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बॉलीवुड की 10 सर्वश्रेष्ठ सदाबहार कॉमेडी फिल्में

December 5, 2017
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बॉलीवुड की 10 सर्वश्रेष्ठ सदाबहार कॉमेडी फिल्में

सदियों पुरानी मनोरंजन से परिपूर्ण और कॉमेडी (हास्य) का प्रतीक फिल्में, जिनको संक्षेप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है। जबकि ट्रेजडी (दुखद घटना) फिल्में हमारे दिल की गहराई को छू सकती है और कलाकारों से हमें लगाव महसूस कराती हैं, जबकि कॉमेडी (हास्यप्रधान नाटक) की शैली ऐसी है, जिसके बिना हम नहीं रह सकते हैं और जो हमारे लिए कभी भी पर्याप्त नहीं होती हैं। शुक्र है, बॉलीवुड ऐसी ही कई कॉमेडी (हास्य) फिल्मों की संख्या का मंथन करने का प्रबंधन करता है, चाहें कुछ उल्लासमय कॉमेडी के लिए प्रयोग की जाने वाली एक बेहतरीन भाषा या फिर गंभीर मुद्दे पर कुछ मजेदार व्यंग्य के साथ बनाई जाने वाली फिल्में ही क्यों न हों, हमारे पास यहाँ ऐसी ही बॉलीवुड की कई फिल्मों के नाम हैं। एक कोलाहल से भरपूर कॉमेडी फिल्म देखने के लिए अपने दोस्तों के साथ तारीख तय करना एक अच्छा विकल्प की तरह लगता है, सही कहा ना? लेकिन क्या आप जानते हैं इतनी सारी असंख्य कॉमेडी (हास्य से भरपूर फिल्में) फिल्मों में से किस फिल्म को चुनना चाहिए? चिंता न करें, क्योंकि हमने 10 सर्वश्रेष्ठ बॉलीवुड कॉमेडी फिल्मों के बारे में नीचे विवरण दिया है। सूची इस प्रकार है…

पीके (2014)

एक तरह से लोगों के धार्मिक सिद्धांतों और अंधविश्वासों पर बिना हमला किए सीधे सवाल उठाने का क्या यह सही तरीका है? इस व्यंगात्मक फिल्म की पटकथा 152 मिनट लंबी है, इस फिल्म की कहानी एक एलियन से शुरू होती है, जिसे परीक्षण के लिए पृथ्वी पर भेजा जाता है, जो जिज्ञासु है और सभी आम प्रथाओं के बारे में मूर्खतापूर्ण तरीके से पूछने की कोशिश करता है। इस फिल्म ने पुरुस्कार जीतने और एक ब्लॉकबास्टर सफलता का आनंद लेने के अलावा, अपने खूबसूरत स्टार कलाकारों अर्थात अनुष्का शर्मा, सुशांत सिंह राजपूत, बोमन ईरानी और आमिर खान के साथ बहुत प्रभावशाली रही है।

3 इडियट्स (2009)

निश्चित रूप से राजकुमार हिरानी एक व्यंग्यपूर्ण प्रभावशाली संदेश देने के लिए कॉमेडी लहजे के तरीका को अपना लिया हैं। राजू हिरानी द्वारा निर्देशित इस फिल्म ने दुनिया भर में 459.96 करोड़ रुपये की कमाई करते हुए उस समय की उच्चतम कमाई वाली फिल्मों के रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। हालांकि, आपको इसके बारे में बढ़ा-चढ़ा कर बता दिया है, यदि आप पूर्णता प्रभावित नहीं हुए हैं, तो आपको इसकी कहानी जाननी चाहिए। इस फिल्म के कथानक में विद्यार्थियों और उनके माता-पिता की’ भीड़ का अनुसरण’ की चतुर मानसिकता शामिल है –जो इस मामले में, आँख बंद करके कैरियर के रूप में इंजीनियरिंग को चुनते हैं। इस फिल्म का प्रत्येक हिस्सा दिल को छूता है, इसमें एक गरीब परिवार अपने बेटे बहुत उम्मीदों से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए भेजते है, जो आम भारतीय की तरह अपने कैरियर के हित के लिए बिना किसी रुकावट के झूठ बोलता है, जो कि फिल्म में समय-समय पर दिखाई पड़ती हैं और यह सब इस फिल्म में बिल्कुल हास्यास्पद तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इस फिल्म का सारा श्रेय आमिर खान को जाता है। हालांकि, यह फिल्म स्क्रिप्ट की मौलिकता के संबंध में विवादों के घेरे में भी रही, फिर भी, इस फिल्म ने अपने कारोबार के लिए सभी बाधाओं को पार किया और जाहिर तौर पर फिल्म का व्यवसाय काफी अच्छा रहा था।

धमाल (2007)

क्या आप रविवार की दोपहर के लिए एक कॉमेडी फिल्म देखने की तलाश में हैं? तो आप फिल्म ‘धमाल’ को चुनकर अपने सोमवार की मुसीबतों को थोड़ा कम कर सकते हैं। इंद्र कुमार द्वारा निर्देशित यह फिल्म आपके नाटक के दृश्य के साथ-साथ कलाकारों को एक के बाद एक  प्रस्तुत करती है जो अपनी मंजिल को पाने के लिए एक-दूसरे की मदद नहीं करते है। यह फिल्म कॉमेडी से भरपूर, 4 युवा मित्रों (रितेश देशमुख, अरशद वारसी, आशीष चौधरी और जावेद जाफरी) की है, जो अपनी मकान मालकिन का पिज्जा चोरी कर लेते हैं, ज्यादा पैसों के लिए खाली पेंटिग्स (चित्र) बेचते हैं और एक पुलिस अधिकारी (संजय दत्त) से छुपकर खजाना ढूंढने निकल जाते हैं। बिना कारण आप इस फिल्म को कितनी बार देखें और दूसरी बार इस फिल्म को देखने पर भी आप वैसी ही प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे। फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर बहुत ही अच्छी प्रतिक्रिया मिली और यहां तक कि इस फिल्म के सीक्वेल्स (भाग) भी बनायें गये हैं।

हंगामा (2003)

यह फिल्म प्रियदर्शन क्लासिक चार्ल्स डिकन के नाटक ‘द स्ट्रेंग जेंटलमैन’ पर आधारित है। एक गांव की लड़की (रिमी सेन) अपने परिवार के कर्ज चुकाने के लिए नौकरी की तलाश में मुंबई आती है। जल्द ही उसे यह पता चलता है कि उसे आवास प्राप्त करने के लिए एक पति का होना जरूरी है। हास्यपूर्ण कहानी तब शुरू होती है जब वह एक व्यक्ति (आफताब शिवदासानी) को एक नकली पति बनाकर मकान मालिक के पास जाती है। कई अन्य लोगों की तरह, राजपाल यादव ने भी अपनी हास्य शैली से दर्शकों को प्रभावित किया। इस फिल्म में कॉमेडी के अलावा, आपको मुख्य स्टार कलाकारों के बीच में एक भावुकतापूर्ण रोमांटिक प्यार भी दिखाई देगा। यह कॉमेडी फिल्म पूरी तरह से हास्य कलाकारों से भरी हुई है।

हेरा फेरी (2000)

आपने किसी लड़की को मुसीबत में कई बार देखा होगा लेकिन क्या संकट में एक कूल हंक देखा है? जी हाँ, अक्षय कुमार ने प्रियदर्शन की इस फिल्म में एक कॉमेडी भरा अभिनय किया है। गंभीर और सभ्य किरदार निभाने वाला श्याम (सुनील शेट्टी) और बचकानी हरकतें करने वाले बंगले के मालिक (परेश रावल) भी इसी फिल्म में देखने को मिलते हैं। अंडरवर्ल्ड माफिया से एक गलत कॉल मिलने के बाद इस फिल्म में अधिक दिलचस्प मोड़ आता है। यह हास्यपूर्ण फिल्म उन फिल्मों में से है जिन्हें आप बार-बार बिना बोर हुए देख सकते हैं।

जाने भी दो यारों (1983)

यह फिल्म राजनीति, मीडिया और नौकरशाही की बुराइयों पर एक व्यंग्य है। फिल्म के निर्देशक कुंदन शाह गंभीर समस्याओं पर प्रकाश डालने में शानदार तरीके से कामयाब रहे। उत्कृष्ट कलाकारों जैसे नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, पंकज कपूर, सतीश शाह, सतीश कौशिक और नीना गुप्ता ने इस फिल्म में शानदार अभिनय किया है, जिसके कारण निर्देशक और अभिनेताओं को कुछ अवार्डों से भी सम्मानित किया गया। फिल्म को गति तब मिलती है जब नसीरुद्दीन शाह और रवि बसवानी द्वारा खींचे गए एक फोटो से एक व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है। यह लगातार कई ट्विस्टों और छलकपटों का कारण बनता है।

गोलमाल (1979)

ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित यह फिल्म हिन्दी सिनेमा की सुनहरी किताब में एक मास्टरपीस है। शानदार पटकथा और मस्त कहानी के साथ अमोल पालेकर का जीवंत अभिनय बहुत अच्छा संयोजन है। नवजवान पालेकर को एक ऐसी नौकरी मिलती है जहाँ पर उसका बॉस एक चंचल व्यक्ति होता है, जो मानता है कि आदमी की मूँछों और उसके चरित्र में बहुत निकटता होती है। अपने बॉस को खुश रखने के लिए, अमोल बहुत ज्यादा झूठ बोलता है लेकिन फिल्म में असली मजा तो तब शुरू होता है जब अपने बॉस द्वारा पकड़े जाने के बाद वह अपने जुड़वा भाई का नाटक करता है। ‘गोलमाल है भाई सब गोलमाल है’ फिल्म आपके चेहरे पर से किसी भी समय मुस्कुराहट खत्म नहीं होने देगी।

बॉम्बे टू गोवा (1972)

कुछ जांबाजी वाले कार्यों के साथ हंसी मजाक के साथ आपको मिलती है फिल्म बॉम्बे टू गोवा। अमिताभ बच्चन के अभिनय वाली यह फिल्म एक युवा लड़की के बारे में एक कहानी है, जो एक हत्या की गवाह होने के बाद अपनी जिंदगी की कश्मकश में है। एक ट्रेन पर उसकी मुलाकात अभिताभ बच्चन से होती है। यह एक ऐसी मजेदार सवारी है जो भारत भर के विभिन्न धर्मों और मान्यताओं के लोगों को एक साथ लेकर शुरू होती है। अमिताभ बच्चन के साथ एक रोमांचक सफर और शानदार गानों के साथ यह फिल्म चलती रहती है।

पड़ोसन (1968)

यह फिल्म कॉमिक उद्यमों से भरी हुई है, जो निश्चित तौर पर आपको सुस्त दिन को बेहतर बनाने में पूर्ण योगदान दे सकती है। इस फिल्म में सुनील दत्त और सायरा बानो का शानदार प्रदर्शन दिखाई देता है, जिसको देखकर आप हँसते-हँसते लोटपोट हो जाएंगें। थोड़ा  तुनुकमिजाजी बिंदु, जिसे संगीत पसंद है, से प्यार करने लगता है, जिसको सुनील दत्त लुभाने की कोशिश करता है। उसे आकर्षित करने के लिए, वह अपने दोस्त की मदद से गाना गाता है यहाँ तक कि आत्महत्या करने का अभिनय करता है। फिल्म में प्यारे अजीब दृश्यों में आपको सबसे मूर्खतापूर्ण चीजों पर हंसी आना और साथ ही आपको हँसते-हँसते पेट में  दर्द होने लगेगा। पॉपकॉर्न खाते रहो, क्योंकि फिल्म देखने में आपको 2.5 घंटे से अधिक समय लगेगा।

चलती का नाम गाड़ी (1958)

सत्यन बोस द्वारा क्लासिक निर्देशित फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ में आपको सौंदर्य (विख्यात मधुबाला) और एक बेहतरीन कॉमेडी दिखाई पड़ती है। इस फिल्म में एक भाइयों का समूह (किशोर कुमार, अशोक कुमार और अनूप कुमार), जो महिलाओं से नफरत करता है, उनका व्यवहार तब बदल जाता है जब वो प्यार में पड़ते हैं और उनके जीने का तरीका बदल जाता है। सभ्य पारिवारिक मनोरंजन के मानकों के मुताबिक इसकी कहानी दिलकश है।

कॉमेडी सिनेमा के अविभाज्य अंग हैं और हम इसके लिए सिनेमा के आभारी हैं। यह 10 क्लासिक फिल्में हैं और दिल से हँसे बिना इन्हें देखना मुश्किल है। क्या आपको हम पर विश्वास नहीं है?