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जीका वायरस – कारण, लक्षण, पहचान, प्रभाव और रोकथाम

October 16, 2018
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जीका वायरस - कारण, लक्षण, पहचान, प्रभाव और रोकथाम

जीका वायरस मच्छर से उत्पन्न एक फ्लैवियरस संक्रमण है। 1947 में इस वायरस की पहचान पहली बार युगांडा में बंदरों में की गई थी। इसके बाद 1952 में जीका से प्रभावित मानव का सबसे पहला मामला तंजानिया और युगांडा में आया। वर्तमान में, अफ्रीका, अमेरिका, एशिया और प्रशांत में वायरस के फैलने की सूचना मिली है।

इससे पहले, जीका वायरस अफ्रीका से एशिया तक संकीर्ण भूमध्य रेखा तक ही सीमित था लेकिन 2007 के बाद से यह पूर्व की ओर प्रशांत महासागर में फैलना शुरू हो गया है।

9 अक्टूबर 2018 को, भारत में टूरिज्म हॉटस्पॉट जयपुर में वायरस का पता चला। तब से अब तक शहर में बीस मामले सामने आ चुके हैं। तो, इस विषम परिस्थिति में जरूरत है इस वायरल बीमारी की रोकथाम के लिए आवश्यक उपायों की।

वायरस के बारे में और अधिक जानने के लिए नीचे दिए गए तथ्यों को ध्यान से पढ़िए-

जीका वायरस संक्रमण के कारण –

जीका वायरस आमतौर पर एडीज मच्छर, जो दिन के दौरान काटता है, से फैलता है। एक बार जब किसी व्यक्ति को इस मच्छर द्वारा काट लिया जाता है, तो वह व्यक्ति इस वायरस, जो कुछ दिनों तक उनके खून में रहता है, से प्रभावित हो जाता है। स्थिति के आधार पर वायरस कुछ लोगों के खून में लंबे समय तक मौजूद रहता है।

लक्षण –

वायरस से संक्रमित लोगों में प्रभावशाली लक्षण नहीं दिखाई देंगे। यह डेंगू या चिकनगुनिया के लक्षणों की तरह ही हैं। कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं –

  • मांसपेशियों में दर्द
  • हल्का बुखार
  • हाथ और पैर के जोड़ों में सूजन
  • चकत्ते
  • सरदर्द
  • अस्वस्थता
  • आँखों में जलन
  • जोड़ों का दर्द

लक्षण लगभग 2 से 7 दिनों तक रहते हैं।

जीका वायरस के लिए परीक्षण –

रक्त या मूत्र परीक्षण द्वारा जीका वायरस की उपस्थिति की पुष्टि की जा सकती है। जीका वायरस का पता आसानी से लगाया जा सकता है क्योंकि यह आमतौर पर एक सप्ताह तक संक्रमित व्यक्ति के खून में रहता है।

जीका वायरस के लिए उपचार –

जीका वायरस के इलाज के लिए कोई स्थायी दवा नहीं है। हालांकि, वायरस की रोकथाम के लिए सावधानी बरती जा सकती है।

जीका वायरस के प्रभाव –

  • जीका वायरस बच्चों और वयस्कों के भीतर गिलेन-बरे सिंड्रोम, न्यूरोपैथी और मायलाइटिस जैसी न्यूरोलॉजिकल जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकता है।
  • गर्भावस्था के दौरान, संक्रमण से शिशुओं में माइक्रोसिफैली (बच्चे के मस्तिष्क का आकार सामान्य से छोटा होना) तथा कई अन्य जन्मजात विकृतियां पैदा हो सकती हैं, जिन्हें आमतौर पर जन्मजात जीका सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है।
  • अन्य समस्याओं में अवयव अवकुंचन, आँखे लाल होना, सुनाई देना बंद होना इत्यादि शामिल है।

जीका वायरस के प्रसार को रोकने के लिए तरीके –

  • अपने आप को प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में आने से रोकें।
  • जीका वायरस मच्छर काटने से फैलता है इसलिए मच्छरों से दूर रहना चाहिए।
  • वायरस यौन संचारित हो सकता है, इसलिए उचित निवारक उपाय किए जाने चाहिए।
  • जीका वायरस संक्रमण की चपेट में आने वाले क्षेत्रों में न जाने की सलाह दी जाती है।
  • व्यक्तिगत सुरक्षा उपायों में, हल्के रंग के और फुल आस्तीन के कपड़ों को पहनें जिससे आपका अधिकांश शरीर ढका रहे।
  • वास्तविक अवरोध में खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखें।
  • शरीर और कपड़ों के उजागर हिस्सों पर डीईईटी युक्त कीट प्रतिरोधी का प्रयोग करके वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है।
  • गर्भवती महिलाओं को सोते समय सुरक्षा के लिए मच्छरदानी आदि का प्रयोग करना चाहिए।
  • जीका वायरस के कारण प्रसव से पहले और प्रसव के बाद भ्रूण-संबंधी क्षति में गर्भावस्था की कुछ जटिलता शामिल हैं।
  • दिन के दौरान विशेष देखभाल की जानी चाहिए क्योंकि वायरस आमतौर पर एडीज मच्छर, जो केवल दिन में ही काटता है, से फैलता है
  • यात्रियों को प्रभावित क्षेत्रों में नहीं जाना चाहिए।

किन-किन देशों में है खतरा –

नीचे उल्लिखित देशों में जीका को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है –

  • ब्रुनेई
  • बर्मा (म्यांमार)
  • कंबोडिया
  • इंडोनेशिया
  • भारत
  • लाओस
  • मलेशिया
  • मालदीव
  • फिलीपींस
  • थाईलैंड
  • तिमोर-लेस्ते (पूर्वी तिमोर)
  • वियतनाम
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जीका वायरस एक मच्छर से उत्पन्न फ्लैवियरस संक्रमण है। 1947 में इस वायरस की पहचान पहली बार युगांडा में बंदरों में की गई थी। इसके बाद 1952 में जीका से प्रभावित मानव का सबसे पहला मामला तंजानिया और युगांडा में आया। जानिए इस वायरस के कारण, लक्षण, पहचान, प्रभाव और रोकथाम के बारे में।
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