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दिल्ली में आम आदमी पार्टी के तीन साल: एक विश्लेषण

February 16, 2018
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आम आदमी पार्टी के तीन साल

14 फरवरी को, आम आदमी पार्टी के कार्यकाल को तीन वर्ष पूरे हो गए हैं। आम आदमी पार्टी दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से 67 सीटों पर जीत हासिल करके फरवरी 2015 में सत्ता में आई थी, लेकिन पिछले तीन वर्षों में इस पार्टी का कोई भी काम साफ-सुथरा नहीं रहा है। आम आदमी पार्टी इस बात की गवाह है कि इसे अपनी कई योजनाओं को लागू करने में परेशानियों का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा, आम आदमी पार्टी ने कई योजनाओं की शुरुआत की है, जिन्हें काफी सराहा भी गया है और इस पार्टी ने शहर के लोगों के जीवन को काफी हद तक सुधारने में भी मदद की है।

आम आदमी पार्टी की उपलब्धियाँ

स्वास्थ्य देखभाल

आम आदमी पार्टी ने अद्वितीय मोहल्ला क्लीनिक योजना को जारी किया। इस योजना को न केवल दिल्ली के लोगों द्वारा सराहना मिली, बल्कि संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान जैसे प्रसिद्ध व्यक्ति ने भी इसकी प्रशंसा की। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के पूर्व निदेशक जनरल ग्रो हार्लेम ब्रंटलैंड ने भी इस योजना की सराहना की, क्योंकि पास में बने क्लीनिक लोगों को समय की बचत करने और अस्पतालों में होने वाली भीड़ को कम करने में मदद करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप इनका बेहतर उपयोग हो सकता है। वर्तमान में, दिल्ली शहर में 180 मोहल्ला क्लीनिक हैं, जिनमें से 160 क्लीनिक सुचारु रूप से कार्यरत हैं। हालांकि, आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने वर्ष 2015 के चुनावी घोषणा पत्र में 1,000 मोहल्ला क्लीनिक खोलने का वादा किया था।

यदि शहर के सरकारी अस्पतालों में सर्जरी और रेडियो डायग्नोसिस टेस्ट जैसी सेवाएं अनुपब्ध हैं या सेवाएं उपलब्ध भी हैं, तो काफी समय तक इंतजार करना पड़ता है, इसलिए सरकार द्वारा सूचीबद्ध निजी स्वास्थ्य केंद्रों पर नि:शुल्क सेवाएं प्रदान की जाएंगी।

शिक्षा

आम आदमी पार्टी की शिक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। सरकार ने 400 नए पुस्तकालयों और 10,000 नई कक्षाओं के लिए अपने 2017-18 के बजट में लगभग 11,300 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है। यह सरकार पहले से ही 8,000 कक्षाओं (क्लासरूम) का निर्माण करवा चुकी है। उच्च शिक्षा गारंटी योजना के तहत सरकार 10 लाख रुपये से अधिक का शिक्षा ऋण भी प्रदान कर रही है।

परिवहन

हालांकि, आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली की जनता को एक कुशल परिवहन व्यवस्था उपलब्ध कराने का प्रयास किया है, लेकिन सरकार अपने वादे को पूरा करने में कामयाब नहीं हो पाई है। सरकार ने अपने 10,000 बसों के लक्ष्य के स्थान पर दिसंबर 2018 के अंत तक कम से कम 3,000 बसों को प्रचालित करने का वादा किया है। जिसमें 1,000 इलेक्ट्रिक बसें और 2,000 बिना- वातानुकूलित बसें शामिल होंगी। आप सरकार ने वर्ष के अंत तक पाँच नए बस डिपो को खोलने की मंजूरी दे दी है।

सरकार ने शहर में प्रदूषण के बढ़ते स्तरका विरोध करने के लिए, ऑड-ईवन योजना की शुरुआत की। हालांकि, विशेषज्ञों ने इस योजना को एक अल्पकालिक उपाय बताते हुए इसकी आलोचना की है और शहर पर इसका बहुत कम प्रभाव पड़ा है।

स्वच्छता

दिल्ली सरकार ने पिछले तीन वर्षों में 21,000 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करवाया है। लेकिन यह वर्ष 2015 के घोषणा पत्र में दो लाख सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करवाने के किए गए वादे की तुलना में काफी कम हैं।

अन्य क्षेत्र

आप सरकार बिजली के बिल पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान कर रही है। दिल्ली की प्रमुख बिजली उत्पादन में वृद्धि के साथ दिल्ली वासियों की समस्याएं कम नहीं हुई हैं। दिल्ली की जनता को 20 किलोलीटर तक मुफ्त पानी मुहैया कराया जा रहा है। दिल्ली सरकार ने अकुशल, अर्धकुशल और कुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की भी सिफारिश की है।

चुनौतियाँ

आम आदमी पार्टी की सरकार, दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग के साथ कई मुद्दों पर विवादों में रही है। वर्तमान उपराज्यपाल अनिल बैजल की भी किसी न किसी प्रकार की समस्याएं जारी हैं। दिसंबर 2017 में, अनिल बैजल ने लोगों को दरवाजों पर ही प्राप्त होने वाली 40 सार्वजनिक सुविधाओं जैसे जाति प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, पानी के लिए नया कनेक्शन आदि के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार के प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी।

दिसंबर 2018 में आम आदमी पार्टी सरकार के लिए समस्याएं बढ़ गई हैं, क्योंकि आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को लाभ का पद ग्रहण करने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इस दौरान, आम आदमी पार्टी ने कहा कि पार्टी को उसकी सफाई पेश करने का मौका नहीं दिया गया है।

इसके अलावा, दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है और इसके कुछ कार्यों के अधिकार केंद्र सरकार के पास हैं। जिसने आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच मनमुटाव पैदा कर दिया है। हालांकि एमसीडी को भारतीय जनता पार्टी द्वारा नियंत्रित किया जाता है, फिर भी शहर के लोग स्वच्छता के लिए सिर्फ आम आदमी पार्टी को दोषी ठहराते हैं। इस तरह के मामले के साथ डीडीए भी केंद्र सरकार के नियंत्रण में हैं।

लोगों की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार के पास अभी भी दो साल बाकी हैं। हमें आशा है कि वे मतदाताओं की अपेक्षाओं को पूरा करने में सक्षम हैं।