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आत्मरक्षा – भारत में महिलाओं के लिए इसका महत्व

October 27, 2017
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आत्मरक्षा - भारत में महिलाओं के लिए इसका महत्व

आज हम जिस तरह की दुनिया में रहते हैं, उसमें खासकर महिलाओं को अपनी आत्मरक्षा करना अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। महिलाओं को समाज में, आमतौर पर एक अबला नारी के रूप में देखा जाता है और उनको आसानी से निशाना बनाया जाता है। भारत जैसे देश में लिंग हिंसा से सबंन्धित मामलों में निरन्तर बढ़ोत्तरी हो रही हैं, जिनमें से ज्यादातर लोगों द्वारा इस प्रकार की हिंसा के खिलाफ कोई रिपोर्ट नहीं की जाती है, ऐसी स्थिति में महिलाओं के लिए आत्मरक्षा पहले से कहीं अधिक आवश्यक बन गई है।

महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अपराध के प्रति समाज का दृष्टिकोण

भारत में महिलाओं के विरुद्ध बलात्कार, छेड़छाड़, अपहरण और हत्या आदि अपराध के सबसे सामान्य रूप हैं। भारत में महिलाएं तेजाब से होने वाले हमलों और छेड़छाड की वजह से भी स्वयं को असुरक्षित महसूस करती हैं। वर्तमान समय में लोगों की मानसिकता ऐसी हो गई है कि वे किसी पीड़िता के साथ हो रही हिंसा को अनदेखा कर देते हैं और बिना कोई प्रतिक्रिया दिए, वहाँ से चले जाते हैं। क्या हमें, एक स्वतंत्र देश के जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल हो जाने का एहसास नहीं हैं क्योंकि महिलाओं के विरुद्ध हो रही उत्पीड़न की ये छोटी-छोटी घटनाएं, अन्य बड़े-बड़े अपराधों का रूप ले सकती हैं और इन्हें तब ही रोका जा सकता है जब महिलाएं स्वयं आत्म-रक्षा तकनीक को सीखने के महत्व समझे।

विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि अपराधी अपने लक्ष्यों का चुनाव ऐसे समय में करते हैं जब उनके संभावित शिकारी आसपास के हालात से पूरी तरह बेखबर होते हैं। इसलिए यह सही समय है जहाँ प्रत्येक महिला को जागरूक और अपने आसपास के परिवेश से पूरी तरह से अवगत होने की जरूरत है।

महिलाओं को विपरीत परिस्थितियों में अपनाई जाने वाली विभिन्न रणनीतियों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर आप इस तरह के हमले के दौरान घर पर अकेली हैं, तो आपको जल्दी से रसोई की तरफ भागना चाहिए और वहाँ से आपको मिर्च पाउडर या चाकू को अपने बचाव के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए।

यहाँ पर कुछ संभावित उपायों की सूची दी गई है जिन्हें महिलाओं को खतरे से बचने लिए अपनाना चाहिए:

  1. अकेले यात्रा करते समय टैक्सी का नम्बर नोट करें।
  2. खुद को आत्मरक्षा की कक्षाओं के लिए नामांकित करें और हमलावर से शारीरिक रूप से लड़ने के लिए कई नई तकनीकों को सीखें।
  3. कराटे, किकबॉक्सिंग, इजरायल क्राव-मागा और पारंपरिक छड़ी आदि से लड़ने (लाठी का उपयोग) को प्रशिक्षण के लिए चुनें ।

भारत में, महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए जागरूकता विकसित करने वाली संस्थाएं

भारत में कई संस्था जैसे कि मुम्बई में मार्शल साइंस संस्थान द्वारा डेयर (जो बलात्कार और छेड़खानी करने वालों से बचाव करना सीखता है), मुस्कान फाउंडेशन और ब्लैंक नॉइज़ आदि महिलाओं को आत्मरक्षा करने के लिए जागरूक करती हैं। तनावपूर्ण परिस्थितियाँ लड़ाईयों और स्थिर प्रतिक्रियाओं को पैदा करने का कार्य करती हैं। आत्मरक्षा कौशल आपको स्थिर बनाने की बजाए लड़ने के लिए तैयार करते हैं और सीखने के लिए ऐसी संस्थाएं एकदम सही जगह हैं, जिसमें यह सिखाया जाता है कि हमलावर के खिलाफ एक प्रभावशाली लड़ाई कैसे लड़ी जा सकती है। इनमें से ज्यादातर संस्थाएं कार्यशालाओं, सड़क समारोहों और सड़कों पर होने वाली हिंसा के बारे में लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए मेजबानी करती हैं।

आत्मरक्षा के लिए कुछ त्वरित युक्तियाँ और सुझाव

  1. पहले विनम्र होने का नाटक करें और जब हमलावर का ध्यान थोड़ा भटके, तो वापस लड़ें।
  2. तेजी से भागने के लिए अपने शरीर को पर्याप्त ठीक रखें।
  3. सड़क पर चलते समय, चैन छीनने वालों से बचने के लिए थोड़ी-थोड़ी देर बाद पीछे घूमकर जाँच करती रहें।
  4. पर्स को अपने सामने रखें और अपने चारों ओर पूर्ण ध्यान देते हुए आगे बढ़े।
  5. जब आपको एक लंबी दूरी तय करनी हो और अज्ञात इलाकों से गुजरना पड़े तो ऊँची एड़ी की चप्पल पहनने से बचें।
  6. जब जरूरत हो तो जोर से और एक आक्रामक आवाज में ‘स्टॉप’ कहें, लेकिन धमकियों का इस्तेमाल करने से बचें।

हालांकि, आत्मरक्षा प्रशिक्षण हर जगह आसानी से उपलब्ध नहीं हो सकता है, इसलिए महिलाओं को समाचार पत्रों, टेलीविजन और पत्रिकाओं के द्वारा लिंग हिंसा से सम्बन्धित मुद्दों के बारे में अवगत किया जा रहा है। इसके अलावा, छोटे शहरों की महिलाएं, इंटरनेट वेबसाइटों की सहायता से आत्म-रक्षा तकनीक सीख सकती हैं जिससे उन्हें उचित प्रशिक्षण सामग्री और आत्म-रक्षा से सम्बन्धित शैक्षणिक ज्ञान प्राप्त हो सकता है।