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दिल्ली मेट्रो के किराए में वृद्धि क्यों ? दैनिक यात्रियों पर इसका प्रभाव

October 11, 2017
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दिल्ली मेट्रो

दिल्ली मेट्रो, दिल्ली में रहने वाले लोगों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सड़क पर वाहनों के शोर-शराबे, धुआँ और भीड़ से निजात पाने के लिए दिल्ली में रहने वाले लोग, दिल्ली के अन्य परिवाहनों की अपेक्षा दिल्ली मेट्रो से आना-जाना पसंद करते हैं। दिल्ली के लाखों लोग रोजाना अपने कार्यस्थल या महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों आदि तक पहुँचने के लिए दिल्ली मेट्रो से यात्रा करते हैं। दिल्ली सरकार को 10 अक्टूबर 2017 से, दिल्ली मेट्रो के किराए में वृद्धि करने के अपने फैसले के कारण, आम यात्रियों द्वारा आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र सरकार द्वारा स्थापित फेयर फिक्सेशन कमेटी (एफएफसी) ने किराए में संशोधन की सिफारिश की है।

वर्ष 1995 में, दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) को निगमित किया गया था और वर्ष 2002 में सबसे पहले दिल्ली मेट्रो के रेड लाइन भाग का शुभारंभ किया गया था। चूँकि, मेट्रो आनंददायक व आरामदायक सवारी है, इसलिए मेट्रो राजधानी दिल्ली की पहली पसंद बन गई है। दिल्ली मेट्रो के शुभारंभ के साथ, राजधानी दिल्ली के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक यात्रा करना बहुत ही आसान हो गया है।

दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) ने मीडिया द्वारा रिपोर्ट की गई बिजली की दरों जैसे उपयोग में लाई गई बिजली की लागत में वृद्धि के साथ-साथ आर्थिक “हानि” का हवाला देते हुए, इस साल दूसरी बार किराए में वृद्धि की है। निश्चित रूप से किराए में यह वृद्धि लोगों पर 100 प्रतिशत एक आफत के रूप में देखी जा सकती है। इससे पहले, मई 2017 में दिल्ली के नागरिक दिल्ली मेट्रो के बढ़े किराए के प्रहार को सहन कर चुके हैं। दिल्ली मेट्रो ने मई 2017 में किराया में वृद्धि करने के कारण, लगभग 2 लाख यात्रियों को खो दिया था। दिल्ली मेट्रो द्वारा किराए के हालिया संशोधन के कारण, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ‘लोकविरोधी’ की उपाधि से नामित किया गया है।

देश की राजधानी दिल्ली की मेट्रो, समाज के विभिन्न स्तरों के साथ-साथ विभिन्न आय समूह के लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। दिल्ली मेट्रो द्वारा इस साल दो बार किराए में अनियंत्रित वृद्धि के कारण, यात्री परेशान होने के साथ-साथ काफी प्रभावित भी हुए हैं। मई 2017 में, अधिकतम किराए के मामले में 30 रुपये से 50 रुपये की वृद्धि हुई थी और इस बार इसे 50 रुपये से बढ़ाकर 60 रुपये कर दिया जाएगा। सार्वजनिक परिवहन मूल रूप से जनता की सेवा व उनके परिदृश्यों को पूर्ण करते हैं और बड़े पैमाने पर किराए में वृद्धि जनता को नकारात्मक ढंग से प्रभावित कर सकती है, इसलिए इस तरह की कार्यवाही पर ध्यान देना चाहिए।

दिल्ली मेट्रो से 5 किलोमीटर तक की यात्रा करने वाला प्रत्येक यात्री, हाल के किराए की कीमतों से प्रभावित होगा। 10 अक्टूबर से दिल्ली मेट्रो की पाँच लाइनों रेड लाइन, ब्लू लाइन, येलो लाइन, ग्रीन लाइन और वाइलेट लाइन पर नया किराया लागू हो जाएगा। हालाँकि, ऑरेंज लाइन (एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन) ने अपने किराए में कोई भी फेरबदल नहीं किया है। 10 अक्टूबर 2017 से मौजूदा किराए में न्यूनतम वृद्धि 10 रुपये और अधिकतम किराए में वृद्धि 60 रुपये देखने को मिलेगी। ऐसा बताया जा रहा है कि 2 किलोमीटर से कम यात्रा करने वाले लोगों के लिए किराया 10 रुपये रहेगा। जबकि 2 से 5 किलोमीटर के बीच यात्रा करने वाले लोगों के किराए में 15 से 20 रुपये की बढ़ोत्तरी हो जाएगी। 5 से 12 किलोमीटर के भीतर यात्रा करने वाले लोगों के लिए किराए में वृद्धि 30 रुपए और 12 से 21 किलोमीटर की यात्रा के लिए किराए में वृद्धि 40 रुपए निर्धारित की गई है। 21 से 32 किलोमीटर के बीच यात्रा करने के लिए किराए में वृद्धि 50 रुपए और इससे अधिक की यात्रा करने वाले यात्रियों के किराए में 60 रुपए की वृद्धि निर्धारित की गई है।

दिल्ली मेट्रो रेल निगम ने स्मार्ट कार्ड उपयोगकर्ताओं को कुछ मौद्रिक राहत प्रदान करने के लिए, इस साल अपने पहले के किराए में वृद्धि के साथ-साथ “व्यस्ततम समय” और “अव्यस्ततम समय” के लिए विभिन्न दरों का आवेदन शुरू किया है। डीएमआरसी ने अव्यस्ततम समय में “राजस्व सेवाओं की शुरुआत सुबह 8 बजे से दोपहर तक” व “दोपहर से शाम 5 बजे तक” और “राजस्व सेवाओं के समापन का समय रात्रि 9 बजे निर्धारित किया है।” हालाँकि, स्मार्ट-कार्ड उपयोगकर्ता अपनी प्रत्येक यात्रा पर 10 प्रतिशत छूट प्राप्त करने के हकदार होगें।

हांगकांग, सिंगापुर और बोगोटा जैसे शहर हमें वित्तीय स्थिरता के अनूठे मॉडल को विकसित करने के मामले में बहुत कुछ सीख देते हैं – हमें यह मालूम होना चाहिए कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग के यात्री, लंबी दूरी की यात्रा करते समय, बड़ी लागत वाले सार्वजनिक परिवहन का खर्च उठाने में सक्षम नहीं होते हैं। इस धारणा के अनुसार राजस्व सेवाओं में भी वृद्धि होगी, जिसके चलते दिल्ली मेट्रो को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि यात्री दिल्ली मेट्रो की जगह किराए की गाड़ी (टैक्सी) – ओला और उबर जैसे अन्य संभावित विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं और इसके फलस्वरूप सड़क परिवहन की संख्या में भी इजाफा होगा।