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राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018: सचिन पायलट या अशोक गहलोत, कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन?

November 26, 2018
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राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018: सचिन पायलट या अशोक गहलोत, कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन?

लोगों पर चुनावी बुखार बड़े ही जोरो के साथ चढ़ा हुआ है। सफलता की उम्मीदें लेकर सभी पार्टियां 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले अपने आप को बेहतर साबित करने में लगी हुई हैं।

राजस्थान में भी, अब चुनावी बिगुल बज चुका है। एक तरफ, भाजपा सरकार वसुंधरा राजे सहित फिर से सत्ता में वापस आने और विरोधी सत्ता से लड़ने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस भी अपने आप को लाने के लिए जद्दोजहद कर रही है। काग्रेंस की तरफ से दो प्रमुख नाम, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य अध्यक्ष सचिन पायलट सामने आए हैं और इन दोनों ही नामों को मुख्यमंत्री पद का दावेदार होने के लिए कांग्रेस का चेहरा माना जा रहा है।

पार्टी ने अभी कोई भी नाम घोषित नहीं किया है, लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि यदि कांग्रेस पार्टी 2018 का विधानसभा चुनाव जीतती है, तो राज्य के अगले मुख्यमंत्री कौन होंगे? अशोक गेहलोत या सचिन पायलट।

आखिर कांग्रेस क्यूं घोषित नहीं करना चाहती अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम?

मुख्यमंत्री के उम्मीदवार का नाम घोषित करने के लिए कांग्रेस पर, पार्टी और बाहरी दबाव होने के बावजूद भी यह सच है कि कांग्रेस अभी भी मौन है। 2008 के विधानसभा चुनावों के समय भी, काग्रेंस ने आखिरी मिनट तक मुख्यमंत्री पद के दावेदार होने वाले सीपी जोशी या अशोक गहलोत के नाम के लिए लोगों को भ्रमित रखा था और अन्त में चुनाव रिपोर्ट के अनुसार ये पद अशोक गेहलोत को दिया था।

इसलिए, इस बार भी पार्टी ने अपने सभी पत्तों को न खोलने का विचार बना रखा है। चुनाव में ऐसी स्थिति कभी-कभार ही दिखाई पड़ती है। एक तरफ ये भी सवाल उठता है, कि आखिर कांग्रेस इतना दबाव होने के बावजूद भी गहलोत या पायलट में से एक प्रत्याशी का नाम घोषित न करके क्या फायदा उठा सकती है? तो चलिए इस तथ्य को भी गहराई से जानें। अब पार्टी के पास दो विकल्प हैं:

  • मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को सामने लाना

एक समुदाय से आने के बावजूद, जो केवल 3% वोट ही हैं, गहलोत दो बार मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे हैं। इनकी जड़ें राज्य में मजबूत होने के साथ-साथ राष्ट्रीय राजनीति में भी स्पष्ट रूप से मजबूत है। गहलोत को विधानसभा चुनावों के लिए टिकट न देने की वार्ता ही हुई थी और स्वाभाविक रूप से इसका अनुसरण करने के लिए आंतरिक असहमति पर दबाव डाला गया था।

सचिन पायलट के मामले में भी कुछ इसी तरह की समस्या है। युवा नेता पिछले कुछ सालों से सक्रिय रूप से राज्य में काम करके पार्टी के लिए समर्थन जुटा रहे हैं। बहुत से लोगों का विश्वास यह भी है कि कांग्रेस का 2018 के विधानसभा चुनाव को जीतने का वास्तविक कारण राज्य में पायलट की अध्यक्षता और कड़ी मेहनत का परिणाम है।

अपने मुख्यमंत्री पद के चेहरे का खुलासा करके, दोनों में से कोई भी हो, पार्टी ने महत्वपूर्ण चुनावों से पहले खुद को एक महान आंतरिक संघर्ष की गारंटी दी होगी।

  • मुख्यमंत्री के लिए चेहरे का खुलासा नहीं

यदि कांग्रेस अपने दोनों उम्मीदवारों में से किसी एक को चुनती है तो यह निश्चित रुप से ही पार्टी में अराजकता को न्यौता देना होगा। अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों के ही राजस्थान में बहुत अधिक अनुयायी हैं और दोनों ही प्रत्याशी बहुत प्रसिद्ध हैं। इसलिए पूरी तरह से किसी एक को चुनने में परिणाम के खराब होने और आंतरिक संघर्ष के भी जोखिम हैं।

किसी भी नाम को प्रकट न करने की रणनीति एक और भी दांव में अधिक फायदेमंद है। यदि, सबसे खराब स्थिति परिदृश्य में, घोषित नाम चुनाव में जीत हासिल करने का प्रबंधन नहीं कर पाता है तो यह हिस्सा के लिए एक बड़ा झटका होगा।

अशोक गहलोत या सचिन पायलट?

अशोक गहलोत एक अनुभवी राजनेता है जिसे 40+ साल का राजनीतिक अनुभव और दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहें हैं। दूसरे (सचिन पायलट) राजस्थान के प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं और बहुत से लोग यह भी तर्क देते हैं कि ये शायद कांग्रेस के सबसे होनहार युवा नेता है। यह बात तो साफ है कि कांग्रेस राजस्थान में इन दोनों में से किसी एक को ही चुनना चाहती है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि इनमें से बेहतर विकल्प कौन है?

अशोक गहलोत

बहुत कम उम्र में राजनीति में प्रवेश करते हुए, गहलोत 1974 में भारत के राज्य राजस्थान विंग के राष्ट्र छात्र संघ (एनएसयूआई) के पहले अध्यक्ष बने। गहलोत ने 1998 से 2003 तक और  फिर 2008 से 2013 तक दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री के पद का कार्यभार सभाला। राज्य के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों के बीच गिने जाने वाले अशोक गहलोत को सूखा प्रबंधन में योगदान सहित उनके कार्यकाल की अक्सर विकास दृष्टिकोण के लिए सराहना की जाती है।

ध्यान देने योग्य कुछ बिंदु:

  • वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वर्तमान महासचिव हैं।
  • वह संसद सदस्य (एमपी) 5 बार रहे हैं, विधायक दो बार, दूसरा कार्यकाल जारी है।
  • इन्हें 2017 के निर्णायक गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मार्गदर्शन देने का श्रेय दिया जाता है। पार्टी के न जीतने के बावजूद, वह मोदी के गृह राज्य में सीटों की प्रभावशाली संख्या हासिल करने में कामयाब रहे।
  • इसके पश्चात, वह विधानसभा चुनावों के बाद मई 2018 में कर्नाटक की स्थिति को संभालने के महत्वपूर्ण कार्य को दिए गए कुछ वरिष्ठ नेताओं में से एक थे।
  • आगामी 2019 लोकसभा चुनावों के संबंध में कुछ वार्तालाप के बाद आंध्र के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के साथ अशोक गहलोत पर भी भरोसा जताया गया है।

सचिन पायलट

41 वर्ष के सचिन पायलट राजनेताओं के परिवार से है। इनके माता-पिता, स्वर्गीय राजेश पायलट और रमा पायलट का राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान है। सचिन पायलट 26 साल की उम्र में, 2004 में दौसा से संसद सदस्य चुने गए थे। उस समय के ये सबसे कम उम्र के सांसद थे। पायलट ने वापस 2012 में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री का पद संभाला। सचिन पायलट को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के धनिष्ट होने के बारे में कहा जाता है।

ध्यान देने योग्य कुछ बिंदु:

  • पायलट दो बार सांसद रह चुके हैं पहली बार दौसा निर्वाचन क्षेत्र से और दूसरी बार अजमेर से।
  • पायलट पिछले चार सालों से सफलतापूर्वक कांग्रेस की छवि का फिर से निर्माण करने के लिए आधारभूत कार्य में व्यस्त रहे है।
  • वह 3 राजस्थान सीटों में से 2, कांग्रेस द्वारा अलवर और अजमेर से, जनवरी 2018 लोकसभा उप-चुनाव जीते थे। सत्ता में इस प्रमुख वापसी के लिए क्रेडिट, राजस्थान में बदलाव की शुरुआती लहर के रूप में देखा जाता है, को पायलट के नेतृत्व के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
  • चुनाव के लिए अग्रणी सभी जनमत सर्वेक्षणों में, सचिन पायलट को अगले मुख्यमंत्री के लिए नंबर एक वरीयता दी गई है।

एक राय

अगर यह निर्णय लेने की बात आती है कि अगले मुख्यमंत्री पद को सभालने के लिए कौन ज्यादा योग्य है, तो इसका कोई निश्चित जवाब नहीं है। जैसा कि पहले बताया गया है कि, दोनों उम्मीदवार शायद बहुत ही अच्छी तरह से कांग्रेस को राजस्थान के लोगों के सामने प्रस्तुत कर रहें हैं। हालांकि, यहां विचार करने के लिए अन्य दिशाएं हैं।

अशोक गेहलोत, राजनीति में अपने दशकों के अनुभव के साथ, निश्चित रूप से राज्य और यहां के लोगों से बहुत अच्छी तरह से परिचित हैं। इसीलिए कहते हैं कि, हमें कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों को देखने की आवश्यकता है।

अशोक गहलोत पर मुख्यमंत्री के लिए सचिन पायलट एक अच्छा विकल्प क्यों हो सकते हैं

  1. पायलट राज्य में सबसे लोकप्रिय नेता के तौर पर उभर कर आए हैं। वो न सिर्फ गहलोत से बल्कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से भी आगे हैं। अपने युवा करियर में, वह पहले से ही बहुत लंबा सफर तय कर चुके है।
  2. पायलट ने पहले कभी विधानसभा चुनावों में भाग नहीं लिया और यह उनकी पार्टी का दबाव था कि वह इस बार चुनाव के लिए खड़े हुए हैं। तथ्य यह है कि कांग्रेस ने उन्हें मैदान में उतरने के लिए चुना है, वह पहले से ही पार्टी के आत्मविश्वास के प्रतीक के रूप में रहे हैं। उल्लेख नहीं किया गया है कि, एक संकेत है कि पायलट बहुत अच्छी तरह से अपनी पसंद का विकल्प बन सकते है।
  3. वह प्रतिद्वंद्वी दलों द्वारा किए गए हमलों को ध्यान न देते हुए आत्मविश्वास के साथ-साथ खुद को शांत रखने के लिए भी जाने जाते है।
  4. हाल के दिनों में, राष्ट्रीय स्तर पर गहलोत की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वह पहले से ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव हैं और कई चुनावी और राजनीतिक मामलों में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति साबित हुए हैं। ऐसी परिस्थितियों में, सचिन पायलट को राज्य नेतृत्व में रखने के लिए बेहतर विकल्प होगा।
  5. पायलट ने खुद को मुख्यमंत्री के लिए जनता की सबसे पसंदीदा पसंद साबित कर दिया है, जैसा कि जनमत सर्वेक्षणों से भी स्पष्ट है।

निष्कर्ष

इन सबको देखते हुए कांग्रेस की पसंद रहस्यबना हुआ है, जो किसी भी समय खुल सकता है। सबसे अच्छी रणनीति गोपनीयता को बनाए रखना ही है क्यों कि दोनों ही नेताओं को सामने लाने से पार्टी के सदस्य अपने पसंदीदा उम्मीदवार को इस उच्च पद पर आगे लाने की उम्मीद में कड़ी मेहनत करेंगे।

हालांकि हमें 11 दिसंबर का इंतजार करना होगा कि कांग्रेस अशोक गहलोत और सचिन पायलट में किसे चुनती है, पार्टी को संभालने के लिए पहले बहुमत में यह कहना विश्वसनीय है कि पायलट अधिक लोकप्रिय विकल्प के रुप में हो सकते हैं। कम से कम मतदाताओं के बीच।

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राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018: सचिन पायलट या अशोक गहलोत, कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन?
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कांग्रेस ने अभी तक कोई भी नाम घोषित नहीं किया है। लेकिन, यदि कांग्रेस विधानसभा चुनाव जीतती है, तो अगले मुख्यमंत्री कौन होंगे? अशोक गेहलोत या सचिन पायलट।
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