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भारत में उत्सर्जन मानक: वर्तमान परिदृश्य

August 3, 2018
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भारत में उत्सर्जन मानक: वर्तमान परिदृश्य

उद्योगों और वाहनों के द्वारा बढ़ते वायु प्रदूषण की पृष्ठभूमि में वायु की गुणवत्ता दुनिया भर में बढ़ती सामाजिक चिंता का एक विषय बन गई है। सड़क पर बढ़ते वाहनों से ट्रैफिक जाम की गंभीर समस्याओं के कारण, विकासशील देशों, भारत जैसे देश को गंभीर पर्यावरणीय खतरों का सामना करना पड़ रहा है। भारत यात्री वाहनों का एक प्रमुख निर्माणकर्ता बनने की कगार पर है क्योंकि 2016 में इसका उत्पादन 3,707,348 यूनिट था जो कि 2017 में वृद्धिकर 3,952,550 यूनिट हो गया है। यह देश, दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला होने के बावजूद, वायु प्रदूषण के मामले में एक खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है क्योंकि विश्व में भारत केअधिकांश शहरों की गिनती पहले से ही प्रदूषित हवा वाले शहरों में की जाती है। वाहनों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक साहसिक कदम उठाते हुए, सन 2000 में भारत में उत्सर्जन मानकों को लागू किया गया था।

भारत उत्सर्जन मानक क्या हैं?

उत्सर्जन मानकों का निर्माण बढ़ते वायु प्रदूषण के मुद्दे को निपटाने के लिए किया गया है। ये मानक वैध आवश्यकताओं से मिलकर बने हैं जो दहन इंजन पर चल रहे वाहनों और उपकरणों से वायुमंडल में उत्पन्न होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करते हैं। भारत में, भारत उत्सर्जन मानकों को वर्ष 2000 में लागू किया गया था और यह यूरोपीय उत्सर्जन मानकों पर आधारित थे। इन मानकों को भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था और इनको लागू करने के लिए इनका घटनाक्रम पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा तय किया जाता था। तब से, भारत ने यूरोपीय उत्सर्जन और ईंधन नियमों के आधार पर चार पहिया लाइट ड्यूटी और हेवी ड्यूटी वाहनों के लिए चार उत्सर्जन मानकों तथा दो एवं तीन-पहिया वाहनों के लिए अपने स्वयं के उत्सर्जन अधिनियमों को लागू किया गया है।

बीएस IV उत्सर्जन मानक: वर्तमान उत्सर्जन मानक

बीएस IV, वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण का पता लगाने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया जाने वाला चौथा उत्सर्जन मानक है।

यह उत्सर्जन मानक पहली बार अप्रैल 2010 से भारत के 13 प्रमुख शहरों अर्थात दिल्ली / एनसीआर, कोलकाता, बैंगलोर, सोलापुर, मुंबई, आगरा, चेन्नई, लखनऊ, अहमदाबाद, हैदराबाद, सूरत, पुणे और कानपुर में लागू किया गया था। विभिन्न परिवर्तनों के माध्यम से गुजरने के बाद, अंततः बीएस IV ईंधन ने अप्रैल 2017 में पूरे देश को कवर कर लिया था। इस मानक के तहत, एक विशेष ईंधन डिजाइन किया गया था जिसमें बीएस III के तहत उपयोग किए गए ईंधन की तुलना में केवल 50 भाग प्रति मिलियन सल्फर शामिल था। बीएस IV ईंधन से नाइट्रोजन ऑक्साइड, कणीय पदार्थ और हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन कम होता है।

यह मानक भारतीय सड़कों पर वाहनों द्वारा उत्सर्जित हाइड्रोकार्बन (एचसी), नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स), और कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) जैसे प्रदूषकों के खिलाफ कार्य करता है। यह मानक लगभग 60 प्रतिशत कार्बन मोनोऑक्साइड और डीजल वाहनों द्वारा 50 प्रतिशत तक हाइड्रोकार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन करता है। पेट्रोल वाहनों के मामले में, सीओ स्तर में 20 प्रतिशत और नॉक्स और एचसी स्तरों में 50 प्रतिशत की कमी आई थी।

चुनौतियां

प्रारंभ में, पूरे देश में इस मानक राष्ट्रव्यापी सेवा को कार्यान्वयन करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बीएस IV ईंधन की कमी के कारण इसमें देरी हुई थी। ईंधन उत्पादकों को पूरे देश में इस ईंधन की आपूर्ति के लिए भारी निवेश करना जरूरी था। जिन शहरों में यह मानक लागू किया गया था, बीएस IV ईंधन संचालित वाहनों को सुनिश्चित करने में असफल रहा। इसमें अन्य चुनौतियां भी शामिल थीं-

  • टैक्सियों जैसे विशिष्ट वाहनों के निर्माताओं को छूट प्रदान की गई।
  • बीएस IV क्षेत्रों के दायरे में आने वाले व्यावसायिक वाहनों का पंजीकरण नहीं किया गया।
  • गलत आवासीय पते पर बीएस III ईंधन द्वारा संचालित वाहनों का पंजीकरण।

 

2020 तक भारत बीएस IV से बीएस VI तक पहुंच जाएगा

भारत सरकार ने वाहन के वायु प्रदूषण को कम करने के क्रम में, बीएस V को छोड़कर, बीएस IV उत्सर्जन मानक से सीधे बीएस VI उत्सर्जन मानक पर पहुंचने का फैसला किया है। इससे पहले, बीएस VI मानकों को लागू करने का समय 2021 में निर्धारित किया गया था, लेकिन पिछले साल बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर के कारण सरकार ने इसको निर्धारित समय से पहले ही लागू करने का फैसला किया था। अब तक, किसी अन्य देश ने इस तरह का निर्णय नहीं लिया है।

पेट्रोल की तुलना में डीजल वाहनों की बढ़ती संख्या इस निर्णय के पीछे के मुख्य कारणों में से एक है। डीजल से चलने वाले वाहन पेट्रोल वाहनों की तुलना में कहीं अधिक प्रदूषण उत्पन्न करते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, 2020 तक सड़क पर 50% से अधिक कारें डीजल से चलेंगी। इससे प्रमुख भारतीय शहरों में प्रचुर मात्रा में वायु प्रदूषण के विस्तार में वृद्धि होगी।

भारत सरकार का यह कदम वाहन से होने वाले प्रदूषण, जो कि भारतीय शहरों की हवा को दुनिया में सबसे अधिक अशुद्ध करने के लिए जिम्मेदार है, को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

नए दिशानिर्देश: बीएस VI उत्सर्जन मानक

सरकार द्वारा बीएस V मानक को छोड़कर सीधे बीएस VI मानक पर जाने का फैसला लिए जाने के बाद बीएस VI मानक ने बहुत ही लोकप्रियता प्राप्त की है। ऑटो फ्यूल पॉलिसी ने 2024 तक इस मानक के लागू होने का सुझाव दिया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार को आदेश दिए जाने के बाद 2021 तक की निर्धारित समय सीमा से पहले ही बीएस VI मानक को लागू किया गया, जो कि बीएस IV से बीएस VI में शिफ्ट हो चुका है। इसके साथ ही भारत यूरो स्टेज VI उत्सर्जन मानक, जिसमें जापान, यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल थे, को लागू करने की लीग का हिस्सा बन गया।

बीएस IV ईंधन की तुलना में इस नए उत्सर्जन मानक में सल्फर की मात्रा कम है। बीएस VI ईंधन में सल्फर की मात्रा 10 पार्टस पर मिलियन है जबकि बीएस IV ईंधन में सल्फर की मात्रा 50 पार्टस पर मिलियन शामिल है। यह ईंधन जलने से उत्सर्जित हानिकारक हाइड्रोकार्बन को कम करने में भी मदद करता है। डीजल वाहनों में, बीएस VI ईंधन के उपयोग के साथ, कणिकीय पदार्थ (पार्टीकुलैट मैटर) और नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन में क्रमशः 80 प्रतिशत और 83 प्रतिशत की गिरावट देखी जा सकती है।

बीएस VI विभिन्न वाहनों के लिए लागू होगा जिसका वजन कुल 3,500 किलोग्राम से कम होगा और जिसे 01 अप्रैल 2020 को या उसके बाद निर्मित किया जाएगा।

एक अनुमान यह भी है कि तेल उत्पादन में लगे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को इन मानकों का अनुपालन करने के लिए 500 अरब रुपये का निवेश करना पड़ सकता है। इस उत्सर्जन मानक के दिशा निर्देशों का अनुपालन करने के लिए वाहन निर्माताओं को भी एक अच्छी राशि का निवेश करना होगा। सुझाव के रुप में दी गई समय सीमा से पहले कुशल ईंधन वाहनों के लिए बीएस VI को जारी रखना उनके लिए मुश्किल चुनौती होगी। मर्सिडीज-बेंज इंडिया ने समय सीमा से दो साल पहले बीएस-6 कम्प्लायंट इंजन से लैस ‘मर्सिडीज एस-क्लास’ लॉन्च किया है।

असली चुनौतियां

वर्तमान में, दिल्ली में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण के उत्सर्जन में कार्बन मोनोऑक्साइड (59%), हाइड्रोकार्बन (50%)और नाइट्रोजन ऑक्साइड (18%) शामिल होती है। वायु प्रदूषण में हवा में कणिकीय पदार्थ (पीएम 10 और पीएम 2.5) की उपस्थिति एक प्रमुख योगदान कारक है। यह बीएस VI ईंधन के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी, भारत में इसके कार्यान्वयन से वायु की गुणवत्ता में अच्छा सुधार या परिवर्तन आने की जो भविष्यवाणी की गई है, जैसा कि बीएस VI से अच्छी उम्मीद की गई है। बीएस VI ईंधन डीजल वाहनों में वायु प्रदूषण के स्तर को 80 प्रतिशत तक कम कर देगा। नया उत्सर्जन मानक पेट्रोल वाहनों में नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को 25 प्रतिशत और डीजल वाहनों में 68 प्रतिशत तक कम कर देगा।

वर्तमान में, भारत की सड़कों पर चलने वाले वाहन या तो बीएस III या बीएस IV इंजन से परिपूर्ण हैं। इन वाहनों में बीएस VI ईंधन का उपयोग केवल बीएस VI ईंधन को आंशिक लाभ प्रदान करेगा। इसलिए, बाजार में बीएस IV ईंधन केअनुकूल इंजनों से सुसज्जित  वाहनों की सख्त जरूरत है। वाहनों की शिकायत का चयन करके भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग बाजार में नए बीएस VI ईंधन के चलन में आ सकते हैं।

दिल्ली- बीएस IV ईंधन वाला पहला राज्य

पिछले साल नवंबर में पड़ोसी राज्यों में फसलों के जलने से उत्पन्न होने वाले धुएं ने पूरी राष्ट्रीय राजधानी को अपने कब्जे में ले लिया था, सरकार ने बीएस IV से सीधे बीएस VI उत्सर्जन मानक को अपनाने का फैसला किया। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में क्षीण वायु गुणवत्ता को देखते हुए ईंधन के विक्रेताओं ने, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा कौशल विकास एवं उद्यमितामंत्री, धर्मेंद्र प्रधान से 01अप्रैल 2018 से बीएस VI ईंधन की आपूर्ति शुरू करने के लिए आग्रह किया है।

इस फैसले को प्रचारित करने के बाद, दिल्ली वायु प्रदूषण को रोकने के लिए वाहनों में बीएस VI ईंधन का उपयोग करने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया। राज्य में इस ईंधन के कार्यान्वयन को 2020 की समय सीमा से दो साल पहले ही लागू कर दिया गया था।

अंतिम शब्द

हालांकि, पिछले लागू उत्सर्जन मानकों ने बीएस VI ईंधन के साथ भारत में वायु प्रदूषण को कम करने में अपना थोड़ा बहुत योगदान दिया है, संभावना है कि भारत में वायु प्रदूषण के स्तर में बड़े पैमाने पर काफी गिरावट देखने को मिलेगी।

 

 

 

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भारत में उत्सर्जन मानक: वर्तमान परिदृश्य
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वायु प्रदूषण, जो आजकल बढ़ती सामाजिक चिंता है, से निपटने के लिए उत्सर्जन मानकों को लागू किया जाता है। भारत में इन उत्सर्जन मानकों से संबंधित वर्तमान परिदृश्य को यहां जानें।
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