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भारत के सात प्राकृतिक आश्चर्य

October 30, 2017
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भारत के सात प्राकृतिक आश्चर्य

उत्तर में हिमालय की चोटी से लेकर दक्षिण के तटीय मैदान और पूर्व में सदाबहार वनों से ढके हुए पहाड़ी इलाकों से लेकर पश्चिम के कच्छ के रण का विशालकाय प्रसार भारत के शानदार परिदृश्य में अपनी उल्लेखनीय विविधता के साथ-साथ यात्रियों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। ऐसा लगता है कि जब भगवान ने दुनिया बनाई होगी तो थोड़ा विश्राम किया होगा और फिर भारत के खूबसूरत चित्रण को बनाने के लिए काफी विचार-विमर्श किया होगा। यहाँ पर भारत के कुछ प्राकृतिक आश्चर्य प्रस्तुत हैं, जो आपकी श्वास को रोकने के साथ-साथ आपके अंतरंग को रोमांचित कर देगें।

पांगोंग त्सो झील – लद्दाख

पांगोंग त्सो झील अपने खूबसूरत ब्लूज के साथ अतियथार्थवादी वाले झरोखों के कारण लोगों को मंत्रमुग्ध करती है। वास्तव में भारत की प्रकृति में फिरोजा का पानी, आसपास की जगहों के साथ पहाड़ों पर ढकी हुई बर्फ के बिल्कुल विपरीत होता है और वहाँ भारत की प्रकृति मुकुट में लगे हुए रत्न की भाँति प्रतीत होती है। यह पांगोंग त्सो झील 14,270 फीट की ऊँचाई के साथ हिमालय पर स्थित है और यह एक खारे (नमकीन) पानी की झील है जिस पर कोई जलीय जीवन नहीं है। यह झील चीन से भारत तक विस्तारित है और इसकी लंबाई 134 किमी है। इस झील का पानी नीला व पूर्णतयः क्रिस्टलीय (पारदर्शी) है और इसके तल को आसानी से देखा जा सकता है। सर्दियों के दौरान झील के ऊपरी पानी जम जाता है, जिसके कारण एक खूबसूरत आभा का प्रसार देखने को मिलता है।

लेह से पाँच घंटे में सुंदर पांगोंग त्सो झील पर पहुँचा जा सकता है।

युमथांग की फूलों की घाटी – उत्तरी सिक्किम

भगवान ने युमथांग घाटी के फूलों की शोभा बढ़ाने के लिए बेहतरीन रंगों के साथ चित्रकारी की होगी, इस फूलों की घाटी की ऊँचाई 11,693 फीट है। वसंत के महीनों (फरवरी-जून के बाद) के दौरान यह प्राकृतिक तीर्थयात्रा के माध्यम से बहने वाली तीस्ता की सहायक नदी के साथ, गर्म पानी के झरने और रोडोडेंड्रन (एक प्रकार की फूलों की झाड़ी), प्रिमुला, अफीम, आईरिस और अन्य वनस्पतियों के साथ काफी मनोहर लगती है। विभिन्न प्रकार के एक सतह पर लगे हुए सुंदर फूल लोगों के मन को आनंदित करने के लिए पर्याप्त हैं।

गंगटोक से लाचुंग की सड़क द्वारा युमथांग घाटी तक पहुँचा जा सकता है।

गुरुडोंगमार झील- उत्तरी सिक्किम

केवल अपने शब्दों से इस झील की सुंदरता और इसके वैभव का हम वर्णन नहीं कर सकते हैं। यह झील दुनिया की सबसे ज्यादा ऊँचाई वाली झीलों में से एक है। यह कंचनजंघा के उत्तर पूर्व की तरफ समुद्र तल से 17,100 मीटर की ऊँचाई पर पहाड़ी मैदानों पर स्थित है। यह एक मीठे पानी की झील है और यह एक ठंडे रेगिस्तान के बीच में स्थित है, जिसमें कोई वनस्पति नहीं है। गुरुडोंगमार झील पूरे क्षेत्र में शाँति और वहाँ के यात्रियों को शांतचित्तता प्रदान करने के साथ प्रतिध्वनित और पूरी तरह से मंत्रमुग्ध करती है। सर्दियों के महीनों के दौरान, यह झील पूरे तरीके से जमी रहती है और जमें होने की वजह से यह अपनी सुंदरता को बढ़ाती है।

लाचेन और थांगू की सड़क के माध्यम से इस झील तक पहुँचा जा सकता है। इसी तरह लाचेन भी हिमालय की तलहटी में बसा एक बहुत ही सुंदर गाँव है।

मार्बल रॉक्स – मध्य प्रदेश

मार्बल रॉक्स प्रकृति के संयुक्त प्रयासों के द्वारा बनी हुई संरचना है, इसकी आकृतियों को देखकर कोई भी इसका गुणगान किए बिना अपने आप को रोक नहीं पाएगा। मार्बल रॉक्स 8 किलोमीटर की शानदार घाटी है, जो जबलपुर के पास नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। इसका कुछ हिस्सा जो नदी के माध्यम से कट गया है, इसे एक नक्काशीदार मार्बल के आलावा रास्ते को प्राकृतिक तरीके से सौन्दर्यीकरण करके बनाया गया है।

महाबलीपुरम का बैलेसिंग रॉक, भारत

यह विशाल ग्रैनाइट बोल्डर (पत्थर) 6 मीटर ऊँचा व 5 मीटर चौड़ा है और इसका वजन 250 टन है। इसे कृष्ण की मक्खन गेंद के नाम से भी जाना जाता है। इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा एक ऐतिहासिक स्मारक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। बैलेंसिंग रॉक 1200 वर्षों से भारत के ऐतिहासिक शहर महाबलीपुरम में स्थापित है।

साल्ट मार्शेस (रेह), कच्छ का रण

कच्छ के रण में सफेद रंग के नमकीन दलदल के कुछ हिस्से हैं जो यात्रियों को मंत्रमुग्ध और सम्मोहित करते हैं। साल्ट मार्शेस लूनी नदी के किनारे स्थित होने के साथ यह 10,000 वर्ग मील की दूरी की भूमि को आच्छादित किए हुए है और यह सफेद रेगिस्तान के रूप में भी जाना जाता है। यह भौगोलिक दृश्य के समान चपटी व कछुआ के समान उभरी हुई भूमि है, जिसे कच्छ की खाड़ी और महान व छोटा रण के रूप में चिन्हित किया गया है।

बैरन आइसलैंड (बैरन द्वीप), अंडमान

अंडमान (बैरन आइसलैंड) हमेशा से लुभावना रहा है, क्योंकि भारतीय मुख्य भूमि से इसकी दूरी 1370 किलोमीटर है और इसके खूबसूरत ब्लूज समुद्र में रखे हुए मोती की भाँति प्रतीत होते हैं। अंडमान की शोभा बढ़ाने वाले इन खूबसूरत द्वीपों के अलावा यहाँ भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी भी मौजूद है। यह ज्वालामुखी बैरेन आइसलैंड (द्वीपसमूह) पर स्थित है जिसका व्यास लगभग 3 किमी है और यह बिल्कुल साफ नीले पानी से घिरा हुआ है। लावा के फूल और कोयला इस द्वीप समूह की शोभा को बढ़ाते हैं।

अगली बार जब आप एक यात्रा की योजना बनाएं, तो इन अनोखे स्थानों का चुनाव अवश्य करें और यह आश्वासन दिया जाता है कि आप अपने आप को स्फूर्तिवान और तरोताजा करने के लिए छुट्टियों में बार-बार इन जगहों का दौरा करेगें।