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भारतीय युवा द्वारा सामना की जाने वाली समस्याएं

December 20, 2017
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भारतीय युवा द्वारा सामना की जाने वाली समस्याएं

भारत में लगभग 60 करोड़ आबादी 25 वर्ष से कम उम्र की है और कुल आबादी में लगभग 70% आबादी 40 वर्ष से कम उम्र की है। लगभग 40% भारतीय आबादी की आयु 13 से 35 साल के बीच है, जिसे राष्ट्रीय युवा नीति के अनुसार युवाओं के रूप में परिभाषित किया गया है। युवाओं की इतनी बड़ी असाधारण आबादी भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में है। अगर जनसांख्यिकीय लाभांश का ठीक प्रकार से इस्तेमाल नहीं किया गया, तो इसके परिणामस्वरूप भारत में जनसांख्यिकीय आपदा हो सकती है। युवा तो सही रास्ते पर नहीं ही रहेंगे।

इसके अलावा, अगर हम देश की औसत आयु और हमारे नेताओं की औसत आयु की तुलना करें, तो यह स्पष्ट होता है कि देश की औसत आयु 25 वर्ष है जबकि हमारे कैबिनेट मंत्रियों की औसत आयु 65 वर्ष है। इसी वजह से उम्र में एक अंतर मौजूद है, जो एक-दूसरे के विचारों के बीच अंतर को जन्म देता है। भारत में यह अंतर किसी भी अन्य देश में अंतराल की तुलना में अधिक व्यापक है, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका में यह अंतर 23 वर्षों का है, जबकि जर्मनी में अंतर 10 वर्षों से कम है। इतिहास से पता चलता है कि ऐसी परिस्थिति में जहाँ इस तरह के व्यापक अंतर मौजूद हैं और अधिकांश आबादी युवाओं की है, तो निश्चित रूप से देश में एक या एक से अधिक राजनैतिक गतिविधियों की अगुवाई युवा करते हैं। यह अमेरिका में नागरिक अधिकार आंदोलन और नस्लीय भेदभाव क्रांति के समय देखा गया था, जो अमेरिका के बेबी बूमर्स के दौरान हुआ था, जब 1946 और 1964 के बीच 79 लाख लोग पैदा हुए थे। यहाँ तक कि अगर आप भारत के इतिहास की जाँच कर रहे हैं, तो यह भी स्पष्ट हो जाता है कि युवा एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं, हमारे सभी स्वतंत्रता सेनानी लगभग युवा ही थे, जिनके संघर्ष के परिणाम स्वरूप हमारा देश आजाद हुआ।

लेकिन आज के युवाओं के बीच इस उत्साह की कमी के कारण कहीं न कहीं हताशा और उत्साह की कमी बढ़ रही है। इसका कारण प्रतिस्पर्धा, बेरोजगारी, नौकरी कौशल और कौशल आधारित नौकरी की कमी और अनावश्यक बोझ हो सकता है। वर्तमान में भारतीय युवा नौकरी पाने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में बढ़ते दबाव का सामना कर रहे हैं।

आने वाले दशक में, यह उम्मीद की जा रही है कि भारतीय श्रम प्रति वर्ष 80 लाख से भी अधिक बढ़ेगा। अधिक से अधिक युवा श्रम बाजार में प्रवेश करेंगे, इसलिए नीति निर्माताओं के सामने असली चुनौती इन शिक्षित कर्मचारियों के लिए बाजार में पर्याप्त रोजगार पैदा करना है ताकि युवा और राष्ट्र को निर्देशित किया जा सके।

आज के युवाओं के लिए चिंता के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्र

शिक्षा: भारत में आज के युवाओं का सबसे महत्वपूर्ण विषय शिक्षा है। भारतीय युवा बेहतर शिक्षा, रोजगार संचालित प्रशिक्षण और उज्जवल भविष्य की माँग करते हैं। युवा भी चाहते हैं कि कौशल आधारित शिक्षा और नौकरी की नियुक्ति हर उच्च संस्था का एक हिस्सा होना चाहिए। वास्तविक जीवन परिदृश्य के साथ सिर्फ किताबों की बजाय, कैरियर उन्मुख पाठ्यक्रमों पर और अधिक जोर दिया जाना चाहिए। गैर-शहरी सेटिंग से युवाओं में आमतौर पर अच्छे संचार कौशल का अभाव है। यह भी प्रमुख चिंताओं में से एक है क्योंकि यह नौकरी और प्रगति के रास्ते में एक बाधा के रूप में कार्य करता है।

नौकरी: भारत में युवा बेरोजगारी बढ़ रही है। विश्व विकास रिपोर्ट 2013 के अनुसार, 15 से 24 वर्ष के बीच 9% पुरुष और 11% महिलाएँ बेरोजगार हैं। 2009-10 के आँकड़ों के अनुसार भारत में 9.7% युवा पुरुषों और 18.7% युवा महिलाएँ बेरोजगार थे। वैश्विक स्तर पर, बेरोजगार युवाओं की संभावना वयस्कों की तुलना में तीन गुना अधिक है। ग्लोबल वित्तीय संकट ने पहले तो युवाओं को चोट पहुँचाई इसके बाद वयस्कों को।एनएसएसओ के सर्वेक्षण के अनुसार, अशिक्षित युवाओं की तुलना में शिक्षित युवा अधिक बेरोजगार है। क्योंकि अशिक्षित युवा सभी तरह के काम करने को तैयार हैं, जबकि शिक्षित लोग अपने से संबंधित क्षेत्र में नौकरियों की तलाश करते हैं। स्नातक युवा जिनके लिए नौकरी पाने के अवसर ज्यादा रहते हैं, इसके बावजूद वही सबसे ज्यादा परेशान हैं।

भ्रष्टाचारः आज के युवा भ्रष्टाचार के मुद्दे से ज्यादा चिंतित हैं और यही वजह है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के अभियान में हालिया प्रदर्शनकारियों में से अधिकांश भारतीय युवा ही थे। श्री रतन टाटा ने एक बार कहा, “आज के युवाओं को यह पहचानने की आवश्यकता होगी कि वे एक बड़ी जिम्मेदारी को अपने कंधे पर लें, यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी व्यक्ति कानून के ऊपर नहीं है और सांप्रदायिक या भौगोलिक गुटों के बजाय भारत के नागरिकों को ‘भारत पहल’ के रूप में एकजुट होकर भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए लड़ने की आवश्यकता होगी। “हालंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना हर नागरिक की जिम्मेदारी है, लेकिन अपने सदाचार और ऊर्जा के आधार पर युवा इसमें सबसे अधिक भाग लेते हैं। भ्रष्टाचार देश से बाहर होना चाहिए। भारत में युवाओं को पता होना चाहिए कि वे क्या चाहते हैं और कैसा चाहते हैं क्योंकि समाज में सभी अच्छे और बुरे लोग मौजूद हैं। आज हम सफलता के मामले में सबसे ज्यादा निर्भर पैसों पर हैं। लेकिन सफलता इस से ज्यादा है। युवाओं को अपने रोल मॉडल से प्रेरणा और गर्व से जीवन जीना चाहिए।

शुरुआत से ही युवा को निडर होकर बात करनी होगी कि वे अपने कैरियर और जीवन के बारे में समझौता नहीं करेगें और नैतिक मूल्यों का पालन करेगें। आप ईमानदारी दिखाएं, भले ही आप पर सवाल उठाए जा रहे हों या नहीं। आप जो कुछ भी करते हैं उसमें निष्पक्षता और पारदर्शिता दिखाएं। इससे आप में और आपके परिवेश में बदलाव आएगा।