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वर्कला की भव्यता

April 5, 2018
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वर्कला की भव्यता

केरल को उसके बेमिसाल सौंदर्य और महिमा के कारण भगवान का देश कहा जाता है। वर्कला, तिरुवनंतपुरम के करीब 50 कि.मी. उत्तर में स्थित है, जिसे केरल का राज-मुकुट भी कहा जा सकता है। अरब सागर के तट पर पहुँचकर, उसके समीप स्थित अनोखी संरचना वाली चट्टानों और इसके शानदार दृश्य का नजारा लिया जा सकता है।

अगर आप एक आरामदायक समुद्र तटीय गंतव्य की तलाश कर रहे हैं, तो आपके लिए वर्कला एक सबसे बेहतर गंतव्य है, जो धूप का आनंद लेने (धूप में बैठने), समुद्र में तैराकी करने और आयुर्वेदिक स्पा के लिए आदर्श माना जाता है। लेकिन अगर आप और अधिक की देखने की इच्छा रखते हैं, तो यहाँ पुराने मंदिर, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, कई रेस्तरां एवं भोजनालय, शॉपिंग सेंटर और प्रकृति यात्रा के विकल्प भी मौजूद हैं।

वर्कला कैसे पहुँचे

हवाई यात्रा द्वारा– वर्कला, राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम के बहुत करीब है। वहाँ से त्रिवेंद्रम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लगभग 50 कि.मी. की दूरी पर है और जो दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, कोच्चि और बेंगलुरु जैसे अधिकांश प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। यह कई अंतर्राष्ट्रीय गंतव्यों के साथ वर्कला को जोड़ता है।

रेल द्वारा- दक्षिणी शहरों से वर्कला रेलवे स्टेशन के लिए काफी ट्रेनें प्रचालित होती हैं, लेकिन यह एक प्रमुख जंक्शन नहीं है। इसलिए यह सिफारिश की जाती है कि आप तिरुवनंतपुरम जंक्शन या कोचुवेली रेलवे स्टेशन तक ट्रेन द्वारा यात्रा करें और उसके बाद शेष दूरी तय करने के लिए बस या फिर कार किराए पर कर लें।

सड़क मार्ग द्वारा- दक्षिण भारत का अधिकांश हिस्सा बस सेवाओं से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। नियमित बस सेवाएं, तिरुवनंतपुरम के नए बस टर्मिनल और कोच्चि, मदुरै, सेलम, चेन्नई, कोयम्बटूर और कन्याकुमारी सहित कई अन्य दक्षिणी शहरों को वर्कला से जोड़ती हैं। वर्कला जाने के लिए आसानी से कारें किराए पर मिल जाती हैं और उनका किराया भी उचित है।

आस-पास के क्षेत्रों का भ्रमण करना- वर्कला के आस-पास के क्षेत्रों का भ्रमण करने के लिए बस और ऑटोरिक्शा सबसे अच्छा विकल्प हैं। पर्यावरण के अनुकूल पर्यटकों के लिए, यहाँ साइकिल भी किराए पर उपलब्ध हैं।

वर्कला बीच-

वर्कला बीच, जिसे पापनासम बीच भी कहा जाता है, अरब सागर के उज्ज्वल पानी से धुला हुआ व सुनहरी रेत से परिपूर्ण काफी दूरी तक विस्तारित है। पापनाशम शब्द का शाब्दिक अर्थ है “पापों का विनाश” करने वाला। वहाँ के स्थानीय लोगों का मानना है कि पापनाशम समुद्र तट के पानी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप दूर हो जाते हैं। पापनाशम बीच सूर्योदय और सूर्यास्त के समय काफी शानदार प्रतीत होता है। इस समय पूरी दुनिया में आवृत्त धूल सोने की तरह टिम-टिमाती हुई प्रतीत होती है तथा सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मछुआरे छोटी नावों में बैठकर समुद्र में जाते हैं या मछलियों को पकड़ कर वापस आते हैं।

देखने योग्य स्थान

जनार्दन स्वामी मंदिर- यह 2000 वर्ष पुराना मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर समुद्र तट के दाहिने ओर स्थित है, जो एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल और एक सौंदर्यात्मक चमत्कार का केंद्र है।

सरकारा देवी मंदिर- देवी भद्रकाली को समर्पित, वर्कला का सरकारा देवी मंदिर एक और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर अपने कलीयूत त्यौहार के लिए प्रसिद्ध है।

कदुवेइल जुमा मस्जिद- वर्कला से 12 किमी की दूरी पर स्थित यह मस्जिद, केरल के सबसे महत्वपूर्ण मस्जिदों में से एक है। यह मस्जिद पीर कदुवेइल थांगल को समर्पित है।

अंजेंगो किला- यह किला वर्ष 1696 में ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा मालाबार क्षेत्र में ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले पद के रूप में निर्मित कराया गया था। राष्ट्रीय विरासत स्मारक द्वारा संरक्षित, यह किला अभी भी पर्यटकों के लिए खुला है।

कप्पिल झील- यह एक सुंदर नौकाविहार करने वाला और एक पर्यटक आकर्षण केंद्र है, जो वर्कला से 6 किमी की दूरी पर स्थित है। यह वह स्थान है, जहाँ बैकवाटर्स समुद्र से मिलते हैं।

शिवगिरी मठ- श्री नारायण गुरु की समाधि या अंतिम विश्राम स्थल व दृष्टा और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में जाना जाने वाला यह शिवगिरि मठ, वर्कला से लगभग 3 किमी की दूरी पर स्थित है।

वर्कला सुरंग- वर्कला सुरंग वर्ष 1867 और वर्ष 1880 के बीच अंग्रेजों द्वारा निर्मित कराई गई थी। यह वास्तव में दो जुड़ी हुई सुरंगों का एक समूह है, जिसमें पहली सुरंग की लंबाई 2370 फीट और दूसरी की लंबाई 1140 फीट है।

वर्कला का प्रकाश-स्तंभ- वर्कला का पुराना प्रकाश-स्तंभ समुद्र तट पर जाने वाले बच्चों का एक पसंदीदा आकर्षण स्थल है।

यात्रा करने का सर्वोत्तम समय

वर्कला भारत के दक्षिण-पश्चिमी छोर पर स्थित है। यहाँ का मौसम उष्ण-कटिबंधीय है। मार्च और मई के बीच के महीनों में यहाँ का मौसम बहुत ही गर्म और आर्द्र रहता है, जिसके कारण इसकी एक अनुपयुक्त पर्यटन स्थल के रूप में गणना की जाती है। दिसंबर से जून मानसून के महीने हैं और इसलिए केरल के बाकी हिस्सों की तरह, यह शहर भी उष्ण वर्षा का अनुभव करता है। हालांकि यह बारिश इस जगह को हरा-भरा कर देती है, जिसके कारण पर्यटक दिसंबर से लेकर मार्च के महीनों में यहाँ की यात्रा करना काफी पसंद करते हैं। इस समय यहाँ मौसम सुखद रहता है। केरल में ईसाईयों की आबादी काफी अधिक है और इसलिए यहाँ क्रिसमस का त्यौहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

सी फूड

केरल की भोजन-सूची काफी समृद्ध है और यह राज्य नारियल, चावल, केले और सी फूड (समुद्री भोजन) का भरपूर मात्रा में उपभोग करने के लिए जाना जाता है। वर्कला के लिए अपनी यात्रा के दौरान वहाँ के कुछ लोकप्रिय स्थानीय व्यंजनों जैसे वेजिटेबल स्टू के साथ अप्पम तथा कडला (चना) करी, पलदा पेससम और थालास्सेरी बिरयानी के साथ पुट्टू का आनंद लेने की कोशिश करें। वर्कला सी फूड के लिए भी काफी विख्यात है। इसलिए वहाँ की पारंपरिक झींगा करी, करीमीन (मछली का एक प्रकार) और मछली मोइली का भी स्वाद लेने की कोशिश करें। घर वापस आते समय है, वहाँ के केले और साबूदाना के बने कुरकुरे पकौड़े के पैकेट लेना न भूलें।

आपके लिए वर्कला में देखने वाली आवश्यक चीजें

यहाँ कुछ ऐसे अनुभव दिए गए हैं, जिन्हें आप वर्कला जाने पर देखना न भूलें–

  • एक पारंपरिक मंत्रमुग्ध कर देने वाले देवालय नृत्य कथकली को देखना न भूलें। यदि आप जनार्दन स्वामी मंदिर में होने वाले यथार्थ प्रदर्शन को देखने के लिए, वहाँ जाने में सक्षम नहीं हैं, तो आप अपने होटल से भी इस प्रदर्शन का आनंद ले सकते है।
  • एक प्रमाणिक आयुर्वेदिक स्पा और गर्म तेल उपचार के साथ डिटॉक्स क्रम का पालन करें। केरल का प्रसिद्ध आयुर्वेदिक स्पा दुनिया भर के लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। लेकिन इन केंद्रों में जाने से पहले स्थानीय लोगों से केंद्र की प्रामाणिकता के बारे में जाँच करना बेहतर माना जाता है।
  • एक हाउसबोट में बैकवाटर का भ्रमण करें। एडवा झील के किनारे शांत बैकवाटर और वर्कला के निकट समृद्ध वनस्पतियों और जीवों का आनंद लेने के लिए यह सबसे अच्छी जगह है।

जनार्दन स्वामी अरत्तु महोत्सव

वर्कला के जनार्दन स्वामी मंदिर का अरत्तु महोत्सव, केरल के मंदिरों में आयोजित होने वाले सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है। यह हर साल मीनम के महीने (मार्च और अप्रैल के बीच) में आयोजित किया जाता है। इस दौरान 10 दिनों तक पूरे शहर के लोग अच्छे-अच्छे रंगीन कपड़ों को पहनते हैं। यह त्यौहार पारंपरिक ध्वज फहराने वाली रस्म के साथ शुरू होता है, जिसे कोडियेट्टम कहा जाता है। मंदिर में होने वाले इस उत्सव को मनाने के लिए लाखों लोग वर्कला में इकट्ठा होते हैं। उत्सव का मुख्य आकर्षण सभी परिधानों में सजाए गए पाँच हाथियों का जुलूस होता है, जिसमें हाथियों की पीठ पर छतरियाँ और मोर पंख सुसज्जित होते हैं।