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प्रधानमंत्री अनुसंधान अध्येता (पीएमआरएफ) योजना

February 14, 2018
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प्रधानमंत्री अनुसंधान अध्येता (पीएमआरएफ) योजना

प्रधानमंत्री अनुसंधान अध्येता (पीएमआरएफ) योजना

सरकार ने हाल ही में एक नई योजना को मंजूरी दी है, जिसका लक्ष्य देश में अनुसंधान (रिसर्च) को बढ़ावा देना है। प्रधानमंत्री की अनुसंधान अध्येता (पीएमआरएफ) योजना की घोषणा 1 फरवरी को केंद्रीय बजट में की गई थी और 7 फरवरी को इसको मंजूरी मिल गई थी।

योजना की विशेषताएं

1,650 करोड़ रुपये की मंजूरी वाली इस योजना में कुल 3,000 छात्रों को शामिल किया जाएगा, जिसमें इनका चयन वर्ष 2018-19 की शुरुआत से तीन साल की अवधि के लिए किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत बी.टेक, समेकित एम.टेक या आईआईएससी, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएसईआर सहित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विषयों में बी.टेक अथवा समेकित एम.टेक अथवा एमएससी उत्तीर्ण करने वाले और अंतिम वर्ष के देश के 1000 सर्वश्रेष्ठ छात्रों  को आईआईटी तथा आईआईएससी के पीएचडी कार्यक्रम में सीधा प्रवेश दिया जाएगा।

अस्थाई मुआवजा (फेलोशिप)

अध्ययन की कुल अवधि पाँच वर्ष है। पहले और दूसरे वर्ष के दौरान, चयनित छात्रों को प्रति माह 70,000 रुपये का मुआवजा मिलेगा। तीसरे वर्ष में मुआवजे की रकम बढ़कर 75,000 रुपये हो जाएगी, जबकि चौथे और पाँचवें वर्ष में छात्रों को प्रति माह 80,000 रुपये का मुआवजा प्रदान किया जाएगा। अन्य मौद्रिक लाभों में प्रति छात्र दो लाख रुपये का शोध अनुदान शामिल है। यह अनुदान छात्रों को विदेशी यात्रा के खर्चों को पूरा करने में सक्षम करेगा, जो उन्हें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और सेमिनारों पर अपने शोध पत्र को प्रस्तुत करने के लिए करना होगा।

नई योजना भारत के विकास में कैसे मदद करेगी?

देश के समग्र आर्थिक और सामाजिक विकास में अनुसंधान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। देश के 3,000 चयनित छात्र दूध से निकाली गई मलाई की तरह होंगे, जो अनुदान मिलने के कारण विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में अपना बेहद योगदान देंगे। यह योजना देश में अनुसंधान और विकास की गुणवत्ता को प्रोत्साहन देगा तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान कर रहे होनहारों की प्रतिभा को और निखारेगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने योजना पर टिप्पणी करते हुए कहा, कि प्रधानमंत्री शोध अध्येता योजना प्रतिभाओं के पलायन को रोकेगी और छात्रों की मानसिकता को भी बदलेगी।

इस तरह की योजनाएं बेहद फायदेमंद हैं, क्योंकि यह योजनाएं प्रतिभा पलायन को कम करती हैं तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास-क्षेत्र को प्रोत्साहित करती हैं, जिसके फलस्वरूप देश के विकास में भी योगदान होता है।