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गुजरात चुनाव 2017: क्या बीजेपी अपने मिशन 150 में सफल होगी?

November 29, 2017
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गुजरात चुनाव 2017

वर्ष के सबसे बड़े राजनीतिक संग्राम का शुभारंभ होने वाला है। गुजरात में 9 और 14 दिसंबर को विधानसभा चुनावों का आयोजन किया जाएगा और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) और आम आदमी पार्टी (एएपी) के द्वारा किए जाने वाले संघर्ष के कारण, गुजरात एक रणभूमि में तब्दील हो गया है। बीजेपी के लिए राज्य के चुनावों में स्पष्ट जीत बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि लगभग 22 वर्षों से गुजरात राज्य सरकार का पद भार बीजेपी ने संभाला है। कांग्रेस गुजरात में बीजेपी की ताकत का विखंडन करने के बाद से राज्य चुनावों पर काफी ध्यान केंद्रित कर रही है। बीजेपी और इसकी नीतियों का जनता के असफल भरोसे के रूप में एक स्पष्ट संकेत झलक रहा है। इन चुनावों से बहुत कुछ स्पष्ट हो जाएगा, क्योंकि देश वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए तैयार है। पश्चिमी राज्य में आप एक नया प्रवेशक है और आप पार्टी इस राज्य में एक उचित स्थान पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।

मिशन 150

बीजेपी अध्यक्ष और पार्टी के मुख्य चुनाव रणनीतिकार, अमित शाह ने घोषणा की कि पार्टी ने 182 विधानसभा सीटों में से 150 पर जीत हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यदि बीजेपी यह लक्ष्य हासिल करने में कामयाब होती है, तो इस लक्ष्य को पार्टी के लिए एक अभूतपूर्व उपलब्धि माना जाएगा। वर्ष 2012 में, नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी, इस राज्य में 116 सीटों को हासिल करने में कामयाब रही थी और वर्ष 2007 में पार्टी को 117 सीटें मिलीं थीं। जबकि वर्ष 2002 में बीजेपी 127 सीटों को अपने नाम करने में सफल हुई थी। वर्ष 1998 और वर्ष 1995 के चुनाव में बीजेपी ने क्रमशः 117 और 121 सीटें हासिल की थीं। अमित शाह ने बीजेपी के लिए इस लक्ष्य का निर्धारण किया था, हालाँकि महत्वाकाँक्षाएं बदनाम दिखती हैं, क्योंकि स्थानीय नेता 150 सीटों तक पहुँचने की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। पार्टी द्वारा मोदी के नेतृत्व का करिश्मा और मुख्यमंत्री पद के सशक्त उम्मीदवार के साथ-साथ उचित प्रबंधन जैसी स्थिति भी देखने को नहीं मिल रही है।

मिशन 150 हासिल करने के प्रति मुख्यमंत्री रूपानी का विश्वास

राज्य में बीजेपी के नेताओं में उत्साह और 150 सीट के इस लक्ष्य को हासिल करने का पूरा भरोसा है, जिसे पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों में तय किया है। बीजेपी नेता और गुजरात के मुख्यमंत्री (7 अगस्त 2016 से) ने प्रेस को बताया है कि वह बेहद निश्चिंत हैं और गुजरात के लोग स्पष्ट रूप से पार्टी और उनकी नीतियों को अपनाएंगें, जबकि धरतीपुत्र नरेंद्र मोदी केंद्र सरकार की कमान संभाले हुए हैं। उन्होंने वर्ष 2012 के गुजरात विधानसभा चुनावों के परिणाम का जिक्र करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी और उनकी प्रगतिशील नीतियों ने विरोधी शक्तियों को हराकर 116 सीटों पर विजय हासिल की थी। अब पीएमओ में रहने वाले गुजरात के मतदाता नमो सरकार को अधिक प्यार और पार्टी का भारी तादात में समर्थन करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि पार्टी राज्य में भारी बहुमत प्राप्त करने के पथ पर अग्रसर है।

विपक्षियों से संघर्ष

ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी खुद को बेहतर साबित करने के लिए गुजरात के लोगों को लुभाने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रही है, उनका कहना है कि बीजेपी के गुजरात विकास का मॉडल बिना नींव का है। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी राज्य में बहुत सक्रिय रूप से प्रचार कर रहे हैं। हालाँकि कांग्रेस पार्टी राज्य में पटेल और दलितों को लुभाने पर ज्यादा जोर दे रही है, जो अपनी माँगों का उचित समाधान न होने के कारण सरकार से असंतुष्ट रहते हैं।

कांग्रेस ने छोटूभाई वसावा की पार्टी के लिए 5 सीटें आरक्षित करने का भी वादा किया है। आशा की जाती है कि छोटूभाई वसावा की नई पार्टी के सदस्य 5 निर्वाचन क्षेत्रों देडियापाडा, झगडिया, मांगरोल, मोरवा हडफ और वाघोडिया से चुनाव लड़ेंगें।

आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव धीरे-धीरे नाटकीय कार्यवाहियों का साक्षी बन रहा है। पाटीदार आंदोलन के असंतुष्ट नेता हार्दिक पटेल मुख्यमंत्री रूपानी के खिलाफ अभियान कर रहें है। चुनाव से ठीक पहले राकेश माहेरिया और अल्पेश ठाकुर जैसे कुछ वरिष्ठ स्थानीय बीजेपी नेता आप और कांग्रेस की पार्टी में शामिल हो गए हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस बीजेपी को, गुजरात में कांग्रेस के प्रमुख इंद्रजीत सिंह के इस्तीफे की फर्जी खबरों के प्रसार की दोषी ठहरा रही है।

अंतिम निर्णय

क्या बीजेपी गुजरात के आगामी विधानसभा चुनावों में 150 सीटों के अपने महत्वाकाँक्षी लक्ष्य को हासिल करने में सफल होगी? या क्या कांग्रेस बीजेपी के सपने का विखंडन कर सकती है और यह साबित कर सकती है कि बीजेपी के विकास और समृद्धि के दावे खोखले हैं? या क्या आप पार्टी भारत के पश्चिम में एक छोटा, लेकिन महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त करने में सफल हो पाएगी? इन सवालों के जवाब केवल 43.3 लाख मतदाताओं के पास हैं, जो दिसंबर में अपने लोकतांत्रिक अधिकार के रूप में जवाब देने के लिए तैयार हैं। समाचार रिपोर्टों, राजनीतिक विश्लेषकों और चुनाव पर नजर रखने वालों का कहना है कि हमें अपने देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के नतीजों पर भरोसा करना होगा।

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