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प्लास्टिक प्रदूषण: पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा

December 23, 2017
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प्लास्टिक प्रदूषण

प्लास्टिक एक आवश्यक नुकसानदायक पदार्थ है। आप शायद ही इससे दूर रह सकें। हर साल पृथ्वी के परिमंड़ल से चार गुना प्लास्टिक नष्ट की जाती है। संयोग से हर दिन हम विभिन्न तरह की प्लास्टिक वस्तुओं का उपयोग करते हैं जैसे- कूड़ादान, किराना बैग, बोतलें, खाद्य कंटेनर, कंप्यूटर कीबोर्ड, प्लास्टिक माउस, कॉफी कप आदि। प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग करना बहुत ही सुविधाजनक है, परन्तु प्लास्टिक पर्यावरण को प्रदूषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वर्ष 2000 तक, प्लास्टिक की मात्रा का उत्पादन जो कि इस सदी के पहले दशक में निर्मित प्लास्टिक की तुलना में बहुत कम था, लेकिन कहाँ सारी प्लास्टिक जा रही हैं? आपको यह जानकर बहुत ही आश्चर्य होगा कि अरबों टन प्लास्टिक का निपटान दुनिया भर के महासागरों में किया जा रहा है। फेंके गए प्लास्टिक उत्पाद ध्रुवीय अक्षांशों में भी पाये जा सकते हैं।

वास्तव में समुद्र का प्रदूषण भूमि से शुरू होता है और यह हवा और बारिश द्वारा समुद्र तक पहुँचता है। पानी में प्लास्टिक जमा हो जाती है और इसे नष्ट करने के लिए हजारों साल लग जाते हैं। एक नए अध्ययन के अनुसार, हमारे महासागरों में हर साल लगभग आठ लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक का निपटान किया जा रहा है। हालांकि, यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो यह आँकड़ा अगले दस वर्षों में दस गुना बढ़ जाएगा। प्लास्टिक का कचरा आसानी से लंबी दूरी तक पहुँच सकता है, क्योंकि इसका घनत्व कम होता है। प्लास्टिक एक पास संग्रहित और इकट्ठा होकर प्रवाह के द्वारा घूमते हुए समुद्र में पहुँच जाती है। प्लास्टिक के एक विशाल द्वीप के रूप में यह कचरा समुद्र में विलय हो जाता है जहां धाराएं एकजुट होती हैं। इसका एक उदाहरण ग्रेट प्रशांत कूड़ा पैच है। मध्य उत्तर प्रशांत महासागर में स्थित यह टेक्सास के आकार का दोगुना है। कचरा पैच भारतीय और अटलांटिक महासागर में भी देखा जा सकता है और अब तक पांच पैच की खोज की जा चुकी है। मछली और अन्य समुद्री जानवर अपने भोजन के लिए सतह पर तैरते छोटे कणों को गलती से खा लेते है।

महासागरों में प्लास्टिक के विषाक्त स्रोत

महासागरों में लगभग 20% प्लास्टिक आमतौर पर जहाजों और प्लेटफार्मों से आती है, जो अपतटीय होती है। बाकी कचरा हवा द्वारा समुद्र में पहुँच जाता है, कुछ समुद्री तरंगें कचरे को समुद्र की गहरायी में ले जाती हैं। इन दिनों जानबूझकर कचरे का निपटान अधिक मात्रा में किया जा रहा है। उन्हें नष्ट करने वाले समुद्री जानवर भोजन के लिए प्लास्टिक के छोटे कणों का उपभोग करते हैं। हर साल 10 लाख समुद्री पक्षी, 100,000 स्तनधारी एवं अन्य समुद्री जानवर प्लास्टिक खाकर या प्लास्टिक में फंसकर मर जाते हैं।

भारी कीमत चुका रहे हैं वन्यजीव

प्लास्टिक को पानी में फेंकने से प्लास्टिक में पाये जाने वाले रसायन मछलियों और वातावरण को दूषित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्लास्टिक रसायन खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर रहा है। उत्तर प्रशांत महासागर में प्रतिवर्ष लगभग 12,000 से 24,000 टन मछलियों की मृत्यु प्लास्टिक निगलने के कारण होती है। समुद्री कछुए भी तैरती हुई प्लास्टिक थैलियों को भोजन के रूप में गलती से खा लेते हैं, जिससे प्लास्टिक पेट में अन्दर जाकर रुक जाती है, जिस कारण अल्सर और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है। तैरते प्लास्टिक के कारण, समुद्री पक्षी भोजन का कम उपयोग करते हैं क्योंकि पेट की भंडारण क्षमता कम हो रही है और परिणामस्वरूप वे भूखे रहते हैं। हवाइन मंक सील की तरह समुद्री जीव (जो विलुप्त होने की कगार पर हैं) और स्टैलर सी लायन जैसे जीव प्लास्टिक में फंसे हुए हैं।

प्लास्टिक के कारण मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाला दुष्प्रभाव

प्लास्टिक प्रदूषण न केवल समुद्री जीवन के लिए बल्कि मानव के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। पीसीबी, डीडीटी और पीएएच जैसे हानिकारक रसायन, जो समुद्र के पानी में प्लास्टिक मलबे में तैरते हुई अवशोषित हो जाते हैं, जिससे अंतः स्रावी विकार जैसे बुरे और हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। खाद्य श्रृंखला में विषाक्त पदार्थ स्थानांतरित हो रहें हैं क्योंकि जानवरों द्वारा प्लास्टिक के टुकड़े खाने के बाद वे उनके शरीर में अवशोषित हो जाते हैं। मनुष्य इन दूषित मछलियों और स्तनधारियों का सेवन करते हैं। प्लास्टिक प्रदूषण वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रहा है, यह जलीय कृषि उद्योगों जैसे मछली पालन को नष्ट कर रहा है। इसके अलावा, पर्यटन उद्योग को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रहा है, क्योंकि समुद्र तटों और महासागरों की भूमि को कचरे के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक एक्ड स्टेनर के अनुसार, “समुद्री मलबे – हमारे महासागरों में जमा कचरा – हमारे घृणित समाज का एक लक्षण है और हमारे समाज का दृष्टिकोण यह है कि हमें प्राकृतिक संसाधनों का दुरूपयोग कैसे करना है।” औसतन यह पाया गया है कि व्यक्ति हर रोज प्लास्टिक कचरे के आधे पौंड का उत्पादन करता है। तो, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि महासागर प्लास्टिक के मलबे के साथ क्यों भरे हुए हैं। यही समय है कि सरकार नियंत्रण से बाहर निकलने से पहले समस्याओं पर काबू पाने के लिए कड़े कदम उठाए।

 

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