Home / Cricket / भारत की ओर से पदार्पण करने वाले पृथ्वी शॉ और युवा

भारत की ओर से पदार्पण करने वाले पृथ्वी शॉ और युवा

October 5, 2018
by


भारत की ओर से पदार्पण करने वाले पृथ्वी शॉ और युवा

युवा पृथ्वी शॉ का टेस्ट में शानदार आगाज़

मुंबई के सलामी बल्लेबाज पृथ्वी शॉ ने 4 अक्टूबर 2018 को राजकोट टेस्ट में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच में अपना पदार्पण किया। पृथ्वी ने जनवरी 2017 में इसी मैदान पर रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अपना पदार्पण करते हुए मैच जिताऊ शतकीय पारी खेली थी, इसके बाद वह लगातार सुर्खियों में रहे। इसी साल अपनी कप्तानी के तहत, इन्होंने भारतीय अंडर -19 टीम को विश्व चैंपियनशिप का खिताब दिलवाया था। पृथ्वी ने न केवल अपनी रणजी टीम मुंबई के लिए बल्कि भारत ए के लिए भी रन बनाए हैं जिसमें वेस्टइंडीज ए के खिलाफ उनके 188 रन और दक्षिण अफ्रीका ए के खिलाफ 136 रनों का योगदान शामिल है। पृथ्वी ने 56.72 के औसत के साथ केवल 14 प्रथम श्रेणी मैचों में 7 शतक जड़े हैं। उन्होंने हाल ही में विजय हजारे ट्रॉफी में अपनी शानदार फॉर्म जारी रखते हुए 143.50 की स्ट्राइक रेट के साथ केवल तीन पारियों में 287 रन बना डाले। पृथ्वी अपना पदार्पण मैच खेलेंगे वहीं मयंक अग्रवाल को अभी थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। घरेलू मैदान पर एक और शानदार स्कोरर मयंक, जिन्होंने सत्र 2017-18 में शानदार 2141 रन बनाए हैं – जो एक ही सीज़न में किसी भारतीय बल्लेबाज द्वारा बनाए गए स्कोर का सर्वाधिक है।

युवा पदार्पण जिन्होंने अपने नाम को बनाया महान

सैयद अली मुश्ताक एक युवा के रूप में पदार्पण करने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर थे, जब ये महज 19 साल की उम्र में  कोलकाता टेस्ट (1934) में मैदान पर उतरे थे। असल में, उसी टेस्ट मैच में एक और युवा सीएस नायडू ने भी अपना पदार्पण किया था। ओल्ड ट्रैफर्ड में 112 रन बनाकर मुश्ताक अली अपने पहले टेस्ट में शतक जड़ने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बन गए और भारत को निश्चित हार से बचाने के लिए पहले विकेट के लिए विजय मर्चेंट के साथ बेहतरीन साझेदारी करते हुए दोहरा शतक बना डाला। भारत की घरेलू टी -20 चैंपियनशिप, जिसमें रणजी टीमें शामिल हैं, को मुश्ताक अली के नाम पर रखा गया है।

पृथ्वी शॉ टेस्ट पदार्पण करने वाले 30 वें भारतीय युवा है। भारतीय टेस्ट टीम में किशोर युवाओं की सूची को देखने पर हमें कई भारतीय दिग्गज खिलाड़ियों के नाम मिलते हैं – भागवत चंद्रशेखर, एस वेंकटराघवन, मोहिंदर अमरनाथ, दिलीप वेंगसरकर, रवि शास्त्री, मनिंदर सिंह, लक्ष्मण शिवरामकृष्णन, चेतन शर्मा, सचिन तेंदुलकर, नरेंद्र हिरवानी, हरभजन सिंह, आशीष नेहरा, इरफान पठान, ईशांत शर्मा इत्यादि। इस सूची में तीन नाम ऐसे हैं जिन्होंने क्रिकेट जगत में अपने नाम को अमर कर दिया।

जब एक युवा ने भारत की ओर से फैसलाबाद (1978) में पाकिस्तान के खिलाफ गेंदबाजी करनी शुरू की, तो किसी ने कल्पना तक नहीं की थी कि एक दिन इस लड़के को “हरियानवी तूफान” कहा जाएगा और भारतीय स्पिन अटैक का चेहरा हमेशा के लिए बदल जाएगा। अपनी शुरुआत के पांच वर्षों के भीतर इस भारतीय खिलाड़ी ने भारत को विश्वकप खिताब पर कब्जा करवाया। उन्होंने एक सफल गेंदबाज के रूप में अपने सन्यास की घोषणा की। इस महान खिलाड़ी का नाम था – कपिल देव।

जब ओल्ड ट्रैफर्ड टेस्ट (1990) में भारत की ओर से एक लंबा सा युवा किशोर गेंदबाजी करने के लिए उतरा, तो कोई नहीं जानता था कि यह लड़ाकू गेंदबाज एक दिन भारत का सबसे सफल और मैच जिताऊ गेंदबाज बन जाएगा। इस महान गेंदबाज का नाम था – अनिल कुंबले

जब एक 16 वर्षीय युवा, कराची टेस्ट (1989) में पाकिस्तान के सबसे खतरनाक गेंदबाजी लाइनअप – जिसमें इमरान खान, वसीम अकरम और वकार यूनिस शामिल थे, के विरुद्ध बल्लेबाजी करने के लिए उतरा, तो किसी को उम्मीद भी नहीं थी कि यह लड़का एक दिन “मास्टर ब्लास्टर” कहा जाएगा और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में लगभग सभी बल्लेबाजी रिकॉर्ड अपने नाम कर लेगा। जिसका नाम था – सचिन तेंदुलकर

हालांकि काफी समय से भारतीय टीम में किसी भी युवा को पदार्पण करते हुए नहीं देखा गया है। यह सब भारतीय टीम की अच्छी परफार्मेंस और बेहतरीन टेस्ट संयोजन के कारण है। दूसरी तरफ आईपीएल, टी -20 और एकदिवसीय के रूप में बहुत क्रिकेट है, इसलिए जब किसी युवा को टेस्ट क्रिकेट के लिए बुलाया जाता है तो वह अपनी युवावस्था को पार कर चुका होता है। भारत की ओर से टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने वाले अंतिम युवा जयदेव उनादकट थे – जिसने 2010 में भारतीय टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था। इसलिए पृथ्वी शॉ को खुद को भाग्यशाली मानना चाहिए क्योंकि उन्हें एक युवा के रूप में अभी-अभी मौका मिला है। और उन्होंने इस मौके को पूरी तरह से भुनाया भी है तथा अपने डेब्यू मैच में शतक जड़कर पदार्पण मैच में शतक लगाने वाले पहले भारतीय युवा बल्लेबाज बन गए। वह टेस्ट मैच में पहली गेंद का सामना करने वाले पहले युवा बल्लेबाज भी बन गए।

रणजी टीम से इसी अंदाज में खेलते हुए इन्होंने रणजी ट्रॉफी के पदार्पण के साथ-साथ दिलीप ट्रॉफी के पदार्पण में शतक जड़ा (हालांकि ईरानी ट्रॉफी के पदार्पण में ये शतक से चूक गए थे, यहां पर इन्हें अर्द्धशतक लगाया था), इसलिए इनकी तुलना सचिन से की जा रही है। यह तुलना सचिन के सन्यास के बाद से शुरू हुई थी – जब एक 14 वर्षीय स्कूली लड़के के रूप में, पृथ्वी ने सेंट फ्रांसिस के खिलाफ हैरिस शील्ड मैच में रिज़वी स्प्रिंगफील्ड के लिए रिकॉर्ड 546 रन बनाए थे। हर गुजरते दिन के साथ तुलना और अपेक्षाएं बढेंगी। यही वह जगह है जहां पृथ्वी शॉ को – भारी दबाब और बड़ी अपेक्षाओं के साथ- असली टेस्ट से गुजरना है। यह अभी एक शुरुआत है रास्ता लंबा और जटिल है क्या होगा वक्त ही बताएगा।