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किस-किस ने छोड़ी आम आदमी पार्टी?

September 3, 2018
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किस-किस ने छोड़ी आम आदमी पार्टी?

आम आदमी पार्टी (आप), समय-समय पर पार्टी से अलग होने वाले पार्टी के सदस्यों द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के अनुसार यह नाम ही विरोधाभासी बन गया है।

अन्ना हजारे के नेतृत्व में प्रारम्भ (इंडिया अंगेस्ट करप्शन) भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन, जिसका उद्देश्य जन लोकपाल विधेयक लाकर भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाना था, आम आदमी पार्टी दिल्ली और कुछ हद तक देश के लोगों के लिए आशा की एक लौ थी। आम आदमी पार्टी की सरकार का गठन सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवों, कवियों, पत्रकारों, राजनीतिज्ञों, वकीलों और अन्य भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का समर्थन करने वाले विभिन्न पेशेवर शैलियों द्वारा प्रतिभागियों की पराकाष्ठा के साथ किया गया था।

लेकिन पिछले वर्षों के विकास को इंगित करें तो आप पार्टी के लिए स्थिति अब उज्ज्वल नहीं रही है। सत्ता में मात्र चार साल और पार्टी ने अपने कुछ प्रमुख सदस्यों को खो दिया है जो या तो भाजपा या कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। उनके पार्टी छोड़ने के पीछे शायद आंतरिक मनमुटाव,  एक दूसरे पर दोषारोपण, विचारों की असहमति, या शहर पर शासन करने की शक्ति के लिए लालसा आदि कारणों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव जैसे पार्टी नेताओं ने अन्ना हजारे के साथ मिलकर भ्रष्टाचार विरोधी लड़ाई लड़ी जिसका नतीजा यह निकला कि आम आदमी पार्टी के गठन में “पार्टी  विरोधी गतिविधियों” के कारण 2015 में उन्हें अनौपचारिक रूप से पार्टी से निष्काषित कर दिया गया था।

यहां कुछ ऐसे प्रभावशाली पार्टी सदस्यों के नाम दिए गए हैं जिनकी या तो अवधि पूरी हो गई या तो वह पार्टी से निकाल दिए गए हैं या अनुचित शासन व्यवस्था के कारण स्वयं ही उन्होंने पार्टी छोड़ दी है।

आशीष खेतान: पत्रकार से बने राजनेता आशीष खेतान ने 15 अगस्त को आम आदमी पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया और सभी अनुमानित सिद्धांतों पर विराम लगा दिया। उनके इस कदम ने आम आदमी पार्टी के भीतर की नाराजगी और बुरी राजनीति का और भी बढ़-चढ़कर खुलासा किया है। यद्यपि उन्होंने पार्टी छोड़ने के लिए निजी कारणों का हवाला दिया है लेकिन रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने पार्टी छोड़ दी क्योंकि नई दिल्ली से 2019 लोकसभा चुनाव लड़ने की उनकी मांग को केजरीवाल ने अस्वीकार कर दिया था।

आशुतोष: आशुतोष केजरीवाल के सबसे विश्वसनीय सहयोगियों में से एक थे जिनके निष्कासन ने पार्टी की आंतरिक राजनीति के बारे में कई सवाल उठाए हैं। वह एक पत्रकार थे जो न्यूज चैनलों में उच्चस्तरीय पद छोड़ने के बाद आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे। उन्होंने निजी कारणों का हवाला देते हुए 15 अगस्त को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। लेकिन अफवाहें उड़ रही हैं कि उनका इस्तीफा इस बात को लेकर था कि उन्हें केजरीवाल ने राज्यसभा में एक सीट भी सीट नहीं दी थी।

कपिल मिश्रा: कपिल मिश्रा का पार्टी से बाहर निकलना आप सरकार के पहले दो सदस्यों से काफी अलग था। कपिल मिश्रा द्वारा मुख्यमंत्री केजरीवाल और दिल्ली स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बाद मई 2017 में उन्हे आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) ने बर्खास्त कर दिया था। कपिल मिश्रा ने दावा करते हुए कहा कि इन दोनों लोगों ने 2 करोड़ का घोटाला किया है। उन्होंने अरविंद केजरीवाल को “बड़े पैमाने पर” वित्तीय खामियों के लिए जिम्मेदार ठहराया।

मयंक गांधी: एक सामाजिक कार्यकर्ता मयंक गांधी, भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले महत्वपूर्ण सदस्यों में से एक थे। उन्होंने आम आदमी पार्टी के सदस्य के रूप में भी कार्य किया और महाराष्ट्र क्षेत्र से पार्टी की अध्यक्षता की। लेकिन केजरीवाल के साथ मतभेद के बाद जल्द ही महाराष्ट्र में उनकी आप इकाई को भंग कर दिया गया। गांधी ने कहा कि पार्टी के नायक पार्टी को नष्ट करने पर तुले हैं और राजनेता ईमानदारी के रास्ते से हटते जा रहे हैं। उन्होंने 2015 में निजी कारणों की वजह से अपना इस्तीफा दे दिया था।

मधु भादुड़ी: वह आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थीं जिन्होंने संचालन के तरीके से मायूस होने के बाद पार्टी से अपने रास्ते अलग कर लिए। उन्होंने महिला पार्टी नेताओं के साथ बुरा बर्ताव करने वाली वाली पार्टी छोड़ दी। “मेरे पास सिर्फ एक मुद्दा है, और यह मानवता है तथा महिलाएं इंसान हैं। सुश्री भादुड़ी ने अपने बयान में कहा है, “इस पार्टी में, महिलाओं को मनुष्य नहीं माना जाता है।”

योगेंद्र यादव: 2011 में अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के नतीजतन वह आम आदमी पार्टी के सह-संस्थापक थे। यादव को मार्च 2015 में ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के आधार पर पार्टी से अनौपचारिक ढंग से बरखास्त कर दिया गया था। यह उनके लिए एक सदमे के रूप में सामने आया था। उन्होंने कहा, “मै आश्चर्यचकित नहीं हूँ क्योंकि पिछले कुछ दिनों से मामला इसी दिशा में चल रहा था। हालांकि मैं इस बात से इनकार भी नहीं कर सकता कि मुझे इससे काफी चोट पहुंची है। अगर कोई आपको आपके घर से घसीट कर बाहर निकाल दे तो आप कैसा महसूस करेंगे। ”

प्रशांत भूषण: पेशे से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत, एक उम्मीद के साथ आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए, कि यह पार्टी भ्रष्टाचार और द्वैष से मुक्त है, और अन्य भ्रष्ट पार्टियों से अलग है। लेकिन उनकी इस उम्मीद को तोड़ते हुए 2015 में “पार्टी विरोधी गतिविधियों” के आधार पर योगेंद्र यादव और आनंद कुमार के साथ-साथ उन्हें पार्टी से बेदखल कर दिया गया था। उन्होंने गुंडागर्दी और तानाशाही का नेतृत्व करने का आरोप लगाया जबकि केजरीवाल का कहना है कि वह असंतोष की आवाजों को निर्दयतापूर्वक दबा रहे हैं।

आनंद कुमार: कुमार आम आदमी पार्टी के सह-संस्थापकों में से एक थे जिन्हें योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के साथ पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया था। कुमार बाद में योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के गैर-राजनीतिक आंदोलन ‘स्वराज अभियान’ में शामिल हो गए।

अजीत झा: पार्टी विरोधी पार्टी गतिविधियों में उनकी भागीदारी के आधार पर पार्टी से अजीत झा को भी निकाल दिया गया था।

अंजलि दमानिया: अरविंद केजरीवाल पर लगे खरीद-फरोख्त के आरोपों के बाद अंजलि दमानिया ने ” आम आदमी पार्टी को छोड़ दिया। अंजलि दमानिया भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए पार्टी में शामिल हुईं और जब पार्टी के भीतर राजनीतिक वातावरण भृष्ट होने लगा तो उन्होंने पार्टी को छोड़ने का फैसला कर लिया। एक समाचार चैनल में देखा कि दिल्ली में सरकार बनाने और आप में शामिल होने के लिए कांग्रेस विधायक को रिश्वत देने वाले अरविंद केजरीवाल का एक वीडियो प्रसारित होने के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया। उसने ट्वीट किया, मैं छोड़ रही हूं। मैं ‘आप’ में इस बेवकूफ़ी के लिए नहीं आई थी। मैंने उन पर भरोसा किया। मैंने अरविंद जी का साथ सिद्धांतों के लिए दिया था, खरीद-फ़रोख्त के लिए नहीं।

विनोद कुमार बिन्नी: विनोद कुमार बिन्नी ने केजरीवाल को “तानाशाह” के रूप में संदर्भित किया और दिल्ली के लोगों ने अपने मूल सिद्धांतों को छोड़कर  “धोखाधड़ी” करने वाली पार्टी के रूप में दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि “यदि पार्टी लोगों के वादे को पूरा करने में विफल रहती है” तो वह जंतर मंतर में एक धरने का आयोजन करेगी। जनवरी 2014 में पार्टी के कार्यों के खिलाफ प्रदर्शन के लिए उन्हें पार्टी की सदस्यता से बर्खास्त कर दिया गया था। बाद में उन्होंने 2015 में बीजेपी के साथ हाथ मिलाया।

कप्तान जीआर गोपीनाथ: भारत में कम लागत वाली हवाई यात्रा का नेतृत्व करने वाले संस्थापक कप्तान जीआर गोपीनाथ ने पार्टी के सदस्यों और केजरीवाल के बीच बढ़ते मतभेदों के कारण 2014 में आप पार्टी को छोड़ दिया था। गोपीनाथ ने केजरीवाल की “शूट एंड स्कूट पॉलिटिक्स” को भी ठुकरा दिया था।

शाजिया इल्मी:  आप पार्टी की सह-संस्थापक और विदुषी नेता में से एक, शाजिया इल्मी ने भी मई 2014 में पदों से इस्तीफा देकर पार्टी छोड़ दी क्योंकि पार्टी कोई भी बुनियादी मूल्यों का पालन नहीं कर रही थी। उन्होंने कहा कि ” पार्टी में आंतरकि लोकतंत्र की कमी” ने उनको  इस्तीफा देने के लिए उकसाया है। उनके इस्तीफा देने के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, उन्होंने पार्टी के प्रयासों की सराहना की और कहा कि केजरीवाल “एक आंतरिक गुटबाजी का नेतृत्व करते हैं जो पार्टी के भीतर लोकतंत्र की अनुमति नहीं देता है”।

अशोक अग्रवाल: पेशे से एक वकील और आप पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्यों में से एक अशोक अग्रवाल ने मार्च 2014 में आप पार्टी को छोड़ दिया। पार्टी छोड़ने का उनका कारण यह था कि यह पार्टी “प्राइवेट लिमिटेड कंपनी” के रूप में काम कर रही थी और “इसके उद्देश्यों और प्रयोजनों में कमी” होती जा रही थी। केजरीवाल को लिखे एक पत्र में, उन्होंने लिखा कि वह उनके “मजबूत सिद्धांतों” की वजह से पार्टी में शामिल हो गए थे, लेकिन “जिन लक्ष्यों के लिए इसे बनाया गया था, वह अब कहीं गुम हो गए हैं”।

मौलाना कासमी: मौलाना कासमी ने इस्तीफे से पहले आप पार्टी के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य के रूप में कार्य किया। आप पार्टी छोड़ने के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, उन्होंने केजरीवाल की पार्टी को ‘धोखाधड़ी वाली पार्टी’ के रूप में संदर्भित किया।

एमएस धीर: एमएस धीर आम आदमी पार्टी छोड़ने से पहले आम आदमी पार्टी  के विधायक और दिल्ली विधानसभा के एक स्पीकर थे। उन्होंने कहा कि केजरीवाल जिन्होंने 49 दिनों तक दिल्ली में शासन किया था, वे दूसरे मौके के लायक नहीं थे। आम आदमी पार्टी  के नेतृत्व में घुसपैठ के कई मामले सामने आए।

एसपी उदयकुमार: परमाणु ऊर्जा विरोधी कार्यकर्ता एसपी उदयकुमार ने भी आम आदमी पार्टी को छोड़ दिया क्योंकि पार्टी तमिलनाडु से संबंधित मुद्दों और वहां के लोगों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रही थी। पार्टी से उनका बाहर जाना एक बड़ा झटका था क्योंकि पार्टी उनके माध्यम से विंध्य के दक्षिण को लक्षित करने का लक्ष्य रख रही थी।

आम आदमी पार्टी में शामिल अन्य संप्रदायवादियों में से अश्विनी उपाध्याय, सुरजीत दासगुप्ता, नूतन ठाकुर और मौलाना मकसूद अली कासमी जैसे कई अन्य शामिल हैं। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि पार्टी के एक अन्य सदस्य कुमार विश्वास भी पार्टी से बाहर निकल सकते हैं क्योंकि कवि और राजनेता के रूप में पहचाने जाने वाले कुमार विश्वास लगातार अपनी ट्विटर पोस्ट के माध्यम से अरविंद केजरीवाल पर निशाना साध रहे हैं।

अपने मूल सिद्धांतों से भ्रष्टाचार और विचलन के आरोपों के साथ सार्वजनिक रूप से पार्टी की आलोचना करते हुए, आम आदमी पार्टी के कई सदस्यों ने इस पार्टी को दुख और निराशा के साथ छोड़ दिया है, अगले वर्ष के लोकसभा चुनाव निश्चित रूप से पार्टी के लिए एक कठिन कार्य है।

 

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किस-किस ने छोड़ी आम आदमी पार्टी?
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सत्ता में मात्र चार साल और आप पार्टी ने अपने कुछ प्रमुख सदस्यों को खो दिया है जो या तो भाजपा या कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।
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