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क्या प्रौद्योगिकी का अधिक इस्तेमाल हमारे और हमारे प्रियजनों के बीच एक गहरी दरार डाल रही है?

February 1, 2018
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क्या प्रौद्योगिकी का अधिक इस्तेमाल हमारे और हमारे प्रियजनों के बीच दूरियां बढ़ा रहा है?

पूरे देश में मोबाइल के प्रयोग का स्तर उच्च रहा है। आज के युग में, इंटरनेट और मोबाइल प्रौद्योगिकी दुनिया को करीब कर रहे हैं। इस प्रौद्योगिकी से दुनिया भर में किसी अजनबी के साथ जुड़ना काफी आसान हो गया है। लेकिन हकीकत यह है कि प्रौद्योगिकी का अधिक उपयोग हमारे और हमारे प्रियजनों के बीच गहरी दरार डाल रहा है। हालांकि, आप अपना फोन उठाकर बहुत ही आसानी से एक दोस्त से चैटिंग कर सकते हैं, असाधारण दृष्टिकोण से एक अस्वस्थ मित्र के साथ संदेश के द्वारा बातें करना औषधि की तरह प्रतीत होता है। यह उचित समय है जब हम प्रौद्योगिकी के अत्यधिक उपयोग के नतीजे पर विचार करना शुरू करें। पारंपरिक भारतीय समर्थन प्रणाली जैसे कि बड़े विस्तारित परिवार और करीबी दोस्त अब हमसे दूर हो रहे हैं, क्योंकि इंटरनेट ने हमारे सामाजिक संबंधों और बातचीत में अपनी जगह बना ली है।

स्मार्टफोन से ईर्ष्या

जर्मनी में हाल ही के एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि चार महिलाओं में से एक अपने साथी के स्मार्टफोन से ईर्ष्या करने लगती है। यह घटना निश्चित रूप से यूरोप या केवल अन्य देशों तक ही सीमित नहीं है। भारतीय महिलाएं, विशेष रूप से शहरी महिलाएं खुद को अपने जीवनसाथी से अलग कर रही हैं, क्योंकि उनके जीवनसाथी ज्यादातर अपने मोबाइल फोन पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं। अपने फोन पर लगे रहने के कारण अपने साथी से होने वाली दूरी को फबिंग कहते हैं। यह केवल रोमांस नहीं है जो मोबाइल प्रौद्योगिकी की वेदी पर बलि चढ़ रहा है। भारत जैसे परम्परागत पारिवारिक केंद्रित समाज में, ऐसा लगता है कि मोबाइल फोन की लत धीरे-धीरे कई अलग-अलग स्थितियों में विशेष रूप से अकेलेपन और उदासी में तब्दील हो चुकी है। फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंच पर विज्ञापन देने या दिखाने की जरूरत अब मजबूरी बनती जा रही है।

प्रौद्योगिकी का डार्क साइड

सबसे आसान उदाहरणों में से एक तथ्य जो यह प्रदर्शित करता है कि इस देश में हम में से ऐसे कई लोग हैं जो मोबाइल पर खेले जाने वाले ब्लू व्हेल गेम से हुई मौत के कारण अपने परिवार और प्रियजनों से अलग हुए हैं। युवा बच्चे और किशोर जो अविकसित माने जाते हैं, जहाँ उनके लिए माता-पिता, करीबी दोस्त, शिक्षक, और मार्गदर्शक की उपस्थिति एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तथ्य यह है कि ब्लू व्हेल जैसे चुनौती देने वाले खेल और अन्य ऐसे स्वयं को क्षति पहुंँचाने वाले खेल इंटरनेट के माध्यम से आते हैं, जो इस तथ्य को उजागर करते हैं कि इन चीजों ने अब युवा वयस्कों के जीवन में अपनी जगह बना ली है। शुरूआत में, जब देश में पहली बार ब्लू व्हेल गेम के कारण कई लोगों की मौत हुई थी, तो उपयुक्त कानून तैयार करने के विषय पर काफी चर्चा की गई थी, लेकिन इसके बाद इस तथ्य पर कोई विचार नहीं किया गया। माता-पिता भी फोन के इस नियंत्रण के बारे में जागरूकता की कमी से हानि उठा सकते हैं जो इनका उपयोग करते हैं। समाचार रिपोर्टों से पता चलता है कि गूगल खोजकर्ताओं की संख्या में लगातार बढोत्तरी होती जा रही है, भारत ऐसे ही स्वयं को क्षति पहुंँचाने और चुनौतियों वाले खतरनाक खेलों को प्रेरित करने वाले शीर्ष देशों में से एक है।

सेल्फी से संबंधित मौतें

इस ब्लू व्हेल जैसे चुनौती देने वाले गेमों द्वारा प्रेरित मौतों से यह साबित होता है कि हम एक अभूतपूर्व तरीके से अपने मित्रों और परिवार से दूर हो रहे हैं और इसका मुख्य कारण प्रोद्योगिकी है। इससे यह भी साबित होता है कि प्रौद्योगिकी का विकास हमें और भी लापरवाह तथा असावधान कर रहा है। पिछले साल की खबरों से पता चलता है कि मार्च 2014 से सितंबर 2016 तक सेल्फी से संबंधित होने वाली सभी मौतों में से 60 प्रतिशत से अधिक लोग भारत के थे। एक सेल्फी से होने वाली मौत वह है, जहाँ एक व्यक्ति मोबाइल डिवाइस के माध्यम से खुद की प्रति छाया (इमेज) लेने का प्रयास करता है। यह बताया गया है कि इस अवधि में सेल्फी से संबंधित 76 और 127 के बीच मौतें हुई हैं। हालांकि देश में मोबाइल तकनीक का उपयोग निश्चित तौर पर किल्फी के रूप में पहचाने जाने वाली सेल्फी जो हो रही मौतों को बढ़ावा दे रहा है अब एक बहुत ही चिंताजनक प्रवृत्ति बन गई है। इसका खतरा इतना बढ़ रहा है कि महाराष्ट्र सरकार अब 15 खतरनाक साइटों को सूचीबद्ध करने पर विचार कर रही है, जहाँ सावधानी बरतने की जरूरत है। केंद्रीय परिवहन मंत्री ने अब चेतावनी जारी करने के लिए कहा है कि ड्राइविंग के दौरान सेल्फी लेने का प्रयास हमें और हमारे जीवन को नष्ट कर सकता है।

क्या है इसका समाधान?

हम समय के ऐसे पड़ाव पर आ चुके हैं जहाँ प्रौद्योगिकी का उपयोग हमारे जीवन में व्यापक हो चुका है, जहाँ स्मार्टफोन या इंटरनेट के बिना रहना असंभव सा लग रहा है। प्रौद्योगिकी एक महान मार्गदर्शिका है, यह हमारे जीवन को बेहतर बनाता है, लेकिन इसका उपयोग जिम्मेदारी के साथ किया जाना चाहिए, अगर हम अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए दृढ़ हैं, तो यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हम स्मार्टफोन, आइपैड, लैपटॉप और इन सभी उपकरणों को अपने आप से दूर कर दें और कुछ समय अपने मित्रों और प्रियजनों के साथ बिताएं। खुद को इससे अलग करना आसान नहीं है, लेकिन मानव संपर्क, मानव स्पर्श, असली हँसी आदि को समाप्त नहीं किया जा सकता। हालांकि इण्टरनेट से काफी मदद मिल जाती है, लेकिन इस चुनौती का हल हम सबके द्वारा शुरू किया जाना चाहिए, जो प्रौद्योगिकी और मोबाइल उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं।

उपरोक्त लेख इंगलिश लेख Is excessive use of technology creating a distance between us and our loved ones? का अनुवाद है।