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पर्यावरण के अनुकूल 5 पर्यटन स्थल जहाँ आप जाने से चूकना नहीं चाहेंगे

February 6, 2018
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पर्यावरण के अनुकूल 5 पर्यटन स्थल जहाँ आप जाने से चूकना नहीं चाहेंगे

सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान – पश्चिम बंगाल:

सुंदरवन यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है, जो 1,330 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। टूरीस्ट गंतव्य के लिए यह एक सबसे अच्छी जगह है और यहाँ यात्री सबसे ज्यादा आना पसंद करते हैं, यह जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए नंबर 1 स्थान साबित होगी। सुंदरवन पश्चिम बंगाल का हिस्सा है जो ज्यादातर दलदली भूमि, सहायक नदियों, जल श्रोतों और कई नदियों से मिलकर बना है, इसके साथ ही कई प्रकार के जंगलों और द्वीप एक साथ मिलकर इसे एक अनोखा डेल्टा बनाते हैं।

सुंदरवन का विशाल मैनग्रूव (जमीन से उभरी हुई जड़ें) क्षेत्र प्रसिद्ध रॉयल बंगाल टाइगर का घर है और यहाँ पर सुंदरवन टाइगर रिजर्व पारिस्थिति के संतुलन को बनाए रखने के साथ-साथ बाघों के संरक्षण के लिए समर्पित है। सुंदरवन एक बायोस्फीयर (जैवमंडल) पार्क भी है और प्रकृति प्रेमियों को इस क्षेत्र में अद्वितीय जानवरों, वनस्पतियों और जीवों की एक विस्तृत श्रृंखला देखने को मिल सकती है।

सुंदरवन की यात्रा करते समय, भागाबतपुर क्रोकोडायल प्रॉजेक्ट (भागाबतपुर मगरमच्छ परियोजना) फार्म को देखना नहीं भूलना चाहिए, जहाँ पर खारे पानी के मगरमच्छों को बहुत ही परिश्रम के साथ संरक्षित किया गया है, जो वहीं के मूल (स्थानीय) हैं। यह सप्तमुखी नदी के मुहाने के तट पर स्थित लोथियन द्वीप से जुड़ा हुआ है।

सुंदरवन में आप आसानी से तेंदुए, लोमड़ी, मकैक (अफ्रीका का लंगूर), जंगली बिल्ली, जंगली सूअर, चीतल और कई ऐसे अन्य जीवों को देख सकते हैं जो पूरे भारत में शायद ही कहीं एक जगह देखने को मिलें। यहाँ पर जीवों की कई विलुप्त प्राय प्रजातियां पाई जाती हैं जैसे ओलिव रिडले समुद्री कछुए, हॉर्सशू क्रैब, गंगा नदी की डॉल्फिन, हॉक्सबिल सी टर्टल और कई अन्य लुप्त प्राय जीव देखने को मिल सकते है।

यहाँ पर्यटन के लायक कई अन्य स्थान भी हैं जैसे, गंगा सागर, सज्नेखाली पक्षी अभयारण्य, हालीडे द्वीप, बुरीदबरी बाघ संरक्षण और जांबुड़द्वीप।

कैसे पहुँचे: सुंदरवन कोलकाता से लगभग 150 किलोमीटर दूर स्थित है और इस यात्रा का सबसे अनोखा अनुभव पश्चिम बंगाल पर्यटन निगम द्वारा संचालित नाव द्वारा यात्रा करके प्राप्त किया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति आसानी से कोलकाता से कैनिंग के लिए ट्रेन पकड़ सकता है, कैनिंग जो सुन्दरवन का अंतिम रेलवे स्टेशन है जो सुन्दरवन के सबसे निकट है।

राजमाला राष्ट्रीय उद्यान, केरल:

इस उद्यान को राजमाला राष्ट्रीय उद्यान नाम के अलावा एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान के रूप में भी जाना जाता है, यह अद्भुत जैव समृद्ध पार्क 97 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और मुन्नार से 15 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह उद्यान नीलगिरि तहर, दक्षिण भारतीय पहाड़ी बकरी, का घर है। यह एक यूनेस्को धरोहर परियोजना भी है।

मुन्नार क्षेत्र के घुमावदार हरे भरे मैदानों के बीच से ड्राइविंग करते हुए जाना एक आनंदायी अनुभव प्रदान करता है और साथ ही जब हम एराविकुलम की यात्रा करते हैं, तो इस क्षेत्र में कई अद्भुत जैव समृद्ध पार्क देखने को मिलते हैं जैसे मथिकेत्तन शोला राष्ट्रीय उद्यान, चिन्नार अभयारण्य, अनामुदी शोला नेशनल पार्क, कुरिन्जिमाला सैंक्चुरी और पंपडमशोला राष्ट्रीय उद्यान आदि।

मानसून के दौरान और उसके बाद में, यह क्षेत्र हरियाली का स्वर्ग बन जाता है, जो समृद्ध वनस्पतियों और जीवों को उत्पन्न करता है। प्रसिद्ध कावेरी और पेरियार नदियाँ इस क्षेत्र में बहती हैं और यहाँ के लक्कम झरने को देखना बिल्कुल ना भूलें।

इस जगह पर अद्वितीय वन्यजीव जैसे नीलगिरि तहर, नीलगिरि लंगुर, नीलगिरि वुड पिजन, गोल्‍डन जैकाल, धारीदार गर्दन वाला नेवला, भारतीय काकड़ आदि कई अद्भुत जीव पाए जाते हैं।

कैसे पहुँचेः हवाई मार्ग – कोचीन निकटतम हवाई अड्डा है। वहाँ से पार्क तक पहुँचने के लिए ड्राइव करना पड़ता है।

रेल द्वारा – निकटतम स्टेशन एरणाकुलम जंक्शन, कोच्चि है।

चिल्का झील, ओडिशा:

चिल्का झील, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी तटीय लैगून झील है और भारत की यह अपने प्रकार की सबसे बड़ी झील है। 3,500 किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैली हुई चिल्का प्रसिद्ध इरावदी डालफिन, स्पून बिल सैंडपाइपर, इंडो-पैसिफिक टैपोन, एग्रेट्स, ग्रे एंड पर्पल हेरॉन्स, डाल्मैटियन पेलिकन, स्पॉट-बिल पेलिकन का घर है। यह क्षेत्र 700 से अधिक प्रकार के पौधों की किस्मों का घर है। चिल्का के पानी में सरीसृपों और उभयचरों की एक विशाल विविधता पाई जाती है।

कैसे पहुंचे: हवाई मार्ग – निकटतम हवाई अड्डा भुवनेश्वर है, यहाँ से कोई भी व्यक्ति बलुगओं से ट्रेन या सड़क द्वारा जा सकता है। बलुगओं स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है।

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, असम:

यह 430- वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ विश्व विरासत स्थल, एक सींग वाले गैंडों का घर है। काजीरंगा को बर्ड लाइफ इंटरनेशनल द्वारा एक महत्वपूर्ण बर्डएरिया के रूप में मान्यता दी गई है, क्योंकि यह कई पक्षी प्रजातियों और प्रवासी पक्षियों का घर है, जो कि ऋतुओं के अनुसार आवागमन करते रहते हैं।

काजीरंगा लंबी एलीफेंट ग्रास, घने जंगलों और बड़े मार्शलैंड्स के लिए जाना जाता है। एक सींग वाले गैंडों के अलावा, काजीरंगा बाघों के भी एक घर के रुप में जाना जाता है जो कि यहाँ अत्यधिक नमी (वर्षा वन) वाले जंगल होने के कारण, अस्तित्व बनाए रखने में कामयाब रहे हैं। यहाँ पर आकर आपको जंगली हाथी, पूर्वी दलदली हिरण, एशियाई जंगली भैंसा, स्‍लॉथ बेयर, लार्जइंडियन सीविट, बंगाली लोमड़ी, फिशिंग कैट, हॉग बैजर, असमिया मैकाक आदि के अलावा और भी बहुत कुछ देखने को मिल सकता है।

कुछ लोग काजीरंगा को जालीदार अजगर और रॉक पाइथन के घर के रूप में जानते हैं जो दुनियाँ के सबसे बड़े सांपों में गिने जाते हैं। आगंतुक इस पार्क क्षेत्र में चारों ओर हाथी की सवारी या सरकार द्वारा संचालित जीप पर सवारी कर पार्क का आनंद उठा सकते हैं।

कैसे पहुँचें: हवाई मार्ग – जोरहाट हवाई अड्डा सबसे करीब है, जो पार्क से 97 कि.मी. की दूरी पर स्थिति है, इसके अलावा पांच घंटे की ड्राइव पर – गुवाहाटी लगभग 250 कि.मी. दूर है।

नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व, उत्तराखंड:

630 वर्ग कि.मी. में फैले हुए नंदा देवी नेशनल पार्क और फूलों की घाटी के संयोग से नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व का निर्माण होता है। यह बायोस्फीयर रिजर्व यूनेस्को विश्व विरासत स्थल है और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है।

मार्च और सितंबर के बीच इस उद्यान की यात्रा करना सबसे अच्छा रहता है, क्योंकि इस समय के दौरान सुंदर पहाड़ों के चारों तरफ फैली हुई खूबसूरत सदाबहार हरियाली इसे एक छुट्टी-सह-अध्ययन गंतव्य बनाती है। क्षेत्रीय हिस्सों से ट्रेकिंग करते हुए कोई भी व्यक्ति दुर्लभ हिमालयी पक्षियों की प्रजातियाँ, फूल और वन्यजीवों को देखने को पा सकता है जो इस क्षेत्र में विशिष्ठ हैं।

नंदा देवी बायोस्फीयर हिमालयी मस्क, हिरण तथा तहर, हिमालयी स्नो लेपर्ड (हिम तेन्दुआ), ग्रे माउंटेन लंगूर, रीसस मकाक, हिमालयी काला भालू, के साथ कई अन्य रोमांचक पशु पक्षियों तथा कई अद्भुत वनस्पतियों के लिए एक अच्छा अभयारण्य है।

नंदा देवी में जैव- विविधता के साथ 312 से अधिक फूलों की प्रजातियाँ और 114 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों पाई जाती हैं। प्रसिद्ध रोडोडेंड्रॉन (बुरांस) का फूल यहाँ प्रचुर मात्रा में पाया जाता है – जिससे यहाँ के स्थानीय लोग रोडोडेंड्रॉन रस बनाते हैं। कोई भी व्यक्ति यहाँ आसानी से देवदार, सन्टी और चीड़ के वृक्षों के जंगल देख सकता है, जो ऊपर की तरफ जाने वाले आपके ट्रेकिंग के रास्ते पर पड़ सकते हैं।

इस क्षेत्र का आनंद लेने का सबसे अच्छा अनुभव पैदल ट्रेकिंग करके लिया जा सकता है और यह रिजर्व देश के कुछ बेहतरीन ट्रेकिंग स्थान (ट्रेकिंग करने का रास्ता) आपको प्रदान करता है।