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भारत में महिलाओं की सुरक्षा: महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित और सबसे असुरक्षित राज्य

July 7, 2018
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भारत में महिलाओं की सुरक्षा

निर्भया हत्याकांड की घटना को लगभग 5 साल बीत चुके हैं। देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक युवा लड़की (निर्भया) पर क्रूरता से हमला हुआ और बाद में उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश की गई। देश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर कठोर कदम उठाने के लिए, देश के सभी लोग एकजुट हो रहे हैं। जब हम महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों के आँकड़ों पर नजर डालते हैं, तो पता चलता है कि लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए बहुत से बेहतर कदम उठाए गए, लेकिन फिर भी हम अभी तक उनको सुरक्षित रखने में नाकाम रहे हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, देश में हर 1.7 मिनट पर एक महिला द्वारा अपराध का मामला दर्ज कराया जाता है और हर 16 मिनट में एक बलात्कार का मामला दर्ज किया जाता है। हम इस बात को अपने जहन में लाएं कि इस देश में यौन अपराध भी बड़े पैमाने पर होते हैं, जिनकी हमें कोई भी जानकारी नहीं होती है। एक महिला के खिलाफ हो रहा घरेलू हिंसा का मामला हर 4.4 मिनट में दर्ज किया जाता है। कुछ ऐसे ही चौंकाने वाले आँकड़ों की पृष्ठभूमि के विरुद्ध महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने भारत की पहली लिंग भेद्यता सूचकांक (जीवीआई) की रिपोर्ट जारी की, जो प्लान इंडिया के तहत एनजीओ (गैर-सरकारी संगठन) द्वारा तैयार की गई थी।

जीवीआई (लिंग भेद्यता सूचकांक) में राज्यों की श्रेणी – शीर्ष राज्य

लिंग भेद्यता सूचकांक स्वास्थ्य, शिक्षा, गरीबी, बाल-विवाह, हिंसा आदि के खिलाफ संरक्षण जैसे कई मापदंडों को ध्यान में रखकर किया गया एक मिश्रित अध्ययन है। यह अध्ययन एक लड़की के बचपन से लेकर जब वह गर्भ धारण करती है, उसके पूरे जीवनकाल में होने वाली सभी घटनाओं का व्याख्यान करता है। महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से गोवा के पश्चिमी राज्यों को, राज्यों की सूची में सबसे शीर्ष श्रेणी पर रखा गया है। गोवा राज्य जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है, इसने जीवीआई सूचकांक में 0.656 अंक अर्जित किए हैं। यह शहर स्वास्थ्य और शिक्षा के मामले में सबसे सर्वोच्च स्थान पर है। हर साल हजारों यात्री गोवा के रेतीले समुद्र तटों और जीवंत संगीत संस्कृति का आनंद लेने के लिए आते हैं। कई महिलाएं गोवा की अकेले यात्रा करती हैं और यह राज्य के पर्यटन उद्योग के लिए शुभ समाचार है। पूरे देश में सुरक्षा के मामले में गोवा का राष्ट्रीय सूचकांक औसत 0.5314 है। यह राज्य 0 और 1 के बीच की श्रेणी में आने वाले निकटतम राज्यों के सूचकांक में शीर्ष पर है।

भारत का सदाबहार राज्य केरल जीवीआई सूचकांक में दक्षिण-पश्चिम में स्थित गोवा के सूचकांक से एक पायदान नीचे है। केरल जीवीआई में 0.634 अंक हासिल करने में कामयाब रहा। शायद यह बात आपको आश्चर्यजनक लगे, लेकिन यह सच है कि केरल भारत का पहला ऐसा राज्य है जिसकी साक्षरता दर 100 प्रतिशत है और जहाँ पर अभी भी समाज के कुछ वर्गों में मातृत्व की परंपरा प्रचलित है। प्लान इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि, केरल ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी सफलता हासिल की है।

जीवीआई (लिंग भेद्यता सूचकांक) में इन दो राज्यों के अलावा शीर्ष 5 राज्यों में मिजोरम, सिक्किम और मणिपुर शामिल है। इन पूर्वोत्तर राज्यों में महिलाओं की सुरक्षा के बुनियादी ढाँचे में सुधार करने के लिए अभी बहुत से कदम उठाने बाकी हैं, ऐसा लगता है कि देश के बाकी हिस्सों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जो प्रयास किए जा रहे हैं, वे इन राज्य के पदचिन्हों को अपना सकते हैं।

सबसे असुरक्षित राज्य-

इस सूचकांक में (जीवीआई) बिहार सबसे निचले स्तर पर है और बिहार को सूचकांक में 0.410 अंक हासिल हुए हैं। सूचकांक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस राज्य की लड़कियों और महिलाओं की स्थित विशेष रूप से दयनीय है और यहाँ की महिलाएं शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सेवाओं से भी वंचित हैं। रिपोर्ट से पता चलता है कि बिहार राज्य में 39 प्रतिशत लड़कियों की शादी विवाह योग्य आयु से पहले ही कर दी जाती है। एक सर्वेक्षण से पता चला है कि बिहार की 12 प्रतिशत से अधिक लड़कियाँ, नाबालिक उम्र में ही माँ बन चुकी हैं।

उत्तर प्रदेश 0.434 अंक के साथ बिहार की तुलना में थोड़ा आगे है और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के 0.436 अंक के बराबर है। राष्ट्रीय राजधानी का निम्न दर्जा काफी चिंतनीय विषय है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, “दिल्ली में महिलाओं की शिक्षादर 30 राज्यों की तुलना में काफी दयनीय है”। दिल्ली महिलाओं की सुरक्षा के मामले में भी काफी लापरवाह है। महिलाओं की शिक्षा के मामले में 30 राज्यों (29 राज्य और दिल्ली) की श्रेणी में दिल्ली सबसे निचले स्थान पर और सुरक्षा के आधार पर 28 वें स्थान पर है। यहाँ भी 13 प्रतिशत लड़कियों की शादी विवाह योग्य आयु पूरी होने से पहले कर दी जाती है और लगभग 26.8 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं।

जीवीआई (लिंग भेद्यता सूचकांक) ने भी ऐसे कई मुद्दों पर प्रकाश डाला जिनको राज्यों द्वारा संबोधित किया जाना चाहिए था। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सबसे अधिक हिंसा के मामले सामने आते हैं। ये ऐसे राज्य हैं जिनमें महिलाओं के खिलाफ अपराध सबसे ज्यादा हैं।

अभियान  

प्लान इंडिया द्वारा ‘द प्लान फॉर एवरी चाइल्ड’ नामक एक अभियान चलाया गया है, जिसका उद्देश्य देश में लड़कियों और महिलाओं के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों और समस्याओं को समझना है। एनजीओ, केंद्रीय नीतियों को तैयार करने और कानून बनाने में केंद्र सरकार की सहायता करने की योजना बना रही है, जो महिलाओं को उनकी सुरक्षा के लिए एक बेहतर और सुरक्षित जीवन प्रदान करने में अहम भूमिका निभाएगा।