निपाह वायरस संचरण

हवा के माध्यम से इस वायरस का संचरण संभव नहीं है। यह संक्रामक वायरस केवल संक्रमित चमगादड़, सूअर, या अन्य एनवीवी संक्रमित लोगों से सीधे संपर्क के माध्यम से फैल सकता है। लोगों को यह भी चेतावनी दी गई है कि उन्हें जमीन पर गिरने वाले किसी भी फल का उपयोग नहीं करना चाहिए।

निपाह वायरस के लक्षण

मनुष्यों में इस वायरस के संक्रमण से बुखार, सिरदर्द, सुस्ती, बैचेनी, मानसिक भ्रम, कोमा और शायद मौत तक हो सकती है। इस बीमारी की शुरुआत में सांस लेने में कठिनाई, सिर में लगातार दर्द और तेज बुखार और दिमागी बुखार आता है। संक्रमित लोगों की मृत्यु दर 74.5 प्रतिशत है। इस वायरस के लक्षण 1-2 सप्ताह तक दिखाई देते हैं।

निपाह वायरस का उपचार

इस बीमारी से संक्रमित होने वाले मनुष्यों या जानवरों के इलाज के लिए कोई टीका या दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। उपचार का एकमात्र साधन सहायक दवाएं और अत्याधिक देखभाल है।

निपाह वायरस की रोकथाम

निपाह वायरस से होने वाला संक्रमण केवल स्थानिक क्षेत्रों में बीमार सूअरों और चमगादड़ों के प्रत्यक्ष संपर्क को रोकने से रोका जा सकता है, हाथों से बने कच्चे खजूर का रस पीने से बचें और पेड़ों से गिरने वाले फलों को न खाएं।

वायरस से संक्रमित रक्त, साथ ही साथ बूचड़खानों (सूअरों के मामले में) के प्रयोगशाला के नमूने को जमा करने और निगरानी के दौरान भी अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए।

सारांश
लेख का नाम  –  निपाह वायरसः संक्रामक और लाइलाज

लेखिका  –  साक्षी एकावड़े

विवरण  –  अत्यधिक संक्रामक और जानलेवा निपाह वायरस के बारे में और अधिक जानें, जिसने पूरे केरल में आतंक फैलाया हुआ है।