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भारत के 5 शीर्ष राजनीतिक नेताओं की हत्या

October 13, 2017
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भारत के 5 शीर्ष राजनीतिक नेताओं की हत्या

प्रसिद्ध राजनीतिक नेताओं की हत्या हमेशा कुछ धार्मिक, राजनीतिक, वैचारिक या सैन्य मामलों को उकसाने के कारण होती है, लेकिन अंतिम परिणाम यह होता है कि हम नफरत के कारण एक ऐसे व्यक्ति को खो देते है जो एक सार्वजनिक प्रशंसा, सम्मान या प्रेम का पात्र होता है। भारतीय इतिहास में, हम कई राजनीतिक व्यक्तियों के व्यक्तित्व के बारे में जानते है, जिनकी मृत्यु बीमारी या उम्र पूरी होने के कारण स्वाभाविक रूप से नहीं हुई बल्कि उनकी हत्या कर दी गई थी।

उन प्रसिद्ध राजनीतिक नेताओं की सूची नीचे दी गई है, जिनकी हत्या कर दी गई थी-

महात्मा गाँधी

  • वर्ष:- 1948
  • जगह:- नई दिल्ली
  • हत्यारा:- नाथूराम गोडसे
  • कारण:- भारत और पाकिस्तान का विभाजन

आइए हम ‘राष्ट्रपिता’ मोहनदास करमचंद गाँधी के साथ शुरूआत करते हैं। जो महात्मा गांधी के नाम से प्रसिद्ध है। उनकी हत्या 30 जनवरी 1948 को हुई थी। अजीब लेकिन सच है, इन महान व्यक्ति से हर कोई प्यार करता था और उनकी प्रशंसा करता था फिर उनकी हत्या कर दी गई। जिन्हें एक भारतीय राजनीतिक कार्यकर्ता होने के लिए जाना जाता है, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता थे, जिन्होंने अपने पूरे जीवन में शांति और अहिंसा का समर्थन किया था, जब महात्मा गांधी प्रार्थना सभा को संबोधित करने जा रहे थे तब नई दिल्ली के एक विश्वविद्यालय का सक्रिय छात्र नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को गोली मार कर हत्या कर दी। नाथूराम गोडसे एक हिन्दू राष्ट्रवादी देश भक्त थे जो हिन्दू महासभा से जुड़े थे, जिसने देश को भारत और पाकिस्तान में विभाजित करके भारत को कमजोर बनाने के लिए गांधी जी को जिम्मेदार माना था। उनकी मृत्यु से पूरी दुनिया को जबरदस्त झटका लगा था।

वह इस हिंसक की दुनिया में अहिंसा के प्रति आवाज उठाने वाले महापुरुष थे, गरीबों के मसीहा और एक शक्तिशाली व्यक्तित्व वाले इंसान थे जो आजादी के बाद भारत का चेहरा बदल सकते थे लेकिन इससे पहले दुर्भाग्यपूर्ण उनकी इस तरह से मृत्यु हो गई।

इंदिरा गांधी

  • वर्ष: 1984
  • जगह: नई दिल्ली
  • हत्यारा: दो निजी अंगरक्षक सतवंत सिंह और बेअंत सिंह
  • कारण: ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के लिए

इंदिरा गांधी का पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी है, हम उन्हें इंदिरा गाँधी के नाम से जानते हैं। वह जवाहरलाल नेहरू की बेटी थीं और हमारे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री भी थी। केवल इनको 1966-77 और 1980-84 के दौरान चार बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा प्रदान करने के लिए जाना जाता है। वह दुनिया की दूसरी महिला प्रधानमंत्री बनी और दुनिया की दूसरी सबसे लंबे समय तक देश की सेवा करने वाली महिला प्रधानमंत्री थी। प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने शासन की तरफ से देश के लोगों के हित के लिए विशेष रूप से सेवा की थीं।

ऑपरेशन ब्लू स्टार के कुछ महीनों के बाद, 31 अक्टूबर वर्ष 1984 की सुबह, इस महान महिला को सफदरजंग रोड पर उनके आवास नं-1, नई दिल्ली में उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा गोली मार दी गई थी। यह अमृतसर के हरमंदिर साहिब परिसर पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए इंदिरा गांधी द्वारा आदेशित एक सैन्य अभियान था। भारतीय सेना द्वारा किए गए इस आपरेशन से सिख समुदाय में क्रोध पैदा हो गया। इस ऑपरेशन का बदला लेने के लिए, इंदिरा गांधी को उनके ही सिख अंगरक्षक द्वारा हत्या करवा दी गई थी। उन्हें गोली मारने के बाद, अंगरक्षकों ने अपनी बंदूकें फेंक दीं। जबकि बेअंत सिंह को तुरंत मौके पर तैनात सैनिकों द्वारा मार डाला गया था और सतवंत सिंह को 1989 में फांसी दे दी गई थी।

राजीव गांधी

  • वर्ष: 1991
  • जगह: चेन्नई के निकट श्रीपेरंबदूर
  • हत्यारा: एक आत्मघाती हमलावर तीमोजी राजरत्नम
  • कारण: एलटीटीई आतंकियों से लड़ने के लिए भारतीय सेना को बदला लेने के लिए भेजना

राजीव गांधी, इंदिरा गांधी जी के सबसे बड़े बेटे और भारत के सातवें प्रधानमंत्री थे। उन्होंने अपनी मां की हत्या हो जाने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था। भाई संजय गांधी की मृत्यु के बाद, उन्हें इंदिरा गांधी की राजनीति में शामिल होने के लिए मजबूर होना पड़ा। राजनीति में शामिल होना, उनका स्वयं का निर्णय नहीं था बल्कि एक संयोग था। वह अपनी माँ की तरह एक कुशल और एक अच्छे विचार वाले नेता भी थे। उन्होंने देश के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास का समर्थन किया और सोवियत संघ के साथ संबंधों में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित किया, देश में उच्च शिक्षा के कार्यक्रम शुरू किए और इतना ही नहीं कई जगहों पर ग्रामीण लोगों की भलाई के लिए कार्यक्रम भी शुरू किए।

21 मई 1991 को चेन्नई के निकट श्रीपेरंबदूर में, जिसे धनु के नाम से जाना जाता है, आत्मघाती हमलावर तेमोजी राजरत्नम द्वारा उनकी हत्या करवा दी गई। वह श्रीलंका के आतंकवादी समूह, लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) का एक सदस्य थी, उन लोगों ने हमले की योजना बनाई और उसे तेमोजी राजरत्नम द्वारा अंजाम तक पहुँचाया था। इस हमले के पीछे का उद्देश्य यह था, श्रीलंका में एलटीटीई आतंकी संगठन से लड़ने के लिए भारत से शांति रक्षा बल भेजे गऐ थे जिसका उन लोगों ने इस तरह से बदला लिया था। उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन, राजीव गांधी जी श्रीपेरंबदुर में प्रचार कर रहे थे और उनके कई अनुयायी और शुभचिंतक उनके पास मौजूद थे। धनु नाम की एक शुभचिंतक भी उनके पास आई और उनके पैरों छूने के लिए नीचे झुकी। तुरंत उसने एक आरडीएक्स-लेडन बेल्ट से विस्फोट कर दिया। जिसमें राजीव गांधी के साथ 14 अन्य लोग भी थे जो बम के विस्फोट में मारे गए थे। उनकी हत्या भारत के लोगों के लिए एक बहुत बड़ा झटका थी।

फूलन देवी

  • वर्ष: 2001
  • जगह: दिल्ली
  • हत्यारा: शेर सिंह राणा
  • कारण: बेहमई हत्याकांड का बदला लेने के लिए

वह एक प्रसिद्ध डाकू से राजनीतिज्ञ बनी थी, जिन्होंने कुख्यात बहमई नरसंहार में 22 ठाकुर जाति के लोगों को मार डाला था। जब फूलन देवी किशोरी थी, तो इन्हीं ठाकुरों ने पूरे गांव के सामने निर्वस्त्र करके उसका बलात्कार किया था, जिसके परिणामस्वरूप उसे डकैत बनने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन नरसंहार के बाद, उसने अपने आप को आत्मसमर्पण कर दिया और उसे सजा के रूप में 11 साल तक जेल में रहना पड़ा। बाद में, वह राजनीति में शामिल हुई और समाजवादी पार्टी की एक सक्रिय सदस्य बन गई। उन्होंने 1996 में, 11वीं लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए निर्वाचन क्षेत्र मिर्जापुर का टिकट मिला और वह चुनाव जीत गई। 25 जून 2001 को उनके आधिकारिक बंगले के बाहर उनकी हत्या कर दी गई। वह उस समय संसद के पद पर कार्यरत थी। जब उन पर हत्या के उद्देश्य से गोली चलाई गई, तो वहाँ पर तीन गनमैन मौजूद थे। उन पर पांच गोलीयाँ चलाई गई और जिससे वह तुरंत मौत के आगोश में समा गई। इस हमले के मुख्य आरोपी शेर सिंह राणा थे, जिन्होंने बाद में आत्मसमर्पण कर दिया। उनके अनुसार, बेहमई हत्याकांड का बदला लेने के लिए फूलन देवी की हत्या की थी।

प्रमोद व्यंकटेश महाजन

  • वर्ष: 2006
  • जगह: मुंबई
  • हत्यारा: उनके भाई प्रवीण महाजन
  • कारण: पारिवारिक विवाद

प्रमोद महाजन भाजपा की दूसरी पीढ़ी के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक थे। वह भाजपा पार्टी के महासचिव और राज्यसभा के सदस्य भी थे और उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी जीता था। आधुनिक तरीको को अपनाते हुए भारत के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव लाने वाले प्रमोद महाजन युवा नेताओं के लीडर भी थे। वह अपने घर महाराष्ट्र राज्य में काफी लोकप्रिय थे।

22 अप्रैल 2006, भाई प्रवीण महाजन ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। उनकी हत्या का मुख्य कारण पारिवारिक विवाद था। अस्पताल में 13 दिनों के बाद, 3 मई 2006 को प्रमोद महाजन की मृत्यु हो गई। प्रवीण महाजन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

उपर्युक्त के अलावा, कई अन्य राजनीतिक नेताओं की हत्या हुई थी। जो निम्न लिखित है:

  • कांग्रेस नेता ललित माकन:- 1984 के सिख विरोधी दंगों में शामिल होने के लिए उन्होंने अपना जीवन खो दिया।
  • अब्दुल गनी लोन: वह एक वकील और प्रमुख कश्मीरी अलगाववादी थे ,जिन्होंने कश्मीर को एक स्वतंत्र राज्य बनाने के उद्देश्य से लड़े थे इसी कारण उन्हें गोली मार दी गई।
  • प्रताप सिंह कैरोन: पंजाब के मुख्यमंत्री अपनी ही कार में मार दिए गए थे।
  • बेअंत सिंह: यह पंजाब के मुख्यमंत्री थे, जिनकी हत्या चंडीगढ़ में बम विस्फोट के द्वारा कर दी गई थी।
  • महेंद्र कर्मा: वह छत्तीसगढ़ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के एक शक्तिशाली सदस्य थे और एक आदिवासी नेता के साथ-साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के सदस्य भी थे। उन्हें माओवादियों के द्वारा गोली मार दी गई थी।