Home / social-issues / फेसबुक और आधार का डाटा लीक

फेसबुक और आधार का डाटा लीक

March 28, 2018
by


 

सोशल मीडिया की इस दुनिया में हमारी गोपनीयता कितनी सुरक्षित है?

गोपनीयता मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है और इसलिए बहुसंख्य लोकतांत्रिक देशों में, एक व्यक्ति की गोपनीयता को सुरक्षित रखने में केंद्रीय संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संस्थाओं को कुछ सेवाओं तक पहुँच प्राप्त करने के लिए हमारी व्यक्तिगत जानकारी की आवश्यकता होती है और किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी को कोई तीसरा व्यक्ति आसानी से प्राप्त न कर सके, वह इस आधार को सुरक्षित रखने की भरकम कोशिश करते हैं। लेकिन हाल के दिनों में, डाटा लीक होने की कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जहाँ पैसों के बदले में नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी को तीसरे पक्ष के ग्राहकों तक पहुँचा दिया गया है। भारत में फेसबुक-कैंब्रिज एनालिटिका डाटा घोटाले और आधार घोटाले ने हाल ही में विश्वभर की मीडिया में एक हलचल पैदा कर दी है, क्योंकि लाखों नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी, उन नागरिकों को सूचित किए बिना ही तीसरे पक्ष के ग्राहकों के पहुँच के योग्य बना दी गई थी।

फेसबुक-कैम्ब्रिज एनालिटिका द्वारा गोपनीयता का उल्लंघन

फेसबुक विभिन्न आयु वर्ग से लेकर सभी लोगों के जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। यह लोगों को उनके परिवार और दोस्तों से जुड़ने तथा समाचार और जानकारी प्राप्त करने में भी मदद करता है। स्मार्टफोन के इस युग में, सभी व्यक्तियों के जीवन में फेसबुक का प्रभाव बढ़ रहा है और दो अरब से ज्यादा सक्रिय उपयोगकर्ताओं के साथ यह निश्चित रूप से रोजमर्रा की जिंदगी का एक अभिन्न अंग बन गया है। सोशल मीडिया साइट पर लोग अपनी तस्वीरें, सूचना तथा अपनी यात्रा योजनाएं साझा करते हैं। लोग फेसबुक पर अपने जन्मदिन को जानबूझ-कर चिह्नित करते हैं, क्योंकि उनके जन्मदिन को दुनियाभर के लोग केवल उनकी गोपनीयता सेटिंग्स के अनुसार ही देखने में सक्षम होते हैं। हाल ही में फेसबुक-कैंब्रिज एनालिटिका डाटा घोटाले का मीडिया में खुलासा हुआ तथा मीडिया ने फेसबुक की विश्वसनीयता पर उचित सवाल भी उठाए।

विवादास्पद डाटा विश्लेषणात्मक कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका पर, अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव के परिणामों में हेरफेर करने के लिए फेसबुक उपयोगकर्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी का इस्तेमाल करके धोखा देने का आरोप लगाया गया था। एक ब्रिटिश समाचार एजेंसी ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि कुख्यात डाटा कंपनी के पूर्व कर्मचारी में से एक ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से संबंधित कुछ चौंकाने वाले तथ्यों को उजागर किया है।

पूर्व कर्मचारी ने जानकारी दी कि कैसे डाटा कंपनी ने धोखाधड़ी के माध्यम से डाटा प्राप्त किया, ताकि वह फेसबुक उपयोगकर्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी तक पहुँच प्राप्त कर सकें और 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए उस जानकारी का उपयोग कर सकें। ओवलेनो बिजनेस इंटेलिजेंस, भारत में कैंब्रिज एनालिटिका के साथ काम करने के लिए निहित कंपनी और अपनी आधिकारिक वेबसाइट जेडी (यू), भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अनुसार डाटा एनाटाइटिक कंपनी के ग्राहक थे।

ओवलेनो बिजनेस इंटेलिजेंस के साथ भाजपा और कांग्रेस पार्टी के संबंधों के आरोपों के कारण राष्ट्रीय पार्टियों ने एक-दूसरे को दोषी ठहराया था, लेकिन दोनों पार्टियाँ एक दूसरे पर लगे हुए सभी आरोपों को खारिज करने के लिए तत्पर हैं।

पैसे के लिए आधार की जानकारी?

जब वर्ष 2009 में आधार का शुभाररंभ हुआ था, तो वहाँ एक सवाल उठाया गया था कि क्या सरकार और उसकी एजेंसियाँ भारत के करीब 1.2 अरब नागरिकों के डाटाबेस की देखभाल करने और उसे सुरक्षित रखने में सक्षम हैं। डाटाबेस में कार्ड धारकों के बायोमेट्रिक्स, साथ ही व्यक्तिगत जानकारी जैसे कि आवासीय पता, नाम, आयु, पिता का नाम आदि शामिल होता है। लेकिन देश में तकनीकी सुधार के साथ निश्चित रूप से संदेह भी उत्पन्न हुआ और जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रत्येक नागरिक के लिए आधार होना अनिवार्य कर दिया था, तो यह माना गया था कि सरकार 1.2 अरब से अधिक लोगों के डाटाबेस को सुरक्षित रखने में पर्याप्त रूप से सक्षम है।

आधार एक आवश्यक पहचान पत्र बन गया, क्योंकि सरकार ने नागरिकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए विभिन्न सरकारी सेवाओं और योजनाओं के साथ अपने आधार कार्ड को लिंक कराने के लिए कहा था। इस साल जनवरी में एक पत्रकार ने बड़े पैमाने पर बचाव के रास्ते को उजागर किया और दावा किया कि आधार कार्ड धारकों की जानकारी, बाजार में 500 रुपये की कम राशि में उपलब्ध है। इस घटना ने केंद्र सरकार को छान-बीन करने पर मजबूर कर दिया है। जिसके चलते भारत के सर्वोच्च न्यायालय को भी हस्तक्षेप करना पड़ा, क्योंकि नागरिकों की गोपनीयता का सवाल था। हाल ही में अदालत ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को एक प्रस्तुति पेश करने और डाटा की सुरक्षा और सुरक्षा के मुद्दे पर अदालत को संबोधित करने के लिए कहा है।

किसी एक व्यक्ति की क्या भूमिका है?

भले ही हमारे आसपास की दुनिया बढ़ती प्रौद्योगिकी की सहायता से तेजी से बदल रही है, फिर भी एक सवाल मौजूद है कि क्या प्रौद्योगिकी डाटा की गोपनीयता को बरकरार रखने में सक्षम है। हाल के फेसबुक-कैंब्रिज एनालिटिका डाटा की चोरी और आधार की जानकारी के घोटाले, निश्चित रूप से प्रौद्योगिकी की कमजोरी को उजागर करते हैं।

ऐसी कुछ कमियाँ हैं, जो अभी भी कई बड़े डाटा विश्लेषकों के लिए एक चिंता का विषय बनी हुई हैं, क्योंकि अब भी यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि किसी उपयोगकर्ता की सहमति के बिना उसकी जानकारी, डाटाबेस और गोपनीयता का दुरुपयोग न हो। व्यक्तियों को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है कि वे सोशल मीडिया साइटों और वेबसाइटों पर बहुत अधिक व्यक्तिगत जानकारी न दें। यह भी सुनिश्चित करें कि उनकी सभी सूचनाओं का किसी तृतीय-पक्ष द्वारा उपयोग, तो नहीं किया जा रहा है और सभी मोबाइल ऐप्स की गोपनीयता शर्तों को अच्छी तरह से समझें।

सारांश
लेख का नाम – फेसबुक और आधार का डाटा लीक

लेखक        वैभव चक्रवर्ती

विवरण –      यह लेख आपको यह समझने में मदद करेगा कि फेसबुक- कैंब्रिज एनालिटिका गोपनीयता का कैसे उल्लंघन करती है और इससे आपकी गोपनीयता कैसे प्रभावित होती है।