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प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय भारतीय महिला खिलाड़ी

January 18, 2018
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प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय भारतीय महिला खिलाड़ी

हालांकि काफी समय तक भारतीय महिलाएं पारंपरिक रूप से एथलेटिक में बहुत लंबे समय तक अंतर्राष्ट्रीय और यहाँ तक कि राष्ट्रीय खेलों के आयोजनों और प्रतियोगिताओं में भाग लेने से हिचकती रहीं हैं। लेकिन सन 1980 के दशक की शुरूआत से महिलाओं की नई पीढ़ी उभर कर आई, जिसने न केवल अपने सपनों को जीतने की हिम्मत दिखाई, बल्कि वैश्विक खेलों के नक्शे पर भारत को भी शिखर पर ले गईं। उनमें से ज्यादातर महिलाओं ने ग्रामीण भारत से आकर खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, जो परंपरागत रूप से भारत की ताकत हैं। यहाँ 10 ऐसी भारतीय महिलाओं की कहानी का वर्णन किया गया है, जिन्होंने खेल की दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों का दावा पेश किया है।

एमसी मैरी कॉम

अंतर्राष्ट्रीय महिला मुक्केबाजी में भारत का नाम दर्ज कराने वाली मंगटे चुंगनेजांग मैरी कॉम (एमसी मेरी कॉम) का जन्म वर्ष 1983 में मणिपुर राज्य मे हुआ था। एक गरीब कृषि मजदूर के परिवार से संबंधित होने के बावजूद मैरी कॉम ने सभी बाधाओं के खिलाफ अपने मुक्केबाज बनने के सपने का पीछा किया। वह 2012 के लंदन ग्रीष्मकाल ओलंपिक के लिए देश की एकमात्र महिला मुक्केबाज थीं जिन्होंने लाइट फ्लाइवेट श्रेणी में कांस्य पदक जीता था। सन 2014 में, इनचान में आयोजित एशियाई खेलों में उन्होंने महिला मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक भी जीता। वह पाँच बार महिला विश्व एमेच्योर बॉक्सिंग चैंपियन विजेता बनीं, उन्होंने भारत को गर्वांवित किया है और सन 2013 में इनको पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

सानिया मिर्जा

सानिया मिर्जा अब भारत के सबसे प्रसिद्ध खिलाड़ियों में से एक हैं। इनका जन्म सन 1986 में हैदराबाद में हुआ था, सानिया मिर्जा ने काफी कम उम्र में भारत की राष्ट्रीय टेनिस में खलबली मचा कर रख दी। उनका अंतर्राष्ट्रीय कैरियर सितारों से कम नहीं रहा है। मिर्जा वर्तमान में वोमेन डबल्स टेनिस में वैश्विक स्तर पर नंबर वन स्थान पर कायम हैं। सानिया मिर्जा ने वर्ष 2003 और वर्ष 2013 के बीच अंतर्राष्ट्रीय एकल टेनिस प्रतियोगित में भाग लिया और कई उल्लेखनीय जीतों (स्वेतलाना कुजनेत्सोवा, मार्टिना हिंगिस और नादिया पेट्रोवा के खिलाफ) को अपने नाम करलिया, जिस वजह से वह विश्व की 27 वीं रैंकिग में अपना स्थान बनाने में कामयाब रहीं। वह भारत के सबसे खास और सर्वोत्तम पदक जीतने वाली खिलाड़ियों में से एक हैं, वर्ष 2003 हैदराबाद में होने वाले एफ्रो-एशियाई खेलों में 4 स्वर्ण पदक जीत हासिल कर वह सन 2002 और सन 2014 के बीच एशियाई खेलों में अलग-अलग पदकों के साथ जीत हासिल कर चुकी हैं। अपनी कलाई की चोट के बाद, मिर्जा ने अपने डबल्स कैरियर की ओर ध्यान केंद्रित किया और शानदार जीत की एक झलक के बाद सन 2015 में मार्टिना हिंगिस के साथ विंबलडन चैंपियनशिप का दावा पेश करने में सफल रहीं।

साइना नेहवाल

भारत की महान बेटी साइना नेहवाल का जन्म सन 1990 में हुआ था। प्रकाश पदुकोण के बाद, भारत में बैडमिंटन के क्षेत्र में बड़ी गिरावट देखने को मिली, इसके बाद नेहवाल ने बैटमिंटन के क्षेत्र में भारत को विश्व में शीर्ष पर स्थापित करने की जिम्मेदारी संभाली। वर्तमान में नेहवाल वर्ष 2015 बैडमिंटन विश्व फेडरेशन महिला एकल रैंकिंग में नंबर-1 स्थान पर कायम हैं। सन 2012 के लंदन ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में उन्होंने महिला बैडमिंटन के लिए कांस्य पदक जीता। अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन सर्किट में कई अन्य पुरस्कार जीतने के अलावा, वर्ष 2009 में विश्व जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाली नेहवाल देश की पहली खिलाड़ी बनीं। उनको वर्ष 2010 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया

पीटी उषा

पीटी उषा या पायोली एक्सप्रेस के रूप में प्रसिद्ध यह खिलाड़ी, जो अंतर्राष्ट्रीय स्पॉटलाइट का दावा पेश करने वाली पहली भारतीय महिला खेलों में शामिल थीं। वर्ष 1980 की शुरुआत में मॉस्को ओलंपिक में चुने जाने की योग्यता के लिए, उन्होंनें भारतीय महिलाओं को संकेत दिया कि वे अंतर्राष्ट्रीय खेलों के शीर्ष पर पहुंचने में सक्षम हैं। उन्होंने वर्ष 1985 में जकार्ता की एशियन एथलेटिक मीट में 5 स्वर्ण पदक और एक कांस्य पदक जीता और अगले वर्ष में, वह सियोल में आयोजित एशियाई खेलों में 4 स्वर्ण पदक और एक रजत पदक भी जीतीं। न केवल महिलाओं बल्कि एथलेटिक्स को सबसे आगे लाने के लिए, पीटी उषा सन 1980 और सन 1990 के युवाओं के लिए आदर्श बन गईं।

कर्णम मल्लेश्वरी

भारत में मुक्केबाजी, भारोत्तोलन और कुश्ती ऐसे खेल रहे हैं, जिनमें दशकों से पुरुषों का वर्चस्व रहा है। सन 1975 में आंध्र प्रदेश में जन्मीं कर्णम मल्लेश्वरी का सपना था कि वह भारोत्तोलन में उतर कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगी। ऐसा उन्होंने ऐलान के साथ कहा था क्योंकि उन्होंने वर्ष 1992 में थाईलैंड में एशियाई चैंपियनशिप में महिलाओं के भारोत्तोलन में तीन रजत पदक जीते थे। वर्ष 1998 में, उन्होंने बैंकाक में हुए एशियाई खेलों में रजत पदक जीत रखा था। बाद में, सन 2000 में उन्होंनें सिडनी ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक भी जीता। कई राष्ट्रीय चैंपियनशिप के अलावा, मल्लेश्वरी ने राजीव गाँधी खेल रत्न भी जीता। सन 1999 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

अंजली भागवत

अंजली वेदपाठक भागवत का जन्म महाराष्ट्र में सन 1969 में हुआ था। वह एक और ऐसी महिला थी जो एक बेहतरीन खिलाड़ी के रूप में उभर कर आईं और वैश्विक स्तर पर भारत की महिलाओं का दावा पेश किया। भागवत की अंतर्राष्ट्रीय जीत की सूची लंबी है, लेकिन इनमें से सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि वह वर्ष 2003 में आयोजित एयर रॉयफल स्पर्धा में विश्व कप फाइनल में उन्होंने जीत हासिल की और 2002 के विश्वकप में अंतिम रजत पदक के रूप में जीत हासिल की थी। इसके अलावा, उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स 2002 में एयर राइफल और स्पोर्ट्स 3पी इवेंट्स दोनों में नए रिकॉर्ड भी बनाए और स्वर्ण पदक भी जीते।

सबा अंजुम करीम

खेल मंत्रालय द्वारा हाल ही में एक घोषणा होने के बावजूद कि यह हमारा राष्ट्रीय खेल नहीं है, कई दशकों तक हॉकी भारत का पसंदीदा खेल रहा है। भारत की महिला हॉकी टीम को सबसे आगे ले जाने वाली सबा अंजुम करीम है। करीम का जन्म सन 1985 में छत्तीसगढ़ राज्य में हुआ था। सबा अंजुम ने अपनी टीम को कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शामिल किया और दोहा में आयोजित वर्ष 2006 के एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने के अलावा उन्होंने मैनचेस्टर में वर्ष 2002 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक भी जीता और वर्ष 2004 में दिल्ली में हुए एशिया कप पर भी उन्होंनें अपना कब्जा किया।

कुंजरानी देवी

इम्फाल (राज्य – मणिपुर) में सन 1968 में जन्मीं, नमेइरक्पम कुंजरानी देवी बचपन से वेटलिफ्टिंग चैंपियन बनना चाहती थीं। मैनचेस्टर में हुई सन 1989 विश्व महिला भारोत्तोलन चैंपियनशिप में तीन रजत पदक के साथ जीत की शुरूआत करके उन्होंने कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों को जीतना आरम्भ कर दिया। उन्होंने भारतीय महिलाओं द्वारा परंपरागत रूप से पसंद किए जाने वाले खेलों के प्यार के लिए बहुत विरोध किया। उन्होंने सन 1995 के राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में एक स्वर्ण पदक सहित, दक्षिण अफ्रीका में 1995 के एशियाई भारोत्तोलन चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक और मेलबर्न में सन 2006 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक सहित अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कई पदक जीते। घर वापसी पर, वह सन 2011 में पद्म श्री से सम्मानित की गईं थीं।

अंजू बॉबी जॉर्ज

वर्ष 1977 में दक्षिणी राज्य केरल में जन्मी अंजू बॉबी जॉर्ज का खेल और एथलेटिक्स में बचपन से ही बहुत प्यार दिखाया। देश के अन्दर कई खिताब जीतने के बाद जॉर्ज ने सबसे पहले मैनचेस्टर में आयोजित सन 2002 के राष्ट्रमंडल खेलों में लंबी कूद में कांस्य पदक जीता और अंतर्राष्ट्रीय खेलों में अपनी एक छाप छोड़ी। पेरिस में सन 2003 विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य जीतने के बाद वे सुर्खियों में आईं। इसके बाद में सन 2005 में, उन्होंनें आईएएएफ विश्व एथलेटिक्स फाइनल में अपनी लंबी कूद प्रदर्शन के लिए स्वर्ण पदक भी जीता। घर वापसी पर, जॉर्ज को 2002 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और देश में खेलों के लिए वह एक प्रेरणा बनी हुईं हैं।

पी.वी. सिंधु

हैदराबाद में 1995 में जन्मीं पी.वी. सिंधु भारत की ओर से एक और बैडमिंटन स्टार हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियनशिप में कई पदक जीते हैं, जिसमें सन 2013 और सन 2014 दोनों में विश्व चैंपियनशिप में महिला एकल कांस्य भी शामिल है, सन 2014 में इंचेऑन एशियाई खेलों में कांस्य पदक और एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक और 2011 के कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स में स्वर्ण पदक भी जीते। सन 2014 में, सिंधु को विश्व महिला बैडमिंटन रैंकिंग में 9वां स्थान मिला था और वर्तमान में वह 13वें स्थान पर हैं।