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गुजरात में रो-रो फेरी सेवा का शुभारंभ

October 26, 2017
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गुजरात में रो-रो फेरी सेवा का शुभारंभ

गुजरात विधानसभा चुनावों के ठीक पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 22 अक्टूबर 2017 को घोघा और दहेज के बीच गुजरात में ‘रोल-ऑन, रोल-ऑफ’ (रो-रो) फेरी सेवा के पहले चरण का उद्घाटन किया। दक्षिण पूर्वी एशिया में इस विश्वस्तरीय रो-रो फेरी सेवा का आयोजन पहली बार हुआ है। यह सेवा इन दोनों स्थानों के बीच की 360 किमी की दूरी को, सिर्फ 31 किलोमीटर की दूरी में तब्दील कर देगी। परंपरागत रूप से कारों व वाहनों से लोगों को सौराष्ट्र (भावनगर जिले) और दक्षिण गुजरात (भरूच जिले) के इन दोनों बंदरगाहों के बीच की दूरी को तय करने में लगभग 8 घंटे का समय लगता था, इस रो-रो फेरी सेवा की शुरूआत के साथ यात्रा का समय सिर्फ 1 घंटा ही रह जाएगा। उद्घाटन के अवसर पर, प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया कि “इसका उद्घाटन गुजरात की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण है”।

रो-रो फेरी क्या है?

रो-रो फेरी, दो या दो से अधिक बंदरगाहों को जोड़ने वाली एक जहाज (नौका) सेवा है, जो कारों और अन्य भारी वाहनों जैसे ट्रकों, रेल के डिब्बों और ट्रेलरों सहित यात्रियों को ले जाने में सक्षम है। आमतौर पर माल ले जाने वाले वाहन इन फेरी नौकाओं में सुगमता से संचालित किए जा सकते हैं और उन्हें परिवहन के बाद संचालन से हटाया जा सकता है। यूरोप और अमेरिका के कई हिस्सों में इसी तरह की रो-रो सेवाओं का भारी तादात में उपयोग किया जाता है।

गुजरात में विकास को बढ़ावा देना

“यह घोघा और दहेज के बीच एक परियोजना होने के साथ-साथ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए महत्वपूर्ण परियोजना मानी जा रही है। प्रधानमंत्री ने गुजरात में रो-रो फेरी सेवा के शुभारंभ में कहा कि फेरी एक नए प्रकार की सेवा है।”

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गुजरात में रो-रो फेरी सेवा को हरी झंडी दिखा दी गई है और यह सेवा 250 यात्रियों, कारों और ट्रकों जैसे कुछ 100 वाहनों को एक साथ ले जाने में सक्षम है। यह सेवा राज्य के उद्योगों के विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ ईंधन खपत को कम करने और इन दोनों बंदरगाहों के बीच आने वाले वाहनों से होने वाले कार्बनिक प्रदूषण को कम करने में अहम भूमिका निभाएगी।

यह परियोजना का पहला चरण है और सरकार ने रो-रो फेरी सेवा के माध्यम से अन्य बंदरगाहों को जोड़ने की भी योजना बनाई है। इस परियोजना को आंशिक रूप से गुजरात सरकार द्वारा और सागरमाला परियोजना को आंशिक रूप से केन्द्र द्वारा वित्त पोषित किए जाने की संभावना है। इस परियोजना के लिए कुल निधि 614 करोड़ रुपए आवंटित की गई है, जिसमें 117 करोड़ रुपए नदी के तल से मिट्टी निकालने के लिए और खंभात की खाड़ी से तलछट हटाने के लिए निर्धारित किए गए हैं। इस परियोजना की रूपरेखा वर्ष 2011 में गुजरात सरकार द्वारा एस्सार समूह के इंजीनियरिंग विभाग के साथ गठित की गई थी।

केंद्र सरकार, भारत के समुद्री व्यापार को बढ़ाने के लिए देश के 7,500 किलोमीटर लंबे समुद्र के तट पर बंदरगाहों को विकसित करने की योजना बना रही है।

प्रधानमंत्री आलोचनाओं के घेरे में

प्रधानमंत्री ने दावा किया है कि घोघा और दहेज से संबंधित रो-रो फेरी सेवा का शुभारंभ उपमहाद्वीप में पहली बार हुआ है, इसलिए काफी आलोचनाएं भी हुई हैं। आलोचकों ने दावा किया है कि वर्तमान में इसी तरह की रो-रो फेरी सेवाओं का उपयोग देश भर में कई बंदरगाहों और निश्चित रूप से दक्षिण पूर्व एशिया में किया जा रहा है। हालाँकि, भारत में घोघा-दहेज वाहनों और यात्रियों दोनों को यात्रा कराने वाली पहली सेवा हो सकती है। आलोचकों ने फिलीपींस को भारी तादात में रो-रो फेरी सेवाओं का उपयोग करने वाला एक दक्षिण पूर्व एशियाई देश कहा है। समाचार रिपोर्टों ने दावा किया है कि देश में अंतर्राष्ट्रीय रो-रो फेरी सेवाएं परिचालित की जा रही हैं। हालाँकि, यह सेवा पूर्ण रूप से स्वदेशी नहीं हो सकती है लेकिन इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की संभावना की जा सकती है।

रो-रो फेरी सेवाओं का शुभारंभ गुजरात और केंद्र की सत्ता संभालने वाली भाजपा के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। आगामी विधानसभा चुनावों में यह उपलब्धि पार्टी को हाइलाइट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस साल गुजरात राज्य विधान सभा चुनाव 9 से 14 दिसम्बर के बीच आयोजित किए जा रहे हैं।