Home / India / क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्यौहार?

क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्यौहार?

January 14, 2019
by


Rate this post

क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्यौहार?

मकर संक्रांति को माघी या मकर संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है। हिंदू देवताओं में सूर्य भगवान को समर्पित यह त्यौहार हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। मकर संक्रांति का यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है। जैसा कि माना जाता है कि इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे मकर के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति उस महीने के अंत का भी प्रतीक है जब सर्दियाँ अपने चरम पर होती हैं, जोकि वर्ष की सबसे अंधेरी रात के रूप में भी संदर्भित है। मकर संक्रांति यह संकेत भी देता है, कि (ऋतु परिवर्तन) फिर से दिन के बड़े होने की शुरुआत हो गई है। हिंदू परंपरा के अनुसार, मकर संक्रांति का यह त्यौहार छह महीने की शुभ अवधि के साथ उत्तरायण की शुरुआत भी करता है।

भारत में मकर संक्रांति का त्यौहार

इस त्यौहार के सबसे खास पहलुओं में से एक यह है कि सौर चक्र के अनुसार हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले कुछ प्राचीन त्यौहारों में से यह त्यौहार एक है।

ज्यादातर हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार अपने त्यौहारों को मनाते हैं। संयोगवश हिंदू कैलेंडर का स्वरूप चन्द्र-सौर पंचांग की तरह होता ही है। चूंकि मकर संक्रांति सौर चक्र के अनुसार ही मनाया जाता है, इसलिए यह ग्रेगोरीयन कैलेंडर की एक ही तारीख 14 जनवरी को आता है। हालांकि, कुछ वर्षों से यह तिथि दिन-प्रतिदिन बदलती जा रही है। हालांकि इस स्थिति में, पृथ्वी और सूर्य एक जटिल अंतरंग गति पर स्थापित हो सकते हैं, हालांकि इन वर्षों में स्थित बहुत दुर्लभ होती है। मकर संक्रांति का त्यौहार भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। इसका उल्लेख भी किया गया है।

उत्तरी भारत के सिख और हिंदू इस त्यौहार को लोहड़ी के नाम से मनाते हैं, जबकि मध्य भारत में इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। असम में हिंदू इस त्यौहार को भोगली बिहू के नाम से मनाया जाता है। तमिलनाडु और दक्षिणी भारत के अन्य हिस्सों में हिंदू इस त्यौहार को पोंगल के नाम से मनाया जाता है।

कैसे मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्यौहार?

जैसा कि भारत में किसी अन्य त्यौहार की तरह ही मकर संक्रांति के त्यौहार को भी काफी सजावट के साथ मनाया जाता है। लोग नए कपड़े पहनते हैं और घर के व्यंजन जो सामान्य रूप से गुड़ और तिल के बने होते हैं, का स्वाद लेते हैं। कुछ क्षेत्रों में इस त्यौहार पर खिचड़ी खाने और खिलाने का प्रचलन भी है। तमिलनाडु में, मकर संक्रांति के इस त्यौहार को पोंगल के नाम से भी जाना जाता है और लोग चावल खाते हैं, जो ताजे दूध और गुड़ के साथ उबले हुए होते हैं। यह पकवान काजू, ब्राउन शुगर (भूरी शक्कर) और किशमिश को उसके ऊपर डालकर विधिवत रूप से तैयार किया जाता है।

मकर संक्रांति को कई अन्य तरीकों जैसे मेले का आयोजन करके, अलाव (बोनफायर्स) जलाकर, नृत्य तथा प्रीतिभोज का आयोजन करके और पतंग उड़ा कर भी करते हैं। डायना एल एक्क, हार्वर्ड विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और इंडोलॉजी की विशेषज्ञ ने कहा है कि वास्तव में महाभारत में भी माघ मेले का उल्लेख किया गया है। इसका अर्थ यह लगाया जाता है कि यह मकर संक्रांति का त्यौहार लगभग 2000 वर्षों से मनाया जा रहा है। इस दिन, बहुत सारे लोग नदियों और झीलों को पवित्र मान कर सूरज को अर्ध्य देकर स्नान करते हैं। मकर संक्रांति के त्यौहार पर कुंभ मेले में भी काफी भीड़ देखने को मिलती है, जो दुनिया के सबसे बड़े तीर्थों में से एक है और इस मेले का आयोजन प्रत्येक 12 साल बाद किया जाता है। अनुमान लगाया गया है कि लगभग 4 करोड़ से 10 करोड़ लोग इस मेले में भाग लेते हैं।

इस कुंभ मेले के दौरान लोगों का मानना है कि यहाँ पर स्नान करते हुए अपनी प्रार्थना के दौरान लोगों को सूर्य देवता को अर्ध्य देना चाहिंए। यह प्रयाग नाम के एक संगम पर होता है। यह वह जगह है जहाँ गंगा नदी यमुना नदी से मिलती है। इन दोनों नदियों को भारतीय देवी-देवताओं में दैवीय दर्जा दिया गया है। ऐसा कहा जाता है कि कुंभ मेला आदि शंकरा नामक ऋषि द्वारा शुरू किया गया था।

मकर संक्रांति एक शुभ त्यौहार है, इसलिए इस त्यौहार के दिन लोग गरीबों और भिखारियों को भोजन, कंबल, कपड़े आदि वस्तुओं का दान किया जाता है। मकर संक्रांति का यह त्यौहार रविवार, 14 जनवरी, 2018 को मनाया जाएगा।

Comments

Like us on Facebook

Recent Comments

Archives
Select from the Drop Down to view archives