मथुरा की प्रसिद्ध “लट्ठमार” होली उत्सव के साथ रंगों में डूबें
भारत अनंत रीति-रिवाजों और परंपराओं का एक देश है, जो देश के सांस्कृतिक आधार का निर्माण करते हैं। चूँकि होली एक ऐसा त्यौहार है जो चारों ओर हर गली नुक्कड़ पर खेला जाता है, होली की ऐसी ही एक परंपरा है जो हमारे मन को प्रभावित करती है। ऐसी ही रोमांचक और खुशी प्रदान करने वाली, “लट्ठ मार होली” की परंपरा मथुरा के पास बरसाना शहर में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। बरसाना राधा रानी का गांव है और भारत में एकमात्र ऐसी जगह है, जहाँ उनका मंदिर बना हुआ है। मथुरा और वृंदावन वासियों के लिए, होली सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है, जो करीब 16 दिन तक मनाई जाती है।
भारत में हर बड़ी और छोटी परंपरा की शुरुआत होने की अपनी एक कहानी है। “लट्ठ मार होली” असामान्य प्रथा से भी एक कहानी जुड़ी हुई है। पौराणिक कथा यह है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने अपने प्रिय सखाओं के साथ मिलकर, राधा रानी और उनकी सखियों को रंग लगाकर छेड़ा करते थे। इस शरारत के बाद, महिलाएं डंडा लेकर उनका दूर तक पीछा करती थी, तब से इसे धार्मिक रीति-रिवाज मानकर भगवान कृष्ण के गाँव नंदगांव के लोगों द्वारा मनाई जाने लगी। नंदगाँव से पुरुष बरसाना गांव की महिलाओं के साथ होली खेलने के लिए जाते हैं और महिलाएं लाठियों के साथ दूर तक उनका पीछा करने का प्रयास करती हैं।
मथुरा और वृंदावन होली के त्यौहार का मर्म है, जो सर्दियों की समाप्ति और वसंत ऋतु की शुरुआत को दर्शाता है। इन स्थानों पर होली के त्यौहार को अनुभव करना बहुत ही बेमिसाल है। होली का यह भव्य त्यौहार दुनिया भर के लोगों को काफी आकर्षित करता है और इसलिए यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक बन गया है। कई प्रकार के रंगों से सराबोर, आनंदपूर्वक नृत्य और खुशी से गाते हुए हजारों लोगों की शानदार तस्वीर, अपने आप को महसूस कराने लायक है।