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उत्तराखंड के जगंलों में लगी आग के बारे में जानने योग्य तथ्य

February 17, 2018
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उत्तराखंड के जंगलों की आग

उत्तराखंड के जगंलों में फरवरी में आग लगी थी। इस घटना को तीन महीने बीत चुके हैं और यह मालूम पड़ता है कि सभी जंगल बड़े पैमाने पर इस खतरनाक आग की चपेट में आ रहे हैं। जंगल में तेजी से लगने वाली आग के कारण अभी तक नौ जाने जा चुकी हैं और यह आपदाएं अक्सर मानवीय हस्तक्षेप से शुरु होती है, जो बाद में कम होने का नाम ही नहीं लेती हैं। उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग हमें ऑस्ट्रेलियाई जंगलों की आग की याद दिलाती है, जिसने काफी वनस्पतियों को नष्ट कर दिया था और वह आग मानव जीवन के लिए भी खतरनाक साबित हुई थी।

उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग के संभावित कारण क्या हैं?

लकड़ी के तस्करों पर जंगलों में आग लगाने के आरोप के अलावा जंगल में आग लगने के कुछ प्राकृतिक कारण भी हैं। निश्चित रूप से शुष्क मौसम, उच्च तापमान और हवा की स्थिति आग लगाने तथा आग को उग्र रूप धारण करने में मदद करती है। सरकार ने विशेष रूप से गर्मियों में लगने वाली भयंकर आग के लिए एक योजना तैयार करके इसके कारणों का अध्ययन करने का फैसला किया है।

11 सदस्यीय वायु सेना की टीम उत्तराखंड के भीमताल और पौड़ी में आग से प्रभावित लोगों को सांत्वना देने के साथ-साथ इस दुखद घटना के आसपास के तथ्यों का खुलासा करने की कार्य योजना में संलग्न है।

  • पिछले 88 दिनों में, इस उग्र आग ने लगभग 3,000 एकड़ जंगल को नष्ट कर दिया और इस भीषण आग में सात लोग भी मारे गए।
  • वर्ष 2016 में लगभग 1200 से अधिक स्थान आग से प्रभावित हुए थे, जिनमें से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र अल्मोड़ा, चमोली, नैनीताल, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, टिहरी और उत्तरकाशी हैं।
  • पिछले तीन महीनों में जंगल की आग ने 922 घटनाओं के साथ-साथ लगभग 1890.79 हेक्टेयर में लगे हरे पेड़ पौधों को हानि पहुँचाई है।
  • उत्तराखंड में लगने वाली जंगल की आग से पूरे राज्य के वन्यजीवों पर बहुत गंभीर असर पड़ा है। आँकड़ों के अनुसार, राजाजी टाइगर रिजर्व का लगभग 70 हेक्टेयर और केदारनाथ कस्तूरी हिरण अभ्यारण्य का 60 हेक्टेयर भाग आग से प्रभावित हुआ है।
  • कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और कालागढ़ टाइगर रिजर्व, जो प्रसिद्ध रॉयल बंगाल टाइगर के घर हैं –इसमें पहले ही जंगल से लगने वाली आग से होने वाली लगभग 48 घटनाएं देखी गई हैं, जिसके कारण 260.9 हेक्टेयर जंगल नष्ट हो गया था।
  • इस तरह की गंभीर परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण मंत्री ने पूर्व-अग्नि (प्री-फायर) सतर्कता प्रणाली का परीक्षण शुरू कर दिया है, जो कि देश में आग के संभावित कारणों के बारे में एसएमएस के माध्यम से चेतावनी जारी करेगा। यह इसलिए किया जा रहा है, ताकि शुरुआती आग का प्रसार होने से पहले ही वन विभाग को सूचना मिल सके।
  • उत्तराखंड के गवर्नर ने आग को नियंत्रित करने के लिए 6000 कर्मियों को तैनात करने का फैसला किया है। एसडीआरएफ ने स्थानीय लोगों और जिला प्रशासन से कहा है कि वह भी इसमें अपना योगदान दें।
  • अग्निशमन अभियान के लिए केंद्र सरकार ने 5 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं और प्रधानमंत्री कार्यालय तथा गृहमंत्रालय दोनो ही स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।