Home / science-and-fiction / भारत में अंधविश्वासी धारणा, तर्क, रिवाज और विज्ञान

भारत में अंधविश्वासी धारणा, तर्क, रिवाज और विज्ञान

July 5, 2018
by


भारत में अंधविश्वासी धारणा, तर्क, रिवाज और विज्ञान

भारत अंधविश्वासों और पवित्र अनुष्ठानों का देश है। यहाँ पर आपको भारी मात्रा में अंध-विश्वासों को मानने वाले लोग मिलेंगे। रात में पीपल के पेड़ के नीचे बैठना गलत माना जाता है और यदि बिल्ली आपका रास्ता काट दे, तो इसे अशुभ माना जाता है। यहाँ तक कि उत्तर दिशा में सिर करके सोना भी अशुभ माना जाता है। इन अंधविश्वासों को भारत में कहीं भी और किसी जगह पर देखा जा सकता है। लेकिन इससे पहले कि हम इन अंधविश्वासों को विज्ञान के नजरिये से देखें, तो हमें यह समझने में एक या दो मिनट लगेंगे कि इन अंधविश्वासों का निर्माण क्यों किया गया है और उनके पीछे का राज क्या है। आप यह जानकर हैरान होंगे कि इन अंधविश्वासों में से सभी नहीं पर कुछ के पीछे कोई न कोई राज या तर्क है। तो आइए, हम आज के समाज में प्रचलित कुछ अंधविश्वासों पर नजर डालते हैं और उनके पीछे के रहस्यों को जानते हैं।

सूर्यास्त के बाद अपने नाखून न काटें

जैसा कि आपके बड़े-बूढ़े आपसे बताते हैं कि सूर्यास्त के बाद नाखून काटना गलत माना जाता है। लेकिन रात में अपने नाखूनों को न काटने को लेकर निराश होने से पहले, हम आपको बताते हैं कि इसके पीछे एक तर्क है और जो पुराने समय में हमारे पूर्वजों द्वारा बनाया गया था। पहले बिजली की व्यवस्था नहीं थी, इसलिए लोगों को सलाह दी गई थी कि वे अपने नाखून को सूर्यास्त के बाद ना काटें, क्योंकि प्रकाश और दृश्यता की कमी के कारण नाखून काटते समय हाथ भी कट सकता है। यह परंपरा 21वीं सदी में भी जारी है।

लेकिन लोग सदियों पुरानी इस प्रथा के पीछे के तर्क को भूल गए हैं।

बिल्ली द्वारा रास्ता काटने पर अशुभ होने की मान्यता

अगर बिल्ली आपके रास्ते से गुजर जाती है, तो आप दिन भर उदास और भयभीत रहते हैं, क्योंकि आपको लगता है कि आपके साथ कुछ अशुभ होने वाला है। यह धारणा उस समय की है, जब लोग बैलगाड़ी या घोड़े-चालित गाड़ियों (तांगा) से यात्रा करते थे और उस समय शहर जाने वाले रास्ते घने जंगलों से गुजरते थे। कई बार जब ये गाड़ियाँ एक जगह से दूसरी जगह जाती थीं, तो बिल्लियाँ अक्सर घोड़ों के साथ-साथ बैलों के सामने आ जाती थीं। चूँकि बिल्ली की आँखे चमकदार होती है, इसलिए घोड़ों के साथ-साथ बैल भी उनको देखकर भयभीय हो जाते थे। जिसके कारण दुर्घटना हो जाती थीं, जिसमें लोगों को चोट के लगने के साथ-साथ उनकी मृत्यु भी हो जाती थी। इस प्रकार, इसके बारे में अब डरने की कोई बात नहीं है, क्योंकि एक बिल्ली बिल्कुल भी अशुभ नहीं है, यह सिर्फ पुराने दिनों की धारणा है।

घर में प्रवेश करने वाला चमगादड़ मृत्यु का कारण बन सकता है

चमगादड़ एक और ऐसा पक्षी है, जो दुर्भाग्य से खून पीने वाले पिशाच के रूप में बदनाम है, इसके लिए विशेषकर हॉलीवुड फिल्मों जैसे ड्रेकुला को धन्यवाद। चमगादड़ों के बारे में यह अंधविश्वास है कि यदि कोई चमगादड़ किसी व्यक्ति के घर में प्रवेश करता है, तो उस परिवार का अंत हो जाता है। अगर तर्क पूर्वक बात की जाए, तो चमगादड़ अशुभ नहीं है, लेकिन इसके प्रवेश के साथ घर में रोगाणु आ जाते हैं। जिससे परिवार के लोग प्रभावित हो जाते हैं। पुराने समय में लोगों को दवाइयों और उपचार के बारे में इतनी जानकारी नहीं थी, जितना आज के समय में है और उसके कारण लोग अक्सर बीमार हो जाते थे और कुछ की तो मौत भी हो जाती थी। इसलिए उस समय चमगादड़ों को मौत और बीमारियों का सूचक माना जाता था।

उत्तर की ओर अपना सिर करके न सोएं

यह अंधविश्वास हमारे शारीरिक और मानसिक कल्याण के साथ जुड़ा हुआ है। पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का मानव शरीर के साथ एक सीधा संबंध है, जिसे बायोमैग्नेटिज्म के रूप में जाना जाता है। इसलिए, यदि आपका सोने के समय सिर उत्तर की तरफ है, तो आपके शरीर को प्रतिकारक चुंबकीय बल का सामना करना पड़ता है, जिसके रक्तचाप, दुःस्वप्न, बेचैनी आदि जैसे नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए, अपनी सोने की स्थिति को दक्षिण दिशा की तरफ से बदलें और सब कुछ ठीक हो जाएगा।

अंतिम संस्कार कराने के बाद अच्छी तरह से स्नान करना

किसी के अंतिम संस्कार में भाग लेने के बाद उचित ढंग से स्नान करने की एक रिवाज है। लेकिन, यह सिर्फ एक रिवाज नहीं है, क्योंकि इसके साथ कई चिकित्सा और स्वास्थ्य कारण जुड़े हुए हैं। जब कोई व्यक्ति की विशेषकर खतरान बीमारी के कारण मौत हो जाती है, तो उस समय उसके शरीर में रोगाणु और जीवाणु उपस्थित होते हैं। इसके अलावा, शरीर भी विघटित होना शुरू हो जाता है। इसलिए रोगाणुओं या बीमारी से बचने के लिए, अंतिम संस्कार में भाग लेने के बाद स्नान करना आवश्यक माना जाता है।

तुलसी के पौधे की पूजा करना

तुलसी एक मंगलसूचक पौधा है और पुराने दिनों में तुलसी का पौधा हर घर का एक अभिन्न अंग था। कुछ परिवारों में आज भी तुलसी के पौधे लगाए जाते हैं, यह सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं है, जो हिंदू समुदाय द्वारा मनाया जाता है, बल्कि तुलसी के पौधे में कई औषधीय और पर्यावरणीय लाभ उपस्थित होते हैं, जो इसे इतना पवित्र बनाते हैं। तुलसी अपने एंटी-बैक्टीरियल (जीवाणुरोधी) गुण के कारण काफी प्रसिद्ध है। तुलसी के पौधे मच्छरों और अन्य कीड़ों, जो बीमारी और मौतों की अगुवाई करते हैं, से भी निजात दिलाते हैं। इसका आयुर्वेद में भी उल्लेख किया गया है और कहा जाता है कि तुलसी का पौधा प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है। इस प्रकार, अगली बार जब कोई तुलसी के धार्मिक महत्व के बारे में बात करे, तो आप बता सकते हैं कि यह पौधा इतना महत्वपूर्ण क्यों है।

यह भारतीय समाज में प्रचलित कुछ महत्वपूर्ण अंधविश्वास हैं, जबकि इनकी सूची काफी लंबी है। हालांकि, जैसा कि उल्लेख किया गया है कि हर एक अंधविश्वास के पीछे एक तर्क है, जो हमारे पूर्वजों की देन है, लेकिन वर्तमान पीढ़ी इससे अज्ञात है। इसलिए, जब कोई अगली बार अंधविश्वास के बारे में बात करे, तो आप उसके तर्क के बारे में सोचने की कोशिश करें।

 

सारांश
लेख का नाम – भारत में अंधविश्वासी धारणा, तर्क, रिवाज और विज्ञान

लेखक  – पंकज बख्शी

विवरण   – भारत अंधविश्वासों और पवित्र अनुष्ठानों का देश है। इस लेख में आप लोगों के लिए, रात में एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठना खतरों को बुलावा देना और बिल्ली द्वारा आपका रास्ता काटना जैसे प्रचलित अंधविश्वासों के तर्कों की पेशकश की गई है।