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वैट पर जीएसटी के लाभ

November 8, 2017
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वैट पर जीएसटी के लाभ

योजना चरण में लगभग 17 वर्षों के बाद और राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद, एनडीए के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार ने अंततः 1 जुलाई 2017 को माल और सेवा कर (जीएसटी) लागू किया था। कई लोगों ने माल और सेवा कर (जीएसटी) का स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े कर सुधारक के रूप में स्वागत किया।

जीएसटी एक समेकित (संयुक्त) कर है, जो विभिन्न माल (वस्तुओं) और सेवाओं पर लगाए गए विभिन्न करों के स्थान पर लगाया गया है। वैट (मूल्य वर्धित कर), सेवा कर, मनोरंजन कर, केंद्रीय उत्पाद शुल्क आदि जीएसटी द्वारा प्रतिस्थापित किए गए है। जीएसटी एक श्रेणीबद्ध कर है और इसमें माल और सेवाओं को विभिन्न कर श्रेणी के अंतर्गत कवर किया जाता है।

जीएसटी बनाम वैट

जीएसटी को बेहतर समझने के लिए, आइए देखें कि मूल्य वर्धित कर (वैट) से जीएसटी कितना भिन्न है।

वैट या मूल्यवर्धित कर का शुभारंभ 1 अप्रैल 2005 को हुआ था। यह उस समय लगाए जाने वाले बिक्री कर के स्थान पर प्रति स्थापित किया गया था। यह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को छोड़कर देश भर में लागू किया गया था। राज्य सरकार ने माल और सेवाओं पर लगाए गए वैट से अर्जित सभी कर राजस्व को, राज्य की आय समझा था। इसलिए, विभिन्न राज्यों द्वारा विभिन्न वैट दर लगाए गए और कर दाताओं के लिए अलग-अलग वैट नियम निर्धारित किए गए। वैट के कार्यान्वयन के साथ प्रमुख मुद्दा यह था कि इसमें काफी अड़चने आई। इसका मतलब यह है कि आपूर्ति श्रृंखला के हर चरण में, खरीदार को उस रकम पर भी कर का भुगतान करना पड़ेगा, जिसका भुगतान पूर्व खरीदार द्वारा किया जा चुका होता है।

अब, जीएसटी के कार्यान्वयन के साथ, अलग-अलग स्तरों के माल या सेवाओं पर कर लगाया जाएगा, ताकि एक खरीदार को कम कर का भुगतान करना पड़े। कर का भुगतान उत्पाद के स्तर पर निर्भर करता है और कर का भुगतान प्रत्येक स्तर के उत्पादन के साथ बदलता रहता है। जीएसटी की एक और विशेषता यह है कि हर उत्पाद (माल) या सेवा पर लगाए गए कर को सीजीएसटी और एसजीएसटी में निरूपित किया गया है। सीजीएसटी या केंद्रीय जीएसटी का राजस्व, केंद्र राजस्व सरकार के खाते में जमा होता है और एसजीएसटी या राज्य जीएसटी का राजस्व राज्य के खाते में जमा होता है। जीएसटी राजस्व कर के न्याय संगत वितरण की अनुमति देता है।

जीएसटी के कार्यान्वयन में आने वाली अड़चने

जीएसटी अभूतपूर्व दक्षता व उत्तरदायित्व का संग्रहकर्ता है और जीएसटी कर दाता को कर के बोझ से काफी राहत प्रदान करता है। इसके बावजूद केंद्र को सर्वसम्मति पाने के लिए राज्यों से विरोध का सामना करना पड़ा था। कर सुधार “कच्चा बिल” प्रणाली को प्रोत्साहित करने के लिए कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा क्योंकि खुदरा विक्रेता जीएसटी को प्रधानता देना पसंद करते हैं। यह एक अल्पावधि प्रणाली मानी जाती है तथापि, दीर्घकालिक में जीएसटी के प्रति यह संभावना की जा रही है कि लोगों और व्यापारिक समुदाय में जागरूकता के साथ-साथ उत्तरदायित्व की बढ़ोत्तरी होगी। जीएसटी को अलग-अलग स्तरों के माल या सेवाओं पर लगाए गए कर के लिए काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। आलोचकों का मानना ​​है कि हाथों से बने कपड़े व महिलाओं की साज-सज्जा के सामान आदि जैसी वस्तुओं पर कम कर होना चाहिए। समय के साथ, जीएसटी परिषद को इन सामानों पर लगाए गए कर के लिए फिर से विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है।

जीएसटी कार्यान्वयन के दीर्घकालिक लाभ –

  • आने वाले समय में जीएसटी भारत के सभी हिस्सों में एक समान कर नीति की प्रस्तुति करेगा और इससे देश एक एकल बाजार के रूप में कार्य करने में सक्षम होगा। इससे किसी भी राज्य में खरीदे गए सामान और सेवाओं में कर की दर समान होगी।
  • जीएसटी विशेष रूप से राज्य में होने वाले विनिर्माण या उत्पादन और बिक्री के मामले में कर ढाँचे की जटिलताओं को समाप्त करेगा। इससे पहले, अगर कोई निर्माता अपना सामान किसी दूसरे राज्य के थोक व्यापारी या फुटकर विक्रेता के पास बेचता था, तो उसे केंद्रीय विक्रय कर (सीएसटी) और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए अन्य करों (एलबीटी) का भुगतान करना पड़ता था। इसका मतलब यह है कि निर्माता को दोनों राज्यों की कराधान प्रणाली का पालन करने की आवश्यकता होती थी। जीएसटी कार्यान्वयन में यह कराधान प्रणाली लागू नहीं की जाएगी।
  • राज्यों में माल ले जाने वाले वाहनों के सामने आने वाली एक मुख्य चुनौती यह थी कि उन्हें सफर में लगने वाले समय का लगभग 40 प्रतिशत समय, राज्य की सीमाओं में पड़ने वाले चेक पोस्ट पर निकासी का भुगतान करने में लग जाता था। नौकरशाह इसका फायदा उठाते थे और जिससे भ्रष्टाचार में काफी बढ़ोत्तरी हुई। जीएसटी ने उन सभी अवैध प्रथाओं को समाप्त कर दिया है और एकल अनुपालन तंत्र की स्थापना की है, जिससे वाहनों को लगने वाले समय में भी गिरावट आई है।
  • करदाता कर का बोझ कम होने के कारण जीएसटी कार्यान्वयन के फायदे का भाषांतर करेंगे, क्योंकि यह अन्य अप्रत्यक्ष करों का बहिष्कार करेगा।
  • जीएसटी के कार्यान्वयन से पहले करदाता द्वारा वहन किए जाने वाले आयात और निर्यात शुल्क को कम किया जाएगा।
  • सीपीआई के अन्तर्गत आधे से ज्यादा सामान कर मुक्त कर दिए गए हैं। इसका मतलब यह है कि भोजन, अनाज और सब्जियों आदि जैसी आधार भूत सामग्रियों पर कोई कर नहीं लगाया जाएगा। जैसे ही हम आधार भूत सामग्रियों से आवश्यक विलासिता के साधन (लक्जरी) और अपराध करने में प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं का अवलोकन करते हैं, इनके कर के स्तरों में बढ़ोत्तरी देखने को मिलती है। यह निचले और मध्यम आय समूहों वाले लोगों के लिए सस्ते जीवन की सभी बुनियादी चीजों का प्रदाता है।

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