Home / / विश्व जल दिवस – संकट और समाधान

विश्व जल दिवस – संकट और समाधान

March 21, 2018
by


विश्व जल दिवस

पूरी दुनिया को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे के अलावा, चिंता का एक प्रमुख मुद्दा पानी की कमी है। आज के समय में बढ़ती हुई जनसंख्या और संसाधनों के अधिक उपभोग के साथ-साथ पानी की कमी, एक प्रमुख समस्या के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। भारत भी उन देशों में से एक है, जिन्हें आने वाले वर्षों में पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है। रिपोर्टों के अनुसार, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में अब भारत अधिक भूजल का उपयोग कर रहा है।

संयुक्त राष्ट्र संगठन पानी की कमी के इस मुद्दे को उजागर करने के लिए प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को “विश्व जल दिवस” मनाता है। प्रत्येक वर्ष जल और उससे संबंधित अन्य मुद्दों के महत्व की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए एक विषय (थीम) का भी चुनाव किया जाता है। विश्व जल दिवस 2018 का विषय “जल के लिए प्रकृति” है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने प्राकृतिक समाधान अपनाने और उस पर जोर देने के लिए इस विषय को चुना है, क्योंकि प्रकृति आधारित समाधान पानी की चुनौतियों का सामना करते हुए ऐसी समस्याओं को हल करने की क्षमता रखती हैं।

भारत में पानी की कमी के कारण–

  • पानी का लापरवाही पूर्वक इस्तेमाल करने के कारण, भारत को पानी के संकट का सामना करना पड़ रहा है।
  • यह समस्या पर्याप्त संचय के कारण नहीं, बल्कि कुप्रबंधन के कारण हुई है।
  • जल प्रदूषण भी पानी की कमी में अहम भूमिका निभा रहा है और यह वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक बड़े खतरे को आमंत्रित कर रहा है।
  • भारी तादात में लोग गाँव को छोड़कर बड़े शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं, जिससे संसाधनों का संतुलन प्रभावित हो रहा है। जनसंख्या वृद्धि जैसे कारक भी पानी की कमी में योगदान दे रहे हैं।
  • धरातल का पानी बेहद प्रदूषित है और जिसके कारण उसका उपयोग भी नहीं किया जा सकता है।
  • स्वास्थ्य जोखिम बढ़ाने वाले अज्ञात प्रदूषकों के कारण भी भूजल धीरे-धीरे दूषित हो रहा है।
  • अति-उपभोग के कारण कई हिस्सों में भूजल के स्तर में गिरावट आई है।
  • अपशिष्ट जल का उचित उपचार न होना इसका एक और कारण है।

भारत में पानी की कमी का प्रभाव –

  • आज के समय में पानी की कमी, एक प्रमुख समस्या के रूप में उभर रही है। तमिलनाडु के वन क्षेत्रों में पानी की कमी प्रबल है। मदुरै और डिंडीगुल जिले पानी की कमी से बेहद प्रभावित हैं। पानी की कमी के कारण वन्य जीवन भी काफी क्षतिग्रस्त हुआ है। भारतीय गौर, जो इन जिलों के वन क्षेत्रों में पाए जाते हैं, वे पानी की तलाश में भटकते हैं और अपनी प्यास बुझाने के लिए कुएं में गिरकर मर जाते हैं। उन क्षेत्रों के अन्य जानवर भी पानी की कमी की वजह से प्रभावित हो रहे हैं। मृदा और वनस्पति के पतन के कारण स्थिति दयनीय होती जा रही है।
  • महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में पाल बुद्रुक, ग्रामीण, यूनिसेफ और सरकार जल संरक्षण के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। सूखे जैसी स्थितियों से बचने के लिए रिसाव टैंक, बाँध और नहरों का निर्माण किया जा रहा है।
  • बैंगलोर को भी पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। बैंगलोर की 90 प्रतिशत से अधिक झीलें प्रदूषित हैं। वहाँ की एक झील को स्थानीय लोगों द्वारा झाग वाली झील के रूप में नामित किया गया है, क्योंकि इसमें चमकदार रासायनिक पदार्थ मिल गए हैं, जिसकी वजह से उसमें हर समय झाग उत्पन्न होता रहता है और कभी-कभी वह उफान भी मार देती है। जहाँ एक तरफ बैंगलोर पानी की कमी से जूझ रहा है, वहीं दूसरी तरफ यहाँ के जल माफिया झीलों का अनधिकृत करके पंप से पानी निकालकर शहर में रहने वाले लोगों को बेच देते हैं।
  • दिल्ली के जल निकाय भी अत्यंत प्रदूषित हैं। बढ़ते अपशिष्ट की वजह से यमुना नदी का पानी बहुत काला हो गया है। इस शहर को हमेशा जल संकट का सामना करना पड़ता है।

समाधान, जिन्हें अपनाया जा सकता है-

  • मानव स्वास्थ्य और आजीविका में सुधार लाने के लिए हमें अधिक पेड़ लगाने की आवश्यकता है।
  • जल-चक्र को संतुलित करने के लिए झीलों का पुनः निर्माण करने पर जोर दें।
  • बाढ़ के मैदानों में नदियों का पुनर्गठन।
  • जनसंख्या वृद्धि, प्रदूषण और कुप्रबंधन आदि जैसे कारकों के बारे में जागरूकता फैलाएं।
  • जल का संरक्षण करने पर जोर दें।

जल संरक्षण के तरीके–

  • बाँध, रिसावदार गड्ढे और नहरों के निर्माण के लिए लोगों और सरकार द्वारा पहल की जाए।
  • खेतों में तालाब बनाए जाएं।
  • वर्षा के जल का संचयन करें।
  • पानी की खपत एक स्थायी तरीके से करें।
  • अन्य प्रयोजनों जैसे कि सब्जियों को धोने के बाद उस पानी का इस्तेमाल, पौधों को पानी देने के लिए करें।
  • उपयोग के बाद नल बंद कर दें।

अफ्रीका का एक बंदरगाह शहर केप टाउन भी अप्रैल के अंत तक पानी की कमी से बेहाल होने की कगार पर है। वहाँ के लोग 23 बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत कम मात्रा में पानी का उपयोग कर रहे हैं और इसी के साथ वहाँ के लोगों ने “डे जीरो” पर अमल करना शुरू कर दिया है। एशियाई विकास बैंक के अनुसार, वर्ष 2030 तक भारत में 50 प्रतिशत तक पानी में कमी आएगी। बैंगलोर भी जल्द ही पानी की कमी से बेहाल हो जाएगा। इसलिए, इस बार विश्व जल दिवस के मौके पर जल संरक्षण की शुरुआत करने की प्रतिज्ञा लें।

 

सारांश
 लेख का नाम    विश्व जल दिवस – संकट और समाधान

लेखक का नाम – आयुषी नामदेव

विवरण – इस लेख में उन सभी महत्वपूर्ण तथ्यों का सार है, जो विश्व स्तर पर पानी की कमी के लिए जिम्मेदार हैं। लेख में हमने समस्या के समाधान का भी उल्लेख किया है।

 

Like us on Facebook

Recent Comments

Archives
Select from the Drop Down to view archives