Home / Travel / मुरुद- जंजीरा – भारत में 15वीं शताब्दी का द्वीप किला

मुरुद- जंजीरा – भारत में 15वीं शताब्दी का द्वीप किला

February 14, 2018
by


मुरुद जंजीरा महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में कोंकण के मुरूद तट पर स्थित एक अंडाकार द्वीप है। मुरुद जंजीरा मुंबई के लोगों का लोकप्रिय होने के साथ कई विदेशी पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। इस द्वीप पर 22 एकड़ के क्षेत्र पर फैला एक पुराना किला है। पश्चिमी तट पर स्थित यह एकमात्र ऐसा किला है जिसे इतिहास के माध्यम से अभेद्य और अजेय माना जाता है। यह इसलिए भी प्रसिद्ध है, क्योंकि एक समय में यह किला एबिसिनियन सिद्दी राजाओं का गढ़ तथा इसको 100 तोपों के द्वारा संरक्षित किया गया था। समुद्र के मध्य में तोपों और प्रचण्ड राजाओं के द्वारा संरक्षित यह किला लोगों को मंत्रमुग्ध करने के लिए काफी है।

क्या है मुरुद जंजीरा?

इस तटीय गाँव और द्वीप का नाम दो भिन्न-भिन्न शब्दों से लिया गया है, पहला शब्द मुरूद – कोंकणी शब्द   मोरोद (एबिसिनियन शासकों का संदर्भ) से जबकि दूसरा शब्द जंजीरा अरबी शब्द जजीरा (हिन्दी में द्वीप) से लिया गया है।

मुरुद जंजीरा का इतिहास

मुरुद जंजीरा अपने आप में 15वीं शताब्दी का इतिहास संजोए हुए है, उस समय समुद्री लुटेरों से अपने परिवार को बचाने के लिए स्थानीय मछुआरों द्वारा इस द्वीप को किला बंद किया गया था। अहमदनगर के एबिसिनियन मूल के सिद्दी सम्राट मलिक अंबर ने इस द्वीप पर प्रारंभिक किले के स्थान पर एक रॉक (पत्थर) किले का निर्माण करवाया था। जब से सिद्दी मुरुद जंजीरा में रहने लगे, तब से किला प्रेरणा और गर्व का स्रोत बना हुआ है। अंग्रेजों, मराठों और यहाँ तक कि पुर्तगालियों के द्वारा इस किले पर कई बार आक्रमण किए गए लेकिन हर बार वह इसको जीतने में असफल रहे। ऐसा माना जाता है कि किले की लंबी घेराबंदी के दौरान किले के निवासियों के लिए द्वीप में स्थित एक कुँए में मीठा पानी उत्पन्न हुआ था।

वहाँ कैसे पहुँचें

मुरुद जंजीरा महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के कोंकण तट पर एक द्वीप है। इस द्वीप का निकटतम रेलवे स्टेशन रोहा में है और मुंबई निकटतम प्रमुख जंक्शन है। रोहा से समुद्र तट तक कार द्वारा जाने में लगभग एक घंटा लगता है। स्टेशन पर टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं और वे पर्यटकों को मुरुद जंजीरा ले जाने और वापस लाने के लिए तैयार मिलती हैं। मुरुद जंजीरा से मुंबई का छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट करीब 142 किलोमीटर की दूरी पर है जोकि इसका निकटतम हवाई अड्डा है। यहाँ की सड़कें शानदार हैं और पुणे, दादर, ठाणे, बोरिवली और मुंबई सेंट्रल से भी हर समय बसें चलती रहती हैं। बड़े समूहों और परिवारों के लिए किराए पर टैक्सी या एक मिनी वैन लेना सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है।

मुरुद जंजीरा और आस-पास के पर्यटन आकर्षण

  • मुरुद जंजीरा किला- अरब सागर के नीले जल के ठीक मध्य में मुरुद जंजीरा द्वीप है। द्वीप पर स्थित यह किला एक विरासतीय संरचना है। यह किला द्वीप का मुख्य आकर्षण भी है। यह किला अब पुराना और जीर्ण हो चुका है तथा इस पर हरियाली उग आई है लेकिन यह किला अब भी अपने आकर्षण और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है जो इस क्षेत्र की समृद्ध विरासत का प्रमाण है। प्रवेश द्वार पर बाघ के आस-पास छह हाथियों की नक्काशी की गई है।
  • मुरुद समुद्र तट- कम भीड़ और सबसे खूबसूरत समुद्र तट वाला मुरूद बीच (समुद्र तट) शानदार सुनहरी और आरामदायक रेत के साथ लोगों को काफी आकर्षित करता है। सूर्योदय या सूर्यास्त का समय समुद्र तट पर जाने का सबसे अच्छा समय माना जाता है, क्योंकि इस समय की सूर्य की किरणों से किले की पृष्ठभूमि चमकती हुई प्रतीत होती है।
  • गारंम्बी झरना- यह झरना देश के पश्चिमी भाग में सबसे सुंदर प्राकृतिक झरनों में से एक है। इस झरने से करीब 100 मीटर की ऊँचाई से शुद्ध जल गिरता है और यह हरे भरे सदाबहार वनों से घिरा एक झरना है। यह आपको वास्तविक स्वर्ग जैसा अनुभव देता है।
  • गारंम्बी बाँध- इस विशाल बाँध का निर्माण नवाब सर सिद्दी अहमद खान द्वारा करवाया गया था, जो इस क्षेत्र के अंतिम सिद्दी शासकों और रानी विक्टोरिया को समर्पित है। यह संपूर्ण क्षेत्र के लिए ताजे पानी का मुख्य आपूर्तिकर्ता है।
  • कासा किला- कासा या पद्मदुर्ग किला छत्रपति शिवाजी के पोते संभाजी द्वारा निर्मित एक प्राचीन किला है। पानी से घिरा यह किला काफी दुर्गम है, लेकिन यह एक सुंदर किला होने के साथ-साथ काफी पर्यटकों का आकर्षण केन्द्र भी है।
  • अहमदगंज पैलेस- यह पैलेस इस क्षेत्र के मौजूदा नवाब का शाही निवास है। यह खूबसूरत पैलेस मस्जिदों और शाही स्मारकों से घिरा हुआ है।
  • गोल गुंबज- बीजापुर के सुल्तान, मोहम्मद आदिल शाह का सुंदर अष्टकोणीय मकबरा देखने योग्य है। मकबरे की अनूठी बनावट इसे उत्कृष्ट बनाती है। इस संरचना को इस प्रकार बनाया गया है कि इसमें होने वाली ध्वनि 9 बार गूँजती है। यह सात स्तरीय इमारत पर्यटकों को काफी लुभाती है।
  • सिद्दी का मकबरा- सिद्दी शासकों का यह मकबरा अपनी इंडो-सरैसेनिक वास्तुकला के लिए विख्यात है। माना जाता है कि मकबरों पर फारसी शिलालेख छिपे हुए हैं, जो अपने आप में किसी खजाने का पता संजोए हुए हैं। कई लोगों ने खजाने को प्राप्त करने के लिए इस शिलालेख को समझने का प्रयास किया है।

आगंतुक सूचना

कब जाएं

पश्चिमी घाटों के अधिकांश तटवर्ती क्षेत्रों की तरह, महाराष्ट्र गर्मियों के महीनों में असहनीय नम और गर्म हो जाता है। गर्मियों के उमस भरे दिन गरम मानसून का कारण बनते हैं। समुद्री बाढ़ (ज्वार) के कारण सड़कों पर आया पानी आपकी यात्रा की योजनाओं में असुविधा उत्पन्न कर सकता है। मुरुद जंजीरा का दौरा करने का सबसे अच्छा मौसम सर्दी में माना जाता है, क्योंकि अक्टूबर से मार्च के दिनों में ठंडक होती है और कभी-कभी धूप निकलती है और रातें शानदार तथा सुखद होती हैं।

क्या खाएं?

महाराष्ट्र के बाकी हिस्सों के विपरीत रायगढ़ अपने टैंगी, लेकिन हल्के भोजन के लिए प्रसिद्ध है। आलू करी (मिसल) और वड़ा पाव (बर्गर का स्थानीय संस्करण) का आनंद लें। मुख्य भोजन के लिए आप स्थानीय चपाती (रोटी), दाल और सब्जी का मजा ले सकते हैं। प्रसिद्ध महाराष्ट्रीयन मिठाई – बर्फी और श्रीखंड का स्वाद लें। भारत के अन्य तटीय हिस्सों के विपरीत यहाँ का समुद्री भोजन बहुत लोकप्रिय नहीं है। द्वीप पर – किले के निकट बेचे जाने वाले नारियल का स्वाद लेने की कोशिश करें।

अन्य सूचना

काशिद और मुरुद जंजीरा द्वीप के समुद्र तट के बीच नियमित नौका सेवाओं की लागत 20 रुपये प्रति व्यक्ति के आसपास है। नावें काफी हैं, इसलिए समूह में जाने वालों को यह सलाह दी जाती है कि पूरी नौका को किराए (लगभग 400-500 रुपये) पर लेने के लिए, पहले किराया तय कर लें। यहाँ के नाविक अक्सर गाइड का भी कार्य करते हैं।