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भारत में होली का जश्न मनाने के लिए शीर्ष 10 स्थान

February 27, 2018
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हैप्पी होली

“होली कब है … कब है होली?” शांत हो जाओ, गब्बर। होली हर साल लगभग मार्च के महीने में पूर्णिमा को मनाई जाती है। सभी भारतीय त्यौहारों में सबसे आकर्षक और मौजमस्ती वाला यह त्यौहार, सभी गिले-शिकावों को भूलने वाला एक विशेष त्यौहार है जब अपने हाथ में पानी की पिचकारी और रंगों को लेकर अपने रिश्तेदारों, पड़ोसियों, हमजोलियों और चुनरीवाली बलम (प्रेमिका) पर रंग डालते हैं, तो आपको कोई कुछ भी नहीं कह सकता-और रंग डालते हुए सबसे आप चिल्लाकर कहते हैं “बुरा ना मानो होली है..”। ब्रज से बंगाल और दिल्ली से मुंबई तक मनाए जाने वाला यह त्यौहार एक बार फिर से आपको बच्चा बनने का एक मौका देता है, फिर से शरारती होने का एक बहाना है जिसमें तीन तरह के धार्मिक संस्कार, होलिका दहन, भांग में डुबना और होली गीत चांग सुनते है।

भगवान नरसिंह, हिरण्यकश्यप, प्रहलाद और होलिका की कहानी हमें इस तथ्य की याद दिलाती है कि सच्चाई और मानवता भी शक्ति के ही समान हैं। आइए हम सभी प्यार, विश्वास और खुशी के रंग में डुब जाए, जिसका अनु मलिक लंबे समय से समर्थन करते आए हैं कि होली का अर्थ जश्न मनाना या लिप्त होना नहीं है बल्कि वास्तव में होली खेलना है। यहाँ होली का उत्सव मनाने के लिए कुछ बेहतरीन जगहें दी गई हैं –

मथुरा और वृंदावन, उत्तर प्रदेश

कृष्ण और राधा के बीच की दिव्य प्रेम कहानियों से परिपूर्ण, ब्रज क्षेत्र ने पूरे भारत में होली के इस त्यौहार का फैलाया था। मथुरा, वृंदावन, गोकुल और नंदगांव के कस्बें, कृष्ण के जन्म और बचपन का प्रमाण देतेहैं। बरसाना में राधा रानी का मंदिर में, विश्व प्रसिद्ध लठमार होली, मथुरा की गलियों में एक पैर पर चलकर मंदिर के लिए जाना या वृन्दावन में बाँके बिहारी मंदिर की रासलीला में हिस्सा का आनंद लेकर अपनी सहन शक्ति का परीक्षण कर सकते है। और जब 16 दिन तक मनाया जाने वाला होली का समारोह खत्म हो जाए, तब आप स्वयं सेवक के रुप में विधवाओं की सेवा करें।

वाराणसी (बनारस), उत्तर प्रदेश

साधुओं का चिलम-धूम्रपान, नदी-घाटों पर यात्री, शाम की आरती के अनुष्ठान और तैरते दिये की वो पहली छवि ही है जो वाराणसी शहर का विचार करते ही मन में आती है। आध्यात्मिक भारत का चेहरा होने के नाते, भारत के इस पवित्र शहर में होली मनाने का एक अपना ही अनोखा अनुभव है। यहाँ होली के अवसर पर सड़कें रंगों से भरी हुई होती हैं, भांग के स्वाद वाली ठंडाई सामान्य तौर पर पी जाती है और मुख्य रुप से गुझिया खायी जाती हैं। वास्तव में, चाहे कोई देशी हो या विदेशी अगर उसके कपड़े पूरी तरह से रंग में कभी भीगे नहीं हैं, तो उसके लिए होली एक उचित खेल है।

ऋषिकेश, उत्तराखंड

ऋषिकेश को पूजनीय आश्रम, अच्छे शरण स्थल और सुखद मौसम के लिए जाना जाता है, जोकि होली समारोहों के लिए एक अच्छी जगह है। होली के मौसम में, इस शहर की गलियों में उत्सुकता से हवाओं में रंग और फिरंगियों के रंगीन चेहरे हमेशा दिखाई देते हैं। अजनबियों को गले लगाना और उनको गुलाल में रंगना या एक कैफे में बैठे विदेशियों के साथ इस त्यौहार में भाग लेना आदि सबकुछ आपको बहुत रोमांचक लगेगा और फिर आपको महसूस होगा कि आप इस शहर को पहले से जानते थे, जो आपके पड़ोसी शहर जैसा है।

जयपुर, राजस्थान

राजस्थान में होली उत्तरी भारत के समान ही शाही तरीके से अधिक या कम मनाई जाती है। होली के दो दिन के उत्सव में यह ‘गुलाबी शहर’ स्वंय भी एक अलग रंग में डूब जाता है। होटल खासा कोठी और रामबाग पोलो मैदान परंपरागत राजस्थानी लोक संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और निश्चित रूप से रंगों के लिए प्रसिद्ध हैं। यह त्यौहार स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच जीवंतता और उत्साह का प्रतीक है। एक अन्य विकल्प के रुप में, होली का उत्सव मनाने के लिए उदयपुर शहर में जाना भी अच्छा है जहाँ शाही राजपूत परिवार होली के त्यौहार के लिए विशेष समारोह आयोजित करते हैं।

अमृतसर, पंजाब

होली के साथ-साथ सिख अपनी शैली और ऊर्जा को सभी भारतीय त्यौहार में लाए हैं। होलाष्टक नामक एक हफ्ते की लंबी अवधि पंजाब में होली के आगमन की तैयारी शुरू कर देती है। अमृतसर में दुर्गियाना मंदिर का मैदान होली समारोहों के लिए विशेष है और जो राज्य भर से बड़ी संख्या में भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। होला मोहल्ला, निहंग सिखों के बीच तीन दिन तक चलने वाला एक लोकप्रिय समारोह है, जो गहरे नीले रंग की पगड़ी बांधते हैं और आनंदपुर साहिब में दिल दहला देने वाले करतब दिखाते हैं।

द्वारका, गुजरात

एक बार जब आप गुजरात में होली का उत्सव मना लेगें, तो आप डांडिया और नवरात्रि समारोहों को याद नहीं करेंगे। इस राज्य से मुख्य रूप से नृत्य, भोजन और संगीत के साथ होली का जश्न मनाने का मूल तरीका मिलता है। पिचकारियों में रंगों का पानी भरकर दूसरों पर डालना, बच्चों द्वारा पानी से भरे गुब्बारे छत से छिपकर लोगों पर फेंकना और मानव के पिरामिड बनाकर छाछ की मटकियाँ फोड़ना जैसी तमाम गतिविधियाँ यहाँ देखने को मिलेगीं। द्वारका शहर के किनारे पर स्थित, द्वारकाधीश मंदिर में बड़े उत्साह और जुनून के साथ इस उत्सव को मनाया जाता है।

पणजी, गोवा

गोवा में पार्टी और अराजकता के बीच एक अच्छा अंतर है। कोंकण उत्सव शिमगोत्सव, हिंदू त्यौहार होली के साथ मिलता जुलता है। रात में बैंड, परेड और संगीत यात्रा की गूंज के साथ एक सड़क आनंदोत्सव निकाला जाता है। पौराणिक कथाओं के साथ मंडली के प्रदर्शन और सांस्कृतिक नाटक पंणजी में देखने वाले मुख्य आकर्षण हैं।

शान्तिनिकेतन, पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल के सांस्कृतिक क्षेत्रों में, होली का उत्सव मनाने का एक अलग ही आनंद है। बसंत उत्सव, जो शान्तिनिकेतन में बसंत के आगमन का प्रतीक है, इस उत्सव को मनाने की शुरुआत रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। कला, संस्कृति और लोक नृत्य का तीर्थस्थान होने के नाते, यह त्यौहार सिर्फ दिखावटी रूप से नहीं अपितु आत्मा से मनाया जाता है। इसकी ऐतिहासिक संस्था का अनौपचारिक आकर्षण उत्सुकता के साथ सभी का स्वागत करता है। पर्यटक यहाँ की परंपरागत मिठाईयाँ जैसे रसगुल्ला, मालपुआ, मिष्टी दोई, सन्देश और पायेश को चखने का आंनद ले सकते हैं

इंदौर, मध्य प्रदेश

इंदौर शहर में, मराठों के इतिहास पर अधारित होली का त्यौहार पांच दिनों तक चलता है, जो कई कई समारोहों का साक्षी है। इस समारोह के अंतिम दिन, जिसे पंचम होली कहा जाता है, रंग और पानी की बाल्टियां बाहर आती हैं। स्थानीय अधिकारी पुराने शहर की संकीर्ण गलियों में रंगीन पानी का छिड़काव करके समारोह का समर्थन करते हैं। होली का एक थोड़ा ग्राम्य अनुभव लेने के लिए, उज्जैन और रतलाम की यात्रा करें जहाँ के आदिवासी लोग अपने पारंपरिक नृत्य गियर को इस उत्सव में करते हैं, जो लगभग गरबा के ही समान किया जाता है।

पूरी, ओडिशा

यहाँ पर जोरदार भजन और आनंदपूर्ण माहौल के बीच, भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के साथ चित्रमय ढंग से सजायी गई पालकी को डोला यात्रा के एक भव्य जुलूस में निकाला जाता है। ‘अबीर’ और ‘गुलाल’ को डालते हुए ढोल बजाना, नृत्य करना और न रुकने वाले आनंद का नजारा आपको कही और नहीं बल्कि इसी शहर में देखने को मिलेगा। शाम होने के बाद में, स्थानीय लोगों द्वारा बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में होलिकादहन किया जाता है। इसके बाद, विवाहित महिलाएं होलिकादहन की राख को एकत्र करती हैं और चित्र बनाने के लिए इसे चावल और पानी के साथ प्रयोग करती हैं।

हम्पी (कर्नाटक का एक नगर), पटना, रायपुर और चंडीगढ़ अन्य कई जगहें हैं जहाँ होली का उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता हैं। यदि आपका चेहरा इंद्रधनुष रंग की तरह रंगीन या ओम्पा लूपा की तरह दिखाई नहीं देता है, तो इसका मतलब आप जीवन की बहुमूल्य छोटी खुशियों को खो रहे हैं।