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नृपेंद्र मिश्रा कौन हैं?

March 8, 2018
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नृपेंद्र मिश्रा कौन हैं?

वर्ष 1945 में जन्मे श्री नृपेंद्र मिश्रा, उत्तर प्रदेश कैडर के 1967 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं। श्री मिश्रा ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के जॉन एफ कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट से लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर के अतिरिक्त इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भी स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की है। श्री मिश्रा मार्च 2006 से मार्च 2009 के बीच भारत के दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अध्यक्ष भी रहे थे। ट्राई के अध्यक्ष रहे श्री मिश्रा ने तेजी से बदलते हुए प्रौद्योगिकी के केंद्र में स्वयं को स्थापित कर लिया और उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए दूरसंचार और ब्रॉडबैंड दोनों को अनुकूलित करने की आवश्यकता व्यक्त की। हालांकि, उनके कार्यकाल के दौरान ट्राई ने सिफारिश की कि वर्ष 2007 के बहु-करोड़ीय घोटाले में प्रमुख रहे 2 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं की जाएगी।

नृपेंद्र मिश्रा 28 मई 2014 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नियुक्त किए गए थे। उनकी नियुक्ति अत्यधिक चुनौती पूर्ण रही है और इसके लिए कई राजनैतिक दलों द्वारा कठोर विरोध प्रदर्शन भी किया गया।

अवरोध–

मूल ट्राई अधिनियम की धारा 5 (एच) के अनुसार, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के अध्यक्ष (चाहे वह स्त्री हो या पुरुष) को केंद्र सरकार या किसी भी राज्य सरकार के साथ अपने कार्यकाल का पालन करते हुए रोजगार करना अनुचित माना जाता था। इसके अतरिक्त, वह कार्यकाल की समाप्ति के दो साल तक किसी भी व्यावसायिक रोजगार को स्वीकार नहीं कर सकता है। इस अनुच्छेद ने शुरुआत में नृपेंद्र मिश्रा को प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रधान सचिव के लिए अपात्र घोषित कर दिया था।

वर्ष 1997 में पारित ट्राई अधिनियम को वर्ष 2000 में संशोधित किया गया था और केंद्र सरकार द्वारा इस अनुच्छेद को, नियामक निकाय के प्रमुख की नियुक्ति के निर्णय को अखंड और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए पेश किया गया था। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने श्री मिश्रा से मुलाकात की और उनको नियुक्त करने से पहले एनडीए ने फिर से अधिनियम में संशोधन करने का फैसला किया।

श्री मिश्रा की नियुक्ति की सुविधा के लिए, एनडीए सरकार ने चुनाव परिणाम घोषित होने के लगभग 11 दिनों के बाद 27 मई 2014 को एक अध्यादेश जारी किया। कानून मंत्रालय द्वारा अध्यादेश का मसौदा तैयार किया गया था और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी पहली बैठक में इसे मंजूरी दे दी थी। इस पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के अनुमोदन की मोहर भी लगी थी।

विपक्ष–

भारत में अध्यादेश, मंत्रिमंडल की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा पारित एक कानून है, जब संसद सत्र में न हो। अध्यादेश प्रभावी रहने के लिए संसद को इसकी बैठक के 6 महीनों के भीतर, इसे विधेयक के रूप में स्वीकृति देनी होती है या पुन: अधिवेशित करना होता है। ट्राई अधिनियम के संशोधन के दौरान विपक्ष के रूप में कांग्रेस, आप, आरएसपी, आरजेडी और सीपीआई-एम सहित कुछ प्रमुख राजनैतिक दल उभर-कर सामने आए थे। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में विधेयक पर चर्चा होने से पहले ही, उसे खारिज करने के लिए एक वैधानिक प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था और 14 जुलाई 2014 को संसद के निचले सदन द्वारा पारित विधेयक ने नियुक्ति के साथ बहुमत की स्वीकृति की पुष्टि की थी। विधेयक के पारित होने के बाद कांग्रेस और अन्य विरोधी दलों ने इसका विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस ने विपक्ष के रूप में राज्यसभा में एक मजबूत दलील पेश की, कि यह अभी भी सबसे बड़ी पार्टी है। विपक्षियों की दलीलों के बावजूद भी राज्य सभा ने 15 जुलाई 2014 को इस विधेयक को पारित कर दिया था।

नरेंद्र मोदी मिश्रा को क्यों पसंद करते हैं?

श्री मिश्रा निडरता और दृढ़ निर्णय वाले प्रसिद्ध प्रशासक और एक दृढ़ संकल्पी आधिकारी होने के लिए जाने जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी भी स्वयं उनके अनुरूप बनने का प्रयास कर रहे हैं। भारतीय प्रधानमंत्री ने उनके साथ काम करने वाले नौकरशाहों की भी विशेषरूप से प्रशंसा की है। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी द्वारा प्रशासनिक कार्यालयों में उम्मीदवारों की नियुक्ति के लिए उनका सावधानी पूर्वक चुनाव, काबिले तारीफ है। श्री मिश्रा अखंडता और अनुशासन के मापदंडों का संगीनता से पालन करने के लिए जाने जाते हैं। श्री मिश्रा राजनैतिक दिग्गजों के साथ समर्थन न करने के लिए भी जाने जाते हैं, जो निश्चित रूप से एक प्रसिद्धि के रूप में उनके पक्ष में संचित है। अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनकी नियुक्ति से पूर्व श्री मिश्रा को एनडीए सरकार में सरकारी मशीनरी के पुनर्गठन हेतु एक खाका (ब्लूप्रिंट) प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था। अब हम अच्छी तरह से यह मान सकते हैं कि एनडीए प्रमुखों ने उनकी इस योजना को पसंद किया था। सरकार ने ट्राई अधिनियम के संशोधन के आधार पर इसका समर्थन किया और कहा कि ट्राई अध्यक्ष की सेवा शर्तें, अन्य नियामक निकायों के प्रमुखों की सेवा शर्तों के समान ही हैं। श्री मिश्रा की नियुक्ति आदेश की शर्तों के अनुसार, उनके कार्यकाल की अवधि वर्तमान प्रधानमंत्री के कार्यकाल के समान ही होगी।

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