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औरंगाबाद में दौलताबाद किले की अजेय भव्यता

April 23, 2018
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औरंगाबाद में दौलताबाद किला

दौलताबाद किला: मध्ययुगीन काल की सबसे शानदार स्मारक

स्थान: औरंगाबाद, महाराष्ट्र

भारत की तरह ही यहाँ की वास्तुकला की सर्वश्रेष्ठ रचनाएं भी अद्वितीय हैं। वास्तुकला के प्रत्येक भाग में अपनी स्वयं की विलक्षणता और भव्यता है। जैसा कि हम अद्वितीयता के बारे में बात करते हैं, ऐसी ही एक जगह जो मेरे दिमाग में अभी आई है, वह है औरंगाबाद में दौलताबाद का किला। 12वीं शताब्दी में निर्मित इस किले को उस समय का अभेद्य किला माना जाता है। यादव वंश के राजा भील्लमराज द्वारा स्थापित, इस किले पर दक्कन क्षेत्र के कई अन्य राजवंश राज्य करते रहे।

दौलताबाद का किला पिरामिड के आकार वाली पहाड़ी पर स्थित, मध्यकालीन शासकों को आकर्षित करने वाली सबसे भव्य संरचनाओं में से एक है। इसका वर्तमान नाम “दौलताबाद” दिल्ली के सुल्तान मोहम्मद तुगलक द्वारा रखा गया था। किले की भव्यता और सुरक्षा से प्रभावित होकर मोहम्मद तुगलक ने अपनी पूरी प्रजा के साथ अपनी राजधानी दिल्ली से हटाकर देवगिरि (दौलताबाद) में स्थापित की। किला एक विशेष प्राकृतिक छटा के बीच 200 मीटर ऊंँची एक पहाड़ी पर स्थित है। इसमें सबसे जटिल और विस्तृत रक्षा प्रणाली मौजूद है और यह घुसपैठियों को खाड़ी में शरण देने के लिए बनवाया गया था। इसके चारों तरफ उच्च सुरक्षा के लिए बनाई गई तीन दीवारें हैं, जिन्हें कोट कहा जाता है। मुख्य किले में प्रवेश करने के लिए, हर व्यक्ति को तीन अभेद्य दीवारों, एक जल निकाय, एक अंधेरे और टेढ़े मेढ़े मार्ग और लगभग 400 सीढ़ियों जैसी कई बाधाओं से गुजरना पड़ता है।

दौलताबाद का किला बिना किसी नुकसान के विनाश होने से अब तक बचा हुआ है और इसे मरम्मत की आवश्यकता नहीं पड़ी है। हालांकि किले पर चढ़ने के लिए एक जोखिम भरे प्रयास की आवश्यकता है, परन्तु जब एक बार आप वहाँ पहुंचेंगे, तो प्राकृतिक छटा का अदभुत दृश्य आपके द्वारा उठाई गई कठिनाई के लायक साबित होगा। इस भव्य किले की संरचना के भीतर कई स्मारक शामिल हैं, जैसे जामी मस्जिद, चन्द मीनार, भारतमाता मंदिर, हाथी टैंक और “चीनी महल” या चीनी पैलेस। यह किला जिसे भेदना दुश्मन के लिए भी मुश्किल था, इस पर चढ़ने की कोशिश करना बहुत ही रोमांचकारी अनुभव है। दौलताबाद किला एक उत्तम वास्तुकला की एक सर्वश्रेष्ठ रचना है। इस किले में एक दिन बिताने के बाद निश्चित रूप से आप भारतीय इतिहास पर गर्व महसूस करेंगे!

समय: सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक

प्रवेश शुल्क: भारतीय नागरिकों के लिए 10 रूपये प्रति व्यक्ति
विदेशी नागरिकों के लिए 100 रुपये प्रति व्यक्ति

यात्रा अवधि: 2 से 3 घंटे

त्वरित सुझाव:

  • भीड़ से बचने और अंधेरा होने से पहले वापस आने के लिए यात्रा जल्द शुरू करें।
  • आरामदायक जूते पहनें क्योंकि आपको ज्यादा चलने की आवश्यकता होगी।
  • अपने साथ पर्याप्त पानी और भोजन ले जाना मत भूलिए।
  • मांसपेशियों की ऐंठन से बचने के लिए चढ़ाई करते समय पर्याप्त विराम लें।
  • अपने साथ एक स्थानीय गाइड ले जाना सुनिश्चित करें, ताकि आप अपना रास्ता न भूलें।
  • अपने हाथ में दौलताबाद किले से संबंधित एक गाइड हैंडी (निर्देशिका पत्रिका) रखें।