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प्रसिद्ध अभिनेता, भूतपूर्व खेल लेखक और साहित्यकार टॉम ऑल्टर अब नहीं रहे

October 4, 2017
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प्रसिद्ध अभिनेता, भूतपूर्व खेल लेखक और साहित्यकार टॉम ऑल्टर अब नहीं रहे

जनता के प्रिय टॉम ऑल्टर उर्फ प्रसिद्ध धारावाहिक ‘जूनून’ के ​​’केशव कलसी’ अब इस दुनिया में नहीं हैं। भारत के चौथे उच्चतम नागरिक पुरस्कार ‘पद्म श्री’ से सम्मानित, टॉम ऑल्टर एक प्रसिद्ध अभिनेता, नाटककार के साथ-साथ एक अद्भुत इंसान थे। वह त्वचा के कैंसर के साथ काफी समय से संघर्ष कर रहे थे और वह शुक्रवार की रात, इस संघर्ष से मुक्त होकर स्वर्गवासी हो गए। त्वचा कैंसर के चौथे चरण के कारण उनका 67 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हे त्वचा के कैंसर के कारण अपना अंगूठा भी कटवाना पड़ा था। टॉम ऑल्टर अपनी पत्नी कैरोल और दो बच्चों – जेमी और अफशान को छोड़कर इस दुनिया से जा चुके हैं। अमेरिकी माता-पिता से मसूरी में जन्मे, टॉम ऑल्टर एक शानदार अभिनेता, भूतपूर्व खेल लेखक और तीन किताबों के रचयिता थे और उन्होंने दो उपन्यास और एक कथेतर साहित्य कहानी का लेखन किया। टॉम ऑल्टर ने वुडस्टॉक स्कूल और येल युनिवर्सिटी में अध्ययन किया था। इसके अलावा, वह 80 और 90 के दशक के दौरान एक खेल पत्रकार भी रहे थे।

भारतीय सिनेमा और टेलीविजन के क्षेत्र में योगदान

टॉम ऑल्टर ने परिपक्व अभिनेता के रूप में भारतीय सिनेमा और टेलीविजन के क्षेत्र में अपना योगदान दिया था। उन्होंने अपनी कला के प्रदर्शन से 300 से अधिक फिल्मों के अलावा कई टीवी धारावाहिकों में काम किया था। उन्होने नजाकता के साथ सहज शैली में अपने अभिनय का प्रदर्शन किया। पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित टॉम ऑल्टर को कला और सिनेमा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए जाना जाता है। कुशल अभिनेता टॉम ऑल्टर ने बॉलीवुड में अपने अभिनय की शुरुआत वर्ष 1976 में, रामानंद सागर द्वारा निर्देशित फिल्म चरस से की थी। शानदार अभिनेता, टॉम ऑल्टर ने ऋषिकेश मुखर्जी, वी शांताराम, सुभाष घई और मनमोहन देसाई जैसे निर्देशकों के साथ भी काम कर चुके हैं। बाद में उन्होंने सत्यजीत रे की ‘शतरंज के खिलाड़ी’ֹ और मनोज कुमार की ‘क्रांति’ जैसी फिल्मों में अपने प्रदर्शन के दम पर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। वह अपनी सर्वश्रेष्ठ “परिंदा”, आशिकी, क्रांति, शतरंज के खिलाड़ी, भेजा फ्राई, ‘सरदार पटेल’ जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। ऑल्टर ने हॉलीवुड फिल्म ‘वन नाइट विद द किंग’ और ’रिचर्ड अट्टेंबोरौघ गांधी’ में भी काम किया। टॉम ऑल्टर की आखिरी फिल्म आलोक नाथ और फरीदा जलाल के साथ “सरगोशियां” थी। टॉम ऑल्टर बेहतरीन टेलीविजन प्रदर्शन के दम पर दर्शकों के दिलों में अपनी एक अमिट छाप छोड़ने में सक्षम हुए। टॉम ऑल्टर अपने प्रसिद्ध टीवी धारावाहिक, ‘जुनून’, ‘भारत एक खोज’, ‘शक्तिमान’, ‘संविधान’, ‘जबान संभालके’ के कारण बहुत ही मशहूर हुए थे। वह अपने ऐतिहासिक और पौराणिक पात्रों के शानदार चित्रण के साथ दर्शकों को चकित कर देने में माहिर थे।

थिएटर अभिनेता के रूप में योगदान

वह अपने प्रभावशाली अभिनय का इस्तेमाल दर्शकों को प्रभावित करने के लिए किया करते थे। टॉम ऑल्टर अपने थिएटर प्रदर्शन, फिल्मों और टेलिविजन के माध्यम से दर्शकों के दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ने में हमेशा कामयाब रहते थे। वह अपने शानदार अभिनय के कारण, कई नए कलाकारों के लिए प्रेरणा श्रोत भी थे। वह एक रोमांचकारी थियेटर के अभिनेता थे। नसीरुद्दीन शाह और बेंजामिन गिलानी के साथ गठित कई प्रोडक्शन उनके थिएटर समूह थे। उन्होंने साहिर लुधियानवी के स्टेज प्रोडक्शन में भी अभिनय किया था और उन्होंने यहाँ के हम सिकंदर में एक स्कूल शिक्षक का रोल निभाया था। वेटिंग फॉर गॉडट उनका पहला नाटक था, उसके बाद उन्होंने कई प्रदर्शनीय नाटकों में अभिनय करके काफी शोहरत हासिल की। उन्होने वैकम बशीर के रूपांतरण ‘माई ग्रांडेड हैड ऐन ऐलिफेंट’ में नवीनतम अभिनय किया था। मिर्जा गालिब और मौलाना आजाद के चित्रलेखन में टॉम ऑल्टर ने काफी प्रशंसा बटोरी थी। उनके महत्वपूर्ण नाटकों में बाबर की औलाद, लाल किले का आखरी मुशायरा, गालिब के खत, त्रिसंग, तीसवीं शतंदी, कोपेनहेगं एलोन, विलियम्स डेलरिम्पल सिटी ऑफ डिजिनीं शुमार है।

लेखन और पुस्तकें

निपुण टॉम ऑल्टर ने तीन पुस्तकों – एक कथेतर साहित्य और दो उपन्यास – द लांगेस्ट रेस, रीरन एट रियाल्टो और द बेस्ट इन द वर्ल्ड का लेखन किया। उर्दू प्रेमी विद्वान टॉम ऑल्टर ने कई रिकॉर्डिंग के लिए अपनी आवाज दी थी। टॉम ऑल्टर ने स्पोर्ट्स वीक, आउटलुक, क्रिकेट टॉक, सनडे ऑब्जरवर एन्ड देबोनियर का भी लेखन किया।