Home / Movies / मूवी रिव्यूः हेलीकॉप्टर ईला

मूवी रिव्यूः हेलीकॉप्टर ईला

October 13, 2018
by


Rate this post

मूवी रिव्यूः हेलीकॉप्टर ईला

 

निर्देशक प्रदीप सरकार
निर्माता अजय देवगन, जयंतीलाल गडा,अक्षय जयंतीलाल गडा
लेखक मितेश शाह (डायलॉग)
पटकथा मितेश शाह, आनन्द गांधी
आधारित आनन्द गांधी द्वारा गुजराती प्ले ‘बेटा कागडो‘
कलाकार काजोल, रिद्धि सेन, तोता रॉय चौधरी, नेहा धूपिया
संगीत अमित त्रिवेदी, राघव साचर
सिनेमेटोग्राफी सिरसा रॉय
संपादित धर्मेन्द्र शर्मा

 

फिल्म का कथानक:

हेलीकॉप्टर ईला मां-बेटे की जोड़ी की कहानी पर आधारित है, इस फिल्म में माँ-बेटे के रिश्ते में उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। गुजराती प्ले ‘बेटा कागडो‘ पर आधारित आनंद गांधी द्वारा लिखित यह फिल्म – ईला, जो एक सिंगल मदर है, के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। ईला के एक 20 वर्षीय बेटा है जो कॉलेज में पढ़ता है, लेकिन अपनी माँ की सख्ती की वजह से वह बहुत परेशान रहता है। वह अपने बेटे के टिफिन, पढ़ाई और दोस्तों से लेकर फोन पर वह किससे बात कर रहा है तक प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखती है और उसे कोई भी प्राइवेट टाइम नहीं देती। वह बिना दरवाजा खटखटाए उसके कमरे में घुस जाती है और उसके द्वारा फोन पर होने वाली वार्तालाप को सुनती है।

फिल्म की शुरुआत होती है उस दृश्य से जहां ईला कॉलेज ज्वॉइन करती है और यह उसका पहला दिन होता है। दिलचस्प बात तो यह है कि वह उसी कॉलेज और कक्षा में जाती है जहां उसका बेटा पढ़ रहा होता है। फिल्म का अगला दृश्य आपको 90 के दशक में ले जाता है जहां ईला की कहानी का चित्रण किया गया है। बाद में, ईला का पति (अरुण) जो अपनी पत्नी और बच्चे को छोड़कर गया चला गया था, 10 से 15 वर्षों बाद एक बार फिर से वापस आ जाता है। उसे उम्मीद होती है कि उसकी पत्नी और बेटा उसे एक बार फिर से स्वीकार कर लेंगे। लेकिन, ईला और विवान पारस्परिक रूप से निर्णय लेते हैं कि उन्हें अपने जीवन में उनकी कोई जरूरत नहीं है।

मूवी रिव्यू :

हेलीकॉप्टर ईला एक ऐसी माँ की कहानी है जो अपने किशोर बेटे के सिर पर हर वक्त मंडराती रहती है। पहले हॉफ में, प्रदीप सरकार ने मां और बेटे के जीवन में उतार-चढ़ाव को तथा युवा जोड़े ईला और अरुण के प्यार को बहुत ही खूबसूरती के साथ बुनने की कोशिश की है। फिल्म बिना किसी सनसनीखेज़ नाटक के साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ती है। दूसरे हॉफ में, कई सनसनीखेज़ दृश्य हैं जो फिल्म में एक बार फिर से दोहराते हैं। फिल्म की कथा बेहद गैर-रैखीय है जिसमें विभिन्न दृश्यों के माध्यम से दर्शकों में भ्रम की स्थिति पैदा होती है। कई बिंदु अधूरे हैं उदाहरण के तौर पर अरुण जो डायरी विवान के लिए छोड़ जाता है उसमें पता नहीं चलता कि लिखा क्या है। पुराना पड़ोसी, जो पूरा दिन दरवाजे पर बैठा रहता है, के बारे में कोई जानकारी नहीं होती। इसके अलावा माँ-बेटे की जोड़ी, जब ईला संगीत – थिएटर में शामिल हो जाती है, के संबंधों का विवरण गहराई से नहीं है।

पर्दे पर आने वाली यह फिल्म काजोल से संबंधित है, क्योंकि उसने ईला के चरित्र को सकारात्मक रूप में चित्रित करने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की है। रिद्धि सेन ने भी पूरी फिल्म में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। सहायक कलाकारों में तोता रॉय चौधरी और नेहा धूपिया ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है।

हमारा फैसलाः

भ्रमित कर देने वाले दृश्यों और गैर-रेखीय कहानी के कारण हेलीकॉप्टर ईला दर्शकों को बेसुध करती है। इस फिल्म को तभी देखें जब आप काजोल के प्रशंसक हों।

Summary
Review Date
Reviewed Item
मूवी रिव्यूः हेलीकॉप्टर ईला
Author Rating
21star1stargraygraygray