Home / society / स्वच्छ भारत अभियान: क्या हम इस वर्ष मना सकते हैं एक प्रदूषण मुक्त दिवाली?

स्वच्छ भारत अभियान: क्या हम इस वर्ष मना सकते हैं एक प्रदूषण मुक्त दिवाली?

November 5, 2018
by


स्वच्छ भारत अभियान: क्या हम इस वर्ष मना सकते हैं एक प्रदूषण मुक्त दिवाली?

भारत और विदेशों में रहने वाले भारतीय हिंदुओं के लिए सबसे अधिक उत्साह से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है दिवाली। यह हमेशा वर्ष की सबसे अंधेरी रात में पड़ती है और यही कारण है कि हम इस दिन प्रकाश और दियों के साथ हमारे चारों ओर उजाला करते हैं। हम देवी लक्ष्मी से प्रार्थना करते है और अपने अच्छी तरह से सजाए गए घरों में उनका स्वागत करने की पुरानी परंपरा का पालन करते हैं। और हां, हम इस दिन पटाखे जलने की परंपरा को कैसे भूल सकते हैं? पटाखों की आवाज़ हवा में भर जाती है, रोशनी आकाश तथा हमारे घरों को जगमगा देती है और चारों ओर खुशी होती है। अच्छा लगता है, है ना? हर किसी की तरह, मैं भी हर साल इस दिन की प्रतीक्षा करती हूं। लेकिन, यह त्यौहार पर्यावरण पर कुछ हानिकारक प्रभावों से भी जुड़ा हुआ है।

पर्यावरण और समाज पर दिवाली का प्रभाव

वायु प्रदूषण: दिवाली का मजा फटाखे फोड़ने में है। इसका नतीजा गंभीर वायु प्रदूषण है। हमारे देश के पहले से ही प्रदूषित शहर इस दिन और अधिक वायु प्रदूषित हो जाते हैं। पटाखे जलाने से सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि जहरीले गैसे निकलती है और हवा में प्रदूषण फैलाती हैं। इससे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी वायु प्रदूषित बीमारियां होती हैं। बड़े और बच्चे सभी इससे प्रभावित होते हैं। जानवर और पक्षियां भी। इससे धुआं भी होता है जिससे दिवाली के बाद रात में दिखाई पड़ना कम हो जाता है।

ध्वनि प्रदूषण: न केवल धूल और धुंआ, फटाखे को फोड़ने से ध्वनि प्रदूषण होता है जो समान रूप से हानिकारक है और बूढ़े बीमार लोगों, अस्पतालों के रोगियों को प्रभावित करता है। गंभीर मामलों में, ध्वनि प्रदूषण से उच्च रक्तचाप, अनिद्रा और कम सुनाई पड़ने जैसी हानियां हो सकती है। दिवाली के दौरान पटाखों की तेज आवाज़ से जानवर और पक्षियां भी बहुत बुरी तरह से प्रभावित होती है।

बाल श्रम: जब हम जलते हुए पटाखों का आनंद लेते हैं, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अधिकांश पटाखे छोटे बच्चों द्वारा बनाएं जाते हैं जो कारखानों में मजदूरों के रूप में काम करते हैं। ये पटाखे खतरनाक पदार्थों, रसायनों और एसिड का उपयोग करके तैयार किए जाते हैं। इस प्रक्रिया में, वे बहुत गंभीर परिस्थितियों में बहुत कम मजदूरी पर काम करते हैं, जिसमें हानिकारक धुएं के कारण वे बीमार पड़ जाते हैं, उनके पैरों, हाथों और आंखों में जलन होती रहती है।

ऊर्जा की खपत: दिवाली में इन दिनों इलेक्ट्रिक लाइट और बल्ब का उपयोग करना एक ट्रेन्ड है। न केवल घरों, व्यापार प्रतिष्ठानों, कार्यालयों, दुकानों, स्मारकों और सड़कों को दीवाली से पहले और उसके बाद भी इलेक्ट्रिक लाइट से सजाया जाता है। इसका नतीजा ऊर्जा के स्रोतों पर भारी बोझ और भारी मात्रा में बिजली की खपत।

चारों ओर कचरा: हम दिवाली के ठीक बाद अपने इलाकों में सड़कों पर इकट्ठा कचरे और कूड़े के बारे में कैसे भूल सकते हैं? दिवाली के बाद हुए कचरे की मात्रा बहुत अधिक होती है। पिछले साल, अकेली दिल्ली में, लगभग 4,000 अतिरिक्त मीट्रिक टन कचरा निकला था। यही कचरा मुंबई में दोगुना था। यह कचरा खतरनाक है क्योंकि इसमें सल्फर, फॉस्फोरस, पोटेशियम क्लोराइट और पटाखों का जला कागज शामिल होता हैं। इतना ही नहीं, आपको सड़कों पर खाली मिठाई के डिब्बे, उपहार रैपर, सूखे फूल भी मिलते हैं।

दुर्घटनाएं और जलना: आखिरी लेकिन कम नहीं, जलने से घायल होने के सहित हम दीवाली पर होने वाली छोटी और बड़ी दुर्घटनाओं को अनदेखा नहीं कर सकते हैं। 40% से अधिक जलने की चोटें 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में होती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल पटाखों द्वारा लगभग 10,000 लोग घायल हो जाते हैं। बहुत सी मामूली चोटें भी होती हैं जो दर्ज नहीं हैं लेकिन पीड़ितों को बहुत दर्द होता है।

भारत सरकार के कानूनी कदम

  • शांतिपूर्ण नींद का अधिकार देश के हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। इसे ध्यान में रखते हुए, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली के त्यौहार के दौरान 10 बजे के बाद पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है। दशहरा और अन्य त्यौहारों के लिए भी यही नियम लागू है।
  • एनकिरोनमेंट प्रोटेक्शन एक्ट, 1986 के तहत अधिकतम 125 डीबी पर पटाखों के लिए एक डेसिबल सीमा तय की गई है।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है जिनका डीबी स्तर उस बिंदु से जहां उन्हें जलाया जाता है 4 मीटर की दूरी पर 125 से अधिक है ।
  • इसके अलावा, 10:00 बजे के बाद लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं किया जा सकता है और पाएं गए अपराधी को 5 साल की जेल या 1 लाख रुपये का जुर्माना लग सकता है।

स्वच्छ भारत अभियान और प्रदूषण मुक्त दिवाली हम हमेशा अपने पर्यावरण को साफ रखने की बात करते हैं। लेकिन, इसके बाद फिर से, केवल हम लोग ही हैं जो इसे प्रदूषित करते हैं। स्वच्छ भारत अभियान 2 अक्टूबर 2014 को लॉन्च हुआ जिसमें एक स्वच्छ भारत पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री ने हमारे घरों और मुहल्लों में स्वच्छता बनाए रखने के लिए हममें से प्रत्येक को अपील की है। इन परिस्थितियों में, मुझे आश्चर्य है कि लोग कैसे इस बार दिवाली का जश्न मनाने जा रहे हैं, जब यह एक त्यौहार है जो एक वर्ष में अधिकतम प्रदूषण पैदा करता है, वह भी, एक छोटी अवधि के भीतर।

क्या हम इस बार एक प्रदूषण मुक्त दिवाली मना सकते हैं? प्रदूषण मुक्त दिवाली एक नई अवधारणा नहीं है। पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, इस बार पर्यावरण अनुकूल और प्रदूषण मुक्त दीवाली मनाने का हमारा कर्तव्य होना चाहिए। यह मुश्किल नहीं है। यदि इसके प्रति हमारी इच्छा है, तो हम ऐसा कर सकते हैं।

  • सबसे पहले, इलेक्ट्रिक लाइट के स्थान पर मिट्टी के दिया या दीपक जलकर दिवाली मनाएं। इलेक्ट्रिक लाइट से घरों को सजाने की नई प्रवृत्ति की तुलना में पुरानी परंपरा काफी बेहतर है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि, ये अधिक तेल खपत करते है लेकिन दियों की अवधि कम होने के कारण कम प्रदूषण होता है। इसके अलावा, ये सुंदर दिखते है।
  • मुझे पता है, कहना आसान है कि “पटाखे फोड़ना बन्द करों”, लेकिन हकीकत में ऐसा करना मुश्किल है। आखिरकार, हम अचानक एक पुरानी परंपरा को कैसे रोक सकते हैं? कानूनी दुकानों से पटाखे खरीदना बेहतर होता है, जहां पैकेट को निर्माता के नाम, निर्देशों, आइटम का नाम, डेसिबल स्तर सहित उचित रूप से लेबल किया जाता है।
  • आजकल, पर्यावरण अनुकूल पटाखे भी उपलब्ध हैं जो कम धुंआ और कम ध्वनि उत्पन्न करते हैं।
  • आमतौर पर पटाखों को कम से कम खरीदें।
  • अपने समुदाय में सभी दोस्तों, परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों के साथ पटाखे फोड़ने के लिए अपने मुहल्ले में एक खुली जगह का चयन करें। कम आवाज वाले पटाखे फोड़ने का प्रयास करें।
  • अगले दिन उस स्थान को साफ करना सुनिश्चित करें और आवंटित स्थान में कचरा फेंक दें।
  • अपने घर और रसोई में उपलब्ध सामग्री का उपयोग करके रंगोली बनाएं, जैसे ताजे फूलों सहित लाल, सफेद के लिए चावल पाउडर, पीले कि लिए हल्दी या दालें, लाल कि लिए सिन्दूर।

एक पर्यावरण अनुकूल प्रदूषण मुक्त दिवाली का पालन करके, हम इस देश के नागरिकों के रूप में, समाज, पर्यावरण के साथ-साथ स्वच्छ भारत अभियान के प्रति अपना योगदान दे सकते हैं।

आप सभी पाठकों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

Like us on Facebook

Recent Comments

Archives
Select from the Drop Down to view archives