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पाकिस्तान के आम चुनाव 2018 – भारत और पाकिस्तान दोनों पर संभावित प्रभाव

July 27, 2018
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पाकिस्तान के आम चुनाव 2018

एक ही दिन के अंतराल पर भारत और पाकिस्तान ने आजादी प्राप्त की। दोनों पड़ोसी देशों का एक अलग चुनावी इतिहास था, जिनमें काफी अंतर रहा है। भारत के चुनावी इतिहास को कभी-कभी वादविवाद द्वारा बिगाड़ दिया जाता है, जबकि पाकिस्तान के चुनावी इतिहास को सैन्य कूपों द्वारा बार-बार रोका गया है जिसने देश के भीतर लोकतांत्रिक संस्थानों को अस्थिर कर दिया है। पाकिस्तान में 25 जुलाई को संसदीय चुनाव शुरू हो चुके हैं जिसमें पूर्व पाकिस्तान क्रिकेट कप्तान व विश्वकप विजेता इमरान खान और पूर्व भ्रष्ट प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ चुनावी मैदान में आमने सामने खड़े हैं। हालांकि, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अगर इमरान खान अगले प्रधानमंत्री बने तो भारत-पाक के बीच संबंध अच्छे होने की बजाय और खराब हो जाएंगे। वह भारत और इसकी सरकार के खिलाफ मजबूत वाक्पटुता के साथ बाहर आएंगे। भारत उम्मीद कर रहा है कि शहबाज शरीफ पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बनें क्योंकि भारत ने उनके भाई के कार्यकाल के दौरान बेहतर संबंध साझा किए हैं और शाहबाज के साथ इसे जारी रखने की उम्मीद कर रहे हैं।

पाकिस्तान चुनाव 2018- अवलोकन

पाकिस्तान के आम चुनाव 2018, देश के 70 वर्षों में यह दूसरी बार हुआ है कि एक लगातार लोकतांत्रिक परिदृश्य में बदलाव होगा। देश अक्सर और कई बार उन  महत्वाकांक्षी और सत्तावादी सैन्य तानाशाही का शिकार हो गया है जिन्होंने अपने निहित हितों के लिए कूप लगाए हुए हैं। 31 मई को प्रधानमंत्री के कार्यालय में उनके कार्यकाल की समाप्ति के बाद चुनाव शुरू किए गए थे। पाकिस्तान का देश 342 राष्ट्रीय विधानसभा सीटों में बांटा गया है जिसमें 3400 से अधिक उम्मीदवार 274 राष्ट्रीय विधानसभा सीटों के लिए प्रतिस्पर्धा करते नजर आ रहे हैं, जबकि शेष 60 सीटें देश में महिलाओं के लिए आरक्षित है और देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए 10 सीटें आरक्षित हैं।

पार्टी में शामिल

पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान इमरान खान आम चुनावों में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का नेतृत्व कर रहे हैं। क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान को सबसे मजबूत दावेदार माना गया है, क्योंकि पाकिस्तानी सेना ने आने वाले भविष्य में इमरान खान को पाकिस्तान के नेता के रूप में समर्थन दिया है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। इमरान खान की पीटीआई पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएलएन) से कठिन विरोध का सामना कर रही है, जिसका नेतृत्व पूर्व प्रधानमंत्री के भाई शहबाज शरीफ ने किया है।पनामा पत्रों पर नवाज शरीफ का नाम आने के बाद, जिसमें उनके परिवार के ऑफशोर (विदेश में)  व्यापारिक निवेश का खुलासा हुआ था, उन्हें किसी भी सार्वजनिक कार्य के संचालन के अधिकार से अयोग्य ठहराया गया था। पीएमएलएन पार्टी की ओर से अगुवाई करने वाले शहबाज शरीफको उनके भाई की तुलना में पाकिस्तानी सेना के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध साझा करने के लिए समझा जाता है, क्योंकि नवाज शरीफ और उनकी बेटी को यह सुनिश्चित करने के लिए पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था कि वह चुनाव प्रक्रियाओं में शामिल न होने पाएं। पाकिस्तान के आम चुनावों में खुद को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही तीसरी पार्टी पाकिस्तान की पीपुल्स पार्टी है, जिसका नेतृत्व वर्तमान में पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो ने किया था। बेनजीर भुट्टो की मौत के बाद, आसिफ अली जरदारी के नेतृत्व के दौरान पार्टी की छवि काफी दागी हो गई थी और पार्टी ने अपने समर्थकों के बीच विश्वसनीयता खो दी थी।

भारत पर प्रभाव

नई दिल्ली एक तीव्र दृष्टि से पाकिस्तान के आम चुनावों पर नजर गड़ाये हुए है, क्योंकि चुनाव विकास दो देशों के बीच के संबंधों के अच्छे होने या बिगड़ने की स्थिति बना सकता है या पाकिस्तान में बनने वाली नव निर्वाचित सरकार भारत-पाक के डूबते हुए संबंधों को बचा सकती है। यह 70 सालों की अशांति के बाद दोनों देशों के बीच एक नए युग की शुरुआत भी कर सकती है जिसमें दोनों पक्षों के कई हजार नागरिक और सैनिको ने अपनी जान गंवा दी। पाकिस्तान को अक्सर घाटी और भारत के अन्य हिस्सों में शांति को बाधित करने की योजना बनाने वाले आतंकवादी संगठनों और विद्रोहियों के लिए एक सुरक्षित आश्रय देने वाले स्थान के रूप में माना गया है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और पाकिस्तानी सेना पर बार-बार भारत विरोधी तत्वों के लिए सुरक्षित आश्रय और आतंकवाद को पलने के लिए स्थान देने का आरोप लगाया है।गर्म और सौहार्दपूर्ण संबंधों के क्षणों को साझा करने के लिए प्रत्यक्ष युद्धों और युद्धविराम के उल्लंघनों में शामिल होने से दोनों देशों के बीच दोनों पक्षों के संबंध कई मौकों पर गर्म और ठंडे होते रहे हैं। भारतीय मिट्टी और सीमा पार युद्ध विराम का उल्लंघन करते हुए लगातार आतंकवादी हमले अक्सर पाकिस्तान द्वारा समर्थित और वित्त पोषित होते हैं जो द्विपक्षीय संबंधों में एक रुकावट पैदा करते है। 2013 के बाद से, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत ठंडी रही है। हालांकि, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में अपने समकक्ष नवाज शरीफ के जन्मदिन के दौरान पाकिस्तान की एक आश्चर्यजनक यात्रा की, लेकिन स्थिति में काफी सुधार नहीं हुआ है। भारत से संबंधित पाकिस्तान की अधिकांश विदेश नीति पाकिस्तानी सेना द्वारा शासित है, जिसे इमरान खान की पीटीआई और अन्य इस्लामवादी दलों का पक्ष लेने के लिए कहा गया है। कई विश्लेषकों का मानना ​​है कि इमरान खान की पीटीआई को संभवतः गुप्त रूप से सेना द्वारा निर्देशित किया जाएगा। जो कोई भी विजेता के रूप में उभरे, भारतीय और पाकिस्तानी यही उम्मीद करेंगे कि नई पाकिस्तान सरकार भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर सके। दोनों देशों ने प्रतिद्वंद्विता के कारण पिछले 70 वर्षों में भारी नुकसान उठाया है और यदि इन दोनों देशो में शांति होती है तो भारत के साथ–साथ पुरे विश्व को इन दोनों देशों के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत होने की उम्मीद होगी।

 

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पाकिस्तान आम चुनाव 2018- भारत और पाकिस्तान दोनों पर प्रभाव
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पाकिस्तान आम चुनाव का नेतृत्व कर रहा है, देश के इतिहास में यह दूसरी बार है, कि देश लगातार लोकतांत्रिक सरकार का चुनाव कर रहा है। इमरान खान की पीटीआई और शाहबाज शरीफ की पीएमएल-एन राजाकर्मी की भूमिका निभाने की उम्मीद कर रहे कई अन्य दलों के साथ एक दूसरे के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है। परिणामस्वरूप भारत नजदीक नजर रखेगा क्योंकि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर इसका नकारात्मक या सकारात्मक प्रभाव हो सकता है।
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