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भारत की ओर से ऑस्कर पुरस्कार विजेता

March 6, 2018
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भारत की ओर से ऑस्कर पुरस्कार विजेता

वर्ष 1958 में महबूब खान की फिल्म ‘मदर इंडिया’ से लेकर वर्ष 2006 में मीरा नायर की फिल्म ‘वाटर’ जैसी केवल 5 भारतीय फिल्में ही इस अकादमी पुरस्कार को प्राप्त करने में सफल हुई हैं, जिसे विशेष रूप से ऑस्कर पुरस्कार के नाम से जाना जाता है। ऑस्कर पुरस्कारों के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में, फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा प्रत्येक वर्ष एक फिल्म को चुना जाता है, लेकिन अब तक कोई भी फिल्म प्रतिष्ठित “गोल्डन लेडी” के दावों पर अपना अधिकार नहीं जमा पाई है। यहाँ पर उन भारतीय ऑस्कर विजेताओं के नाम दिए गए हैं, जिन्होंने अपने बेहतर काम के कारण पिछले कुछ वर्षों में एनुअल अकादमी अवार्ड्स में और साथ ही आनरेरी लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड को जीतने में सफलता हासिल की है।

जैसा कि पूरा विश्व 90वें अकादमी पुरस्कारों (ऑस्कर अवार्ड्स) में अपने पसंदीदा सितारों और फिल्मों की सफलता का जश्न मना रहा है, तो आइए हम उन भारतीय ऑस्कर विजेताओं पर गौर करें, जो प्रतिष्ठित ऑस्कर पुरस्कार जीतने में सफल हुए हैं।

भानु अथैया: फिल्म गांधीमें सर्वश्रेष्ठ कॉस्टयूम डिजाइन के लिए

भानु अथैया बॉलीवुड की कास्ट्यूम (पोशाक) डिजाइनर के रूप में मशहूर हैं। उन्होंने बॉलीवुड की फिल्मों जैसे सीआईडी, प्यासा, चौदहवीं का चाँद, साहिब बीवी और गुलाम, गाइड और कई अन्य फिल्मों में अपनी कास्ट्यूम डिजाइन के लिए भारतीय सिनेमा-प्रेमियों से काफी सराहना बटोरी है। वर्ष 1982 में ब्रिटिश निर्देशक रिचर्ड एटनबरो की फिल्म ‘गांधी’ में कास्ट्यूम डिजाइन के लिए एक ऑस्कर पुरस्कार जीतने पर भानू अथैया के काम में बढ़ोत्तरी होने लगी थी, इस फिल्म ने 8 ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त किए थे। भानु अथैया ने फिल्म में सभी पात्रों को एक प्रामाणिक रूप दिया, जिसमें बेन किंग्सले भी शामिल थे। बेन किंग्सले ने इस फिल्म (बायोपिक) में महात्मा गांधी की भूमिका निभाई थी। भानु अथैया इस फिल्म में काम करने वाली अकेली भारतीय थीं, क्योंकि फिल्म ‘गांधी’ के सेट पर अभिनय करने वाले अन्य सभी कलाकार इंग्लैंड से आए थे।

सत्यजीत रे: पाथेर पांचाली के लिए आनरेरी लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड

सत्यजीत रे के कार्यों का वर्णन करने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं, क्योंकि वह पूरे फिल्म उद्योग में एक अद्वितीय दृष्टि वाले व्यक्ति थे। इस मानवतावादी फिल्म निर्माता ने अपनी सर्वश्रेष्ठ कृतियों जैसे पाथेर पांचाली, चारुलता और अपुर संसार के जरिए आलोचकों के बीच अपनी प्रतिष्ठा स्थापित करके दर्शकों को उत्साहित किया था। इस सचित्र फिल्म निर्माता, लेखक, प्रकाशक और फिल्म समीक्षक ने वर्ष 1992 में अकादमी पुरस्कार ज्यूरी द्वारा आनरेरी लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड प्राप्त किया था। सत्यजीत रे के समीक्षकों ने भी फिल्म पाथेर पांचाली के काम की प्रशंसा की और उनकी इस पहली बंगाली फिल्म ने विश्व सिनेमा में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिए थे, क्योंकि भारत की यह पहली आधिकारिक फिल्म वर्ष 1958 में ‘बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म’ की श्रेणी की प्रस्तुति के पहले आई थी। सत्यजीत रे लॉस एंजिल्स में वार्षिक अकादमी पुरस्कार समारोह में शामिल नहीं हुए थे, क्योंकि इस फिल्म निर्माता ने खराब स्वास्थ्य के कारण अस्पताल के बिस्तर से ही अपना स्वीकृति भाषण दिया था।

रेसुल पोक्कुट्टी: स्लमडॉग मिलियनेयर में सर्वश्रेष्ठ साउंड मिक्सिंग के लिए

रेसुल पोक्कुट्टी फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर में अपनी शानदार ध्वनि मिश्रण (साउंड मिक्सिंग) के कारण बेस्ट साउंड मिक्सिंग की श्रेणी में ऑस्कर पुरस्कार जीतकर प्रतिष्ठित “गोल्डन लेडी” को अपने घर लाने वाले वह तीसरे भारतीय बन गए हैं। उन्होंने अपनी घर वापसी पर इतिहास के इस टुकड़े (ऑस्कर पुरस्कार) को अरबों भारतीयों को समर्पित किया है और पोक्कुट्टी ने यह भी बताया कि वह प्रोडक्सन चरण के दौरान कैसे फिल्म से बाहर हो गए थे, क्योंकि उनके लिए डैनी बॉयल के अधीन काम करना चुनौतीपूर्ण था।

स्लमडॉग मिलियनेयर के लिए ए.आर. रहमान और गुलजार साहब

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीत वादक ए. आर. रहमान ने राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्मों के लिए अपनी संगीत रचना के साथ-साथ करोड़ों भारतीय दर्शकों को अपना दीवाना बना दिया है। इस संगीतकार को फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर की संगीत रचना में बेस्ट ओरिजनल स्कोर के लिए सर्वश्रेष्ठ ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त हुआ। जबकि उसी रात, रहमान ने सर्वश्रेष्ठ मूल गीत श्रेणी के गीतकार गुलजार साहब के साथ एक और ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त किया। गुलजार द्वारा लिखित ए.आर. रहमान का गीत ‘जय हो’ ने इतिहास रच दिया और इस तरह ए. आर. रहमान दो ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बन गए हैं।

हालांकि भारत अभी भी ‘बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म’ में इस पुरस्कार की प्रतीक्षा कर रहा है, क्योंकि अभी भी किसी ने देश की व्यक्तिगत प्रतिभा पर ध्यान केंद्रित नहीं किया है। यह तो समय ही बताएगा कि क्या भारत इस श्रेणी में ऑस्कर पुरस्कार की बद्किस्मती का विखंडन करने और अपने घर में “गोल्डन लेडी” को लाने में सफल होगा। हम आशा करते हैं कि फिल्म निर्माताओं की वर्तमान पीढ़ी निश्चित रूप से, ऑस्कर जीतने योग्य एक उत्कृष्ट कृति (फिल्म) प्रदान करेगी।

साराँश
लेख का नाम – भारत की ओर से ऑस्कर पुरस्कार विजेता

लेखक का नाम – वैभव चक्रवर्ती

विवरण – भारतीय फिल्म कलाकार ने प्रतिष्ठित ऑस्कर पुरस्कार जीतकर देश को गर्वान्वित किया है, जबकि देश अब भी ‘बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म’ श्रेणी में प्राप्त होने वाले “गोल्डन लेडी” पुरस्कार का इंतजार कर रहा है।

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