सूरज कुंड शिल्प मेला- फरीदाबाद
सूरजकुंड शिल्प मेला एक वार्षिक उत्सव समारोह है, जो हरियाणा के फरीदाबाद जिले में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह दुनिया के सबसे लोकप्रिय और सबसे बड़े मेलों में से एक है,जहाँ लाखों की संख्या में लोगों के आने के बारे में अनुमान लगाया गया है। फरवरी 2018 में इस उत्सव के आयोजन का 32वां संस्करण आयोजित किया जाएगा। हरियाणा के सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन कार्यक्रमों में से एक माना जाने वाला यह मेला, हरियाणा पर्यटन और सूरजकुंड शिल्प मेले के प्राधिकरण का एक संयुक्त उद्यम है। कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक इस मेले में शिरकत करते हुए नजर आते हैं। आप इस मेले में विभिन्न परंपराओं के साथ, संस्कृति, कला, शिल्प, संगीत, नृत्य इत्यादि का एक अद्भुत अनुभव प्राप्त कर सकते हैं, जो आपके उत्साह को प्रसन्नता से अभिभूत कर देता है। इसके अलावा, इस उद्योगी समारोह में जब आप पहली बार शानदार माहौल और पर्दे पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखेंगे तो निश्चित ही आपको खुशी की उनुभूति होगी।
सूरजकुंड मेला न केवल कुशल भारतीय कारीगरों, शिल्पकारों, बुनकरों और श्रमिकों के माध्यम से भारत की समृद्धि और विविधता का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि अपनी प्रतिभा दिखाकर सार्क देशों के लिए एक अवसर भी प्रदान करता है। हथकरघा, हस्तशिल्प और सांस्कृतिक कपड़ों में शामिल प्राकृतिक शिल्प भारत की विविधता को दर्शाते हैं। मिट्टी के बर्तन, मूर्तियां, कढ़ाई, बुनाई वाली वस्तुओं के साथ-साथ धातु से बनी चीजों और लकड़ी से बनी चीजों को भी मेले में देखा जा सकता है।
कला और शिल्प के अलावा, मेले में बहुत सारे सांस्कृतिक कार्यक्रम, ओपन-एयर थिएटर (खुली हवा में नाटकशाला) और चौपाल हैं जो उस जगह के आस-पास की महिमा का बखान करते हैं। विभिन्न लोक कलाकार अलग-अलग क्षेत्रों से यहाँ पर प्रदर्शन करने के लिए आते हैं।
इस वर्ष, सूरजकुंड शिल्प मेले में विषय वस्तु (थीम) राज्य के रूप में उत्तर प्रदेश को रखा जाएगा। उत्तर प्रदेश भारत में सबसे लोकप्रिय और सबसे बड़े राज्यों में से एक है, जिसकी इतिहास में एक समृद्ध परंपरा है। इसलिए, इस वर्ष पर्यटकों के इस मेले में आने की उम्मीद अपेक्षाकृत अधिक है।
व्यंजन सूरजकुंड शिल्प मेले का एक महत्वपूर्ण पहलू है आप भारत के लगभग सभी राज्यों के व्यंजनों को यहाँ पर प्राप्त कर सकते हैं और कई भारतीय व्यंजनों को खाने की खुशी का अनुभव महसूस कर सकते हैं। इस मेले में फास्ट फूड प्रेमियों को भी निराश नहीं होना पड़ेगा क्योंकि कुछ फास्ट फूड स्टाल्स भी इस मेले में मौजूद हैं।
सूरजकुंड मेले की शुरुआत
सूरजकुंड शब्द का अर्थ है “सूर्य की झील” सूरजपाल नाम का एक तोमर मुखिया था, जिसने यहाँ एक सूरज कुंड और अफीथिएटर का निर्माण करवाया था। सूरजकुंड अरावली पहाड़ियों की पृष्ठभूमि में निर्मित एक कृत्रिम झील है। सूरजकुंड एक साधारण पर्यटन स्थल था, लेकिन वर्ष 1987 में पहले सूरजकुंड मेले का आयोजन किया गया और उसके बाद, यह हरियाणा के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक बन गया जहाँ भारत की सदियों पुरानी शिल्प-कला से संबंधित चीजों और परंपराओं को महत्व दिया जाता है।
इस सूरजकुंड शिल्प मेले के मुख्य आकर्षण क्या हैं?
इस शिल्प मेले के मुख्य आकर्षण हैं:
- आप भारत के विभिन्न राज्यों की संस्कृति, परंपराओं, संगीत और नृत्य रूपों से परिचित होते हैं।
- भारत की विविधता और जातीयता को आप एक छत के नीचे अनुभव कर सकते हैं।
- आप भारत के सभी राज्यों से शानदार भोजन और व्यंजनों का आनंद उठा सकते हैं।
- आप यहाँ पर बहुत सारे खरीदारों और विक्रेताओं से मिलते हैं, जो अपने व्यवसाय में वृद्धि की ओर अग्रसर होते हैं।
अक्सर सूरजकुंड मेले के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न:
सूरजकुंड वास्तु मेले की तिथि और समय क्या है?
सूरजकुंड वास्तु मेले की शुरुआत 2 फरवरी से होगी और 18 फरवरी 2018 को इसका समापन किया जाएगा। समय सुबह 10:30 से रात 8:30 बजे तक होगा।
टिकट की लागत क्या है?
टिकटों की लागत 50 रुपये से 150 रुपये तक होती है।
सूरजकुंड वास्तु मेला 2018 की थीम क्या है?
इस वर्ष मेले की विषय वस्तु (थीम) राज्य उत्तर प्रदेश है।
कैसे पहुंचे सूरजकुंड वास्तु मेला?
आप अपनी सुविधा के अनुसार मेट्रो रेल, सड़क या ट्रेन से यहाँ पहुँच सकते हैं।
मेट्रो: निकटतम मेट्रो स्टेशन, बदरपुर मेट्रो स्टेशन है। आप उस स्थान तक पहुंचने के लिए ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं।
सड़क: फरीदाबाद गुरुग्राम, दिल्ली, नोएडा और अन्य स्थानों से यह स्थान अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, इसलिए आसानी से सूरजकुंड पहुंचा जा सकता है।
रेल: निकटतम रेलवे स्टेशन,नई दिल्ली रेलवे स्टेशन है।


