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फिरंगी मूवी रिव्यू- कपिल शर्मा की नवीनतम फिल्म सुस्त और उबाऊ

December 4, 2017
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फिरंगी मूवी रिव्यू

कलाकार – कपिल शर्मा, इशिता दत्ता, मोनिका गिल, कुमुद मिश्रा, इनामुल हक, अंजन श्रीवास्तव, राजेश शर्मा, एडवर्ड सोननेब्लिक

निर्देशक – राजीव ढींगरा

निर्माता – कपिल शर्मा

कहानी – राजीव ढींगरा

पटकथा – राजीव ढींगरा, बलविंदर सिंह जंजुआ, रुपिंदर चहल

सिनेमेटोग्राफी – नवनीत मिश्रा

संपादक – ओमकार नाथ बखरी

प्रोडक्शन हाउस – के 9 फिल्म्स

अवधि 2 घंटे 41 मिनट

वैसे अब यह मजाक पुराना हो चुका है, जो मुझे आज सुबह दुबारा से याद आ गया। एक आदमी स्थानीय हलवाई के पास जाता है। उससे 50 ग्राम लड्डू, पेड़ा, हलवा, जलेबी और बर्फी खरीदने की बात करता है। फिर वह हलवाई को उन सभी मिठाइयों को एक साथ मिश्रित करने को कहता है और अन्त में एक छोटी राशि मे खरीदता है। आपको मजाक अच्छा नहीं लगा? वैसे कपिल शर्मा का यह दूसरा बॉलीवुड प्रोजेक्ट (किस किस को प्यार करूं के बाद) हैं या तो नहीं है। वास्तव में, यह इस साल रिलीज होने वाली सबसे उबाऊ फिल्मों में से एक है। राजीव ढींगरा द्वारा निर्देशित ‘लगान’ और ‘फिल्लौरी’ फिल्म ने काफी सफलता अर्जित की थी, लेकिन पहले के कथानक और संगीत का जादू की सफलता प्राप्त करने में असफल रहे हैं। इस फिल्म को निश्चित रूप से शर्मा के लिए एक साहसिक कदम कहा जाएगा, जिन्होंने कॉमेडी के अलावा दूसरी शैली में भी हाथ आजमाने की कोशिश की है, लेकिन यही सही समय है कि वह इस तथ्य को मान लें कि अभिनय में उनका कैरियर नहीं है।

‘फिरंगी’ फिल्म का कथानक

मंगा (कपिल शर्मा) एक गांव का बालक है, जिसका मानना है कि सभी अंग्रेज बुरे लोग नहीं होते हैं। रोजगार प्राप्त करने के कई असफल प्रयासों के बाद, वह एक ब्रिटिश अधिकारी, मार्क डेनियल (एडवर्ड सोननेब्लिक) का अर्दली बन जाता है। वह पड़ोस गांव की एक साधारण लड़की सरगी (इशिता दत्ता) से प्यार करने लगता है। डेनियल मंगा का विश्वास जीतकर उसकी सहायता से सरगी और उसके गांव वालों को जबरन गांव से निकालकर उस जगह पर एक शराब का कारखाना लगाने की योजना बनाता है। इस गंदी योजना में डेनियल की सहायता स्थानीय राजा (कुमुद मिश्रा) करता है। जब मंगा को इस साजिश के बारे में पता चलता है, तो वह राजकुमारी (मोनिका गिल) से मदद माँगता है और फिल्म अंत में देशभक्ति से ओत-प्रोत हो जाती है। सरगी के दादा (अंजन श्रीवास्तव) गांधी के बताए गए रास्ते पर चलने वाले हैं और पूर्वानुमानित क्लाइमेक्स मंगा द्वारा गाँव और गाँव वालों को बचाते हुए समाप्त होता है, लेकिन ऐसा सब एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी के हस्तक्षेप के बाद होता है।

फिल्म समीक्षा

आइए हम पहले फिरंगी की मुख्य जोड़ी की बात करते हैं। हमें यकीन नहीं हो रहा है कि निर्देशक विक्की सिडाना ने इन दोनों में क्या देखा था, क्योंकि फिल्म में कपिल शर्मा और इशिता दत्ता बहुत ही बेमेल जोड़ी प्रतीत होती हैं और उनके बीच केमेस्ट्री पूरी तरह से गायब दिखाई दी है। शर्मा के चेहरे के भाव बिल्कुल सपाट है और कहानी में पूर्णता घुसने में विफल रहे है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि इशिता दत्ता (दृश्यम् गर्ल) ने प्रमुख भूमिका निभाने और अपने हिस्से के अभिनय के साथ पूर्णता न्याय किया है। इशिता ने अपना वादा निभाया है। सहायक अभिनेता अंजन श्रीवास्तव और इनामुल हक ने फिल्म में थोड़ा सा हास्य और विश्वासनियता देने का प्रयास किया है।

सबसे बड़ी विफलता निस्संदेह निर्देशक, राजीव ढींगरा की है। हम उनकी बजटीय बाधाएं समझते हैं, जिनका सामना उन्हें करना पड़ सकता है, लेकिन यह बेमेल परिधान और मंच की सज्जा, नकली भाषा, अकल्पनीय कहानी और फिल्म का घटिया निष्पादन को नजर अदांज नहीं किया जा सकता है।

‘फिरंगी’ एक भ्रमित करने वाली फिल्म है। निर्देशक की सबसे बड़ी गलती शायद एक गलत विषय चुनना और फिल्म को अनिच्छा से पूरा करना लगता है। फिरंगी में पीरियड पीस, कॉमेडी और देशभक्तिकारी कहानी को दर्शाने की कोशिश की गई है और फिल्म का समापन अजीब गड़बड़ के साथ होता दिखाया गया है।

फिरंगी एक अनावश्यक रूप से लंबी फिल्म है और कपिल शर्मा को इस फिल्म में अभिनय करने का पर्याप्त मौका मिला, लेकिन फिर भी वह स्क्रीन पर अपने अभिनय से किसी को भी प्रभावित करने में सफल नहीं हो सके हैं। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी बेहतरीन है, लेकिन कथानक की नीरसता के कारण गायब हो गई है।

संगीत समीक्षा

सभी देसी दर्शकों की माँग निश्चित रहती है कि वे ऐसी फिल्मों और संगीतों को पसंद करते है, जिनमें स्वतंत्रता से पहले पंजाब की पृष्ठभूमि को दर्शाया गया हो, जैसे दिल को थाम लेने वाले खेत-खलिहानों और घरों के दृश्य, रोमांटिक गाने और साथ में देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत मधुर गीत। इस मोर्चे पर भी फिरंगी पूर्णता विफल करते है। कुछ सबसे पसंदीदा गायक (सुनिधी चौहान के साथ राहत फतेह अली खान,  दिलेर मेहंदी, शफाकत अमानत अली आदि) के बावजूद फिरंगी का संगीत औसत दर्जे का रहा। ये गीत जतिंदर शाह द्वारा रचित हैं और डा. देवेंद्र काफिर (गुलबदन को छोड़कर) द्वारा लिखे गए हैं। फिल्म में ‘ओय फिरंगी’ और ‘साहिबा रस गईया’ जैसे गाने अच्छी तरह से फिट होते हैं, लेकिन मजबूती से नहीं टिक पाए हैं। आइटम नंबर गुलबदन, एक पूर्ण निराधार गीत है। अन्य मोर्चों पर ज्यादा कुछ न प्राप्त होने के कारण, हम केवल यह चाहते थे कि फिरंगी का संगीत लुभावना हो। फिरंगी हर तरफ से केवल विफल करती है।

हमारा फैसला

इस सप्ताह के अंत में कुछ उपयोगी करने की कोशिश करें। मंगा को छोड़ दें और अपनी टी.वी. पर एक अच्छी फिल्म लगाकर देखें। यदि आप थिएटर (अज्ञात कारणों से) पर इस फिल्म को देखने के लिए मजबूर हैं, तो अपने आप को व्यस्त रखने के लिए पॉपकॉर्न के एक बड़े टब को साथ में जरूर ले जाएं।