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मूवी रिव्यू : सूरमा

July 16, 2018
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मूवी रिव्यू : सूरमा

कलाकारः दिलजीत दोसांझ, तापसी पन्नू, अंगद बेदी

निर्देशकः सोनी पिक्चर्स नेटवर्कस प्रोडक्शन, दीपक सिंह, चित्रांगदा सिंह

संगीतः शंकर-एहसान लॉय

सिनेमेटोग्राफीः चितरंजन दास

संपादकः फारूख हुंडेकर

प्रोडक्शन कंपनीः सोनी पिक्चर्स नेटवर्कस इंडिया, सी.एस. फिल्म्स

वितरितः सोनी पिक्चर्स रिलीजिंग,कोल्बिया पिक्चर्स

अवधिः 2 घंटा 12 मिनट

रिलीज की तिथिः 13 जुलाई 2018

कथानक-

शाद अली द्वारा निर्देशित यह फिल्म राष्ट्रीय हॉकी टीम के कप्तान और अर्जुन पुरस्कार विजेता संदीप सिंह के जीवन पर आधारित है। सूरमा फिल्म एक वीर की कहानी है जिसमें यह दर्शाया गया है कि वह अपनी सभी बाधाओं से किस प्रकार लड़ता है। यह वीर कमर के निचले हिस्से में लकवा मार जाने के बाद उससे उबरकर दोबारा हॉकी खेलता है, जो एक साल से व्हीलचेयर के सहारे चल रहा होता है।

युवा संदीप सिंह (दिलजीत दोसांझ द्वारा अभिनीत), शहाबाद के छोटे शहर में पैदा होने के बावजूद भी बड़े सपने देखता है। जिसके सपने इतने बड़े हैं कि वह भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा बनना चाहता है। हालांकि संदीप का कोच बहुत ही सख्त है जिसके कारण संदीप हॉकी खेलना छोड़ देता है। युवा उम्र तक उसकी जिंदगी से हॉकी गायब रहता है, लेकिन वह अपने हॉकी के जुनून को फिर से वापस लाता है। यह प्रेरणादायक कार्य करने के लिए एक अन्य हॉकी खिलाड़ी हरप्रीत (तापसी पन्नू द्वारा अभिनीत) उसे बढ़ावा देती है, जिससे दिलजीत प्यार भी करते हैं।

फस्ट हॉफ से पहले, सूरमा फिल्म में छोटे-छोटे दृश्यों के साथ उद्देश्यात्मक प्रकाश डाला गया है और सेंकड हॉफ के बाद, दिलजीत की अखंडता और संघर्ष के साथ कहानी गंभीर मोड़ लेना शुरू कर देती है, जिससे फिल्म भावनात्मक रूप से उतार-चढ़ाव में बदल जाती है।

रिव्यूः

दिलजीत अपनी अभिनय क्षमता को ‘उड़ता पंजाब’ फिल्म में पहले ही साबित कर चुके हैं, लेकिन सूरमा फिल्म में अपने चरित्र की हर बारीकियों को बहुत ही शानदार ढंग से निभाते हुए अपने अभिनय को दूसरे स्तर पर ले गये हैं। खिलाड़ी की परेशानियों को दूर करने के लिए आप उनकी मदद तो नहीं कर सकते हैं लेकिन महत्वाकांक्षी खिलाड़ी के चरित्र को समझने की क्षमता की सराहना जरूर कर सकते हैं, जिसने इसके लिए कड़ी मेहनत की है। तापसी ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। यथार्थवादी स्पर्श दृश्यों के साथ फिल्म की कहानी दर्शकों पर आसानी से छाप छोड़ती है।

हमारा फैसला:

फिल्म वास्तव में बहुत ही उम्दा है क्योंकि यह एक ऐसी कहानी है जो दिल से बताई गई है और आपको प्रेरित करने के लिए पर्याप्त रूप से सहयोग करती है। इसलिए आप फिल्म देखने जाएं। यकीनन यह फिल्म देखकर आपको बिल्कुल भी निराशा नहीं होगी।

 

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हर्षिता शर्मा
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