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भारत में सौर ऊर्जा के फायदे, नुकसान और भविष्य

October 26, 2017
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भारत में सौर ऊर्जा

भारत, एक अरब से अधिक लोगों की जनसंख्या के साथ-साथ तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था और विशाल मात्रा में ऊर्जा की आपूर्ति जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। भारत का दुनिया भर में बिजली का उत्पादन और खपत के मामले में पाँचवां स्थान है। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में बिजली उत्पादन के क्षेत्र में काफी विस्तार किया है, लेकिन हम इस तथ्य से भी इनकार नहीं कर सकते हैं कि देश की आबादी में तेजी से वृद्धि हो रही है। देश में अधिकांश बिजली (लगभग 53 प्रतिशत) का उत्पादन कोयले से होता है और जिसके चलते यह भविष्यवाणी की गई है कि वर्ष 2040-50 के बाद देश में कोयले के भंडार समाप्त हो जाएंगे। भारत की लगभग 72% से अधिक आबादी गाँवों में निवास करती है और इनमें से कुछ गाँव ऐसे भी हैं, जो आज भी बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। यह देश को ऊर्जा की योग्यता, संरक्षण और ऊर्जा के नवीन स्त्रोतों पर ध्यान देने का उचित समय है। सौर ऊर्जा, भारत में ऊर्जा की आवश्यकताओं की बढ़ती माँग को पूरा करने का सबसे अच्छा तरीका है।

भारत में सौर ऊर्जा

भारत सौर ऊर्जा का उत्पादन करने में काफी सक्षम है। देश की भौगोलिक स्थिति, लाभप्रद सौर ऊर्जा का उत्पादन करने की प्रतीक है। इसका कारण यह भी है कि भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है और भारत लगभग पूरे वर्ष 3,000 घंटो की धूप के बराबर सूर्य का प्रकाश प्राप्त करने में सफल है। अगर हम इतनी धूप को बिजली में परिवर्तित करें, तो यह लगभग 50,000 खरब किलोवाट के बराबर है। भारत के लगभग सभी प्रति वर्ग मीटर के हिस्से में, प्रति घंटे 4 से 7 किलोवाट की औसत से सूर्य का प्रकाश प्राप्त होता है। भारत में प्रति वर्ष लगभग 2,300 से 3,200 घंटे धूप निकलती है। भारत के आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल आदि जैसे कुछ राज्यों में उनके स्थान के कारण सौर ऊर्जा को दोहन करने की बहुत अधिक संभावनाएं हैं। चूँकि देश की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण इलाकों में निवास करती है, इसलिए इन क्षेत्रों में सौर ऊर्जा को अपनाने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग सौर ऊर्जा का उपयोग करके लकड़ी और गोबर के उपलों से निजात पा सकते हैं।

भारत में सौर ऊर्जा के लाभ

सौर ऊर्जा अपने कुछ फायदों के कारण भारत के लिए अधिक उपयुक्त है, जो निम्न हैं:

  • यह ऊर्जा का एक अतुलनीय स्रोत होने के साथ-साथ भारत की अन्य गैर-परंपरागत ऊर्जाओं में सबसे बेहतरीन विकल्पों में से एक है।
  • सौर ऊर्जा पर्यावरण के अनुकूल है। जब हम इसका उपयोग करते हैं, तो यह हवा को प्रदूषित करने वाली सीओ 2 और अन्य गैसों को मुक्त नहीं करता है। इसलिए यह भारत के लिए बहुत उपयुक्त है, क्योंकि भारत दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित देशों में से एक है।
  • भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अत्यधिक सुविधाजनक सौर ऊर्जा का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों जैसे गर्म करने, सुखाने, खाना पकाने या बिजली के लिए किया जा सकता है। सौर ऊर्जा कई मामलों में शहरी आबादी के लिए भी उपयुक्त है और इसका कारों, विमानों, अधिक विद्धुत खपत करने वाली नावों, उपग्रहों, कैलकुलेटर और अन्य कई वस्तुओं में भी उपयोग किया जा सकता है।
  • सौर ऊर्जा की शक्ति अतुलनीय है। भारत जैसे ऊर्जा की कमी वाले देश में जहाँ बिजली का उत्पादन अत्यधिक महँगा है वहाँ पर सौर ऊर्जा, बिजली उत्पादन के लिए एक सर्वोत्तम विकल्प माना जाता है।
  • सौर ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए आपको बिजली या गैस ग्रिड की आवश्यकता नहीं होती है। एक सौर ऊर्जा निकाय को कहीं भी स्थापित किया जा सकता है। सौर उर्जा के पैनलों (सौर ऊर्जा की प्लेट) को आसानी से घरों में कहीं पर भी रखा जा सकता है। इसलिए, ऊर्जा के अन्य स्रोतों की तुलना में यह काफी सस्ता है।

भारत में सौर ऊर्जा के नुकसान

  • हम सौर ऊर्जा से रात के समय ऊर्जा नहीं उत्पन्न कर सकते हैं।
  • दिन के समय में मौसम खराब होने पर या बारिश होने पर सूर्य की उपस्थित के बिना ऊर्जा उत्पन्न करना संभव नहीं है। इसलिए यह सौर ऊर्जा पैनल एक समाधान के रूप में ज्यादा विश्वसनीय नहीं है।
  • केवल वही क्षेत्र सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं, जहाँ सूर्य का प्रकाश अच्छी मात्रा में उपलब्ध होता हैं।
  • सौर पैनलों की ऊर्जा को संचित करने के लिए इन्वर्टर और बैटरी की आवश्यकता होती है, ताकि बिजली पैदा करने के लिए बैटरी में संचित ऊर्जा को वैकल्पिक बिजली में बदला जा सके। अन्य दूसरे विद्युत उपकरणों को स्थापित करने की अपेक्षा एक सौर पैनल स्थापित करना काफी सस्ता है।
  • सौर पैनल के साथ एक सौर संयंत्र स्थापित करने के लिए काफी जगह की आवश्कता होती है और यह जगह कई वर्षों तक आच्छादित रहती है जिसके कारण अन्य उद्देश्यों के लिए इस जगह का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
  • ऊर्जा के अन्य साधनों की अपेक्षा सौर ऊर्जा का उत्पादन काफी कम है।
  • सौर पैनलों के लिए पर्याप्त संरक्षण की आवश्यकता होती है, क्योंकि वे अत्यन्त नाजुक होते हैं और आसानी से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इसलिए इसके बीमा जैसे अतिरिक्त खर्च को भी झेलना पड़ता है।

भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य

भारत ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कई बड़ी परियोजनाएं प्रस्तावित की हैं।

  • थार रेगिस्तान में भारत की सबसे बेहतरीन सौर ऊर्जा परियोजनाएं हैं, जो लगभग 700 से 2,100 गीगावॉट ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम हैं।
  • 1 मार्च 2014 को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के नीमच जिले के दीकन में, भारत के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया था।
  • केन्द्र सरकार द्वारा चलाए जाने वाले जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन में वर्ष 2022 तक 20,000 मेगावाट सौर ऊर्जा शक्ति उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • गुजरात के सौर ऊर्जा अनुसंधान का लक्ष्य 1000 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन करना है।
  • जुलाई 2009 में 19 अरब डॉलर की सौर ऊर्जा योजना का अनावरण किया गया था, जिसमें वर्ष 2020 तक 20 गीगावॉट सौर ऊर्जा के उत्पादन का अनुमान लगाया गया है।
  • ग्रामीण इलाकों में सौर लालटेन, स्ट्रीट लाइट सिस्टम और सौर जल पंपों आदि जैसे विभिन्न उपयोगों के लिए लगभग 66 मेगावॉट सौर ऊर्जा का निर्धारण किया गया है।

सौर नीतियों, परियोजनाओं और राष्ट्रीय सौर मिशन के कारण भारत धीरे-धीरे राज्य और केंद्र में व्यापक और महत्वाकांक्षी सौर ऊर्जा के उत्पादन में अपनी प्रमुखता दर्ज करवा रहा है। वर्ष 2014 के नवीनतम बजट में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने एक घोषणा की, जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार ने गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान और लद्दाख में कुछ मेगा सौर ऊर्जा संयंत्रों के विकास के लिए 500 करोड़ रुपए की राशि का प्रस्ताव किया है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में क्रमशः 74 मिलियन डॉलर और 18.5 मिलियन डॉलर की अनुमानित लागत से सौर ऊर्जा संचालित कृषि जल पम्प स्टेशन और नहर के किनारों पर 1 मेगावाट वाले सौर पार्क स्थापित किए जाएंगे। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हमारे सामने भारत की दुनियाभर में सौर ऊर्जा संचालित देश होने की एक उज्ज्वल तस्वीर है।

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