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भारत में प्रमुख राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों की सूची

June 21, 2018
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भारत में प्रमुख राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों की सूची

“काम ही काम, न कोई मोद, न आराम, फिर कैसे चमके चिपटू राम”। हम सभी इस कहावत को सुनकर बड़े हुए हैं जो हमारे जीवन में खेल के महत्व को खूबसूरती से दर्शाती है। किसी व्यक्ति के मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर के सक्रिय विकास के लिए भी खेल बेहद जरूरी हैं। हम सभी को अपने पसंदीदा खेल जगत के सितारों को खेलते देखना पसंद है, भले ही यह खेल क्रिकेट हो, फुटबॉल हो या हॉकी। लेकिन, उन्हें उनकी क्षमताओं और प्रतिभा के लिए कितनी बार सम्मानित किया जाता है। खैर, यहाँ खिलाड़ियों को दिए गए कुछ पुरस्कार हैं जिन्होंने एक निश्चित खेल में अपनी एक खास जगह बनाई है।

आइए भारत में दिए जाने वाले प्रमुख खेल पुरस्कारों पर नजर डालें

 

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भारत के स्वर्गीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी की याद में प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार भारत में सर्वोच्च पद का राष्ट्रीय खेल पुरस्कार है। वर्ष 1991 में इसको शुरू किया गया, यह पुरस्कार खिलाड़ियों के मनोबल और आत्मविश्वास को बढ़ावा देने के लिए दिया जाता है। भारत में खेल के क्षेत्र में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार खेल एवं युवा मंत्रालय द्वारा खिलाड़ियों को उनके असाधारण प्रदर्शन के लिए प्रदान किया जाता है। वर्ष 2004 तक, इस पुरस्कार के प्राप्तकर्ताओं को 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता था जो वर्ष 2005  में बढ़ाकर 7.5 लाख रुपये कर दिया गया। खिलाड़ियों को नकद पुरस्कार के साथ-साथ एक पदक और प्रमाण पत्र भी दिया जाता है।

1992-1993 में इस पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता विश्वनाथन आनंद थे।

1995-1996 में कर्णम मल्लेश्वरी पहली ऐसी महिला थीं जिन्हें वेटलिफ्टिंग के लिए राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

पंकज आडवाणी एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें दो अलग-अलग खेल- स्नूकर्स और बिलियर्ड्स के लिए इस से पुरस्कार सम्मानित किया गया।

अर्जुन पुरस्कार

खेल एवं युवा मंत्रालय द्वारा प्रदत्त,अर्जुन पुरस्कार भारत में सबसे पुराना राष्ट्रीय खेल पुरस्कार है जिसे वर्ष 1961 में शुरू किया गया था। यह पुरस्कार किसी ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है जिसने लगातार चार वर्षों के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेलों (ओलंपिक, एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों सहित) में उत्कृष्ट प्रदर्शन दिखाया हो। इस पुरस्कार का नाम “अर्जुन” के नाम पर रखा गया है, जो महाभारत के समय के एक प्रसिद्ध तीरंदाज थे। अर्जुन पुरस्कार के सभी प्राप्तकर्ताओं को अर्जुन की कांस्य प्रतिमा और पांच लाख रुपए नकद पुरस्कार के साथ एक सूचीपत्र (स्क्रॉल) दिया जाता है।

अर्जुन पुरस्कार 1961 में पहली बार सलीम दुर्रानी (क्रिकेट), गुरुचरण सिंह रंधावा (एथलेटिक्स), सरबजीत सिंह (बास्केट बॉल), मैनुअल हारून (शतरंज), नंदू नाटेकर (बैडमिंटन) और एलबी डिसूजा (बॉक्सिंग) इन छह लोगों को प्रदान किया गया था।

1962 में, मीना शाह (बैडमिंटन) इस पुरस्कार को पाने वाली पहली महिला थीं।

1961 में, कृष्णदास तीरंदाजी के क्षेत्र में अर्जुन पुरस्कार पाने वाले पहले प्राप्तकर्ता थे।

द्रोणाचार्य पुरस्कार

हर सफल छात्र के पीछे, हमेशा एक उल्लेखनीय शिक्षक और उसकी उपासना होती हैं। खेल में कोच के योगदान को पहचानने के लिए, भारत सरकार ने “द्रोणाचार्य पुरस्कार” देने का फैसला किया, जिसे “द्रोणाचार्य” के नाम पर रखा गया है, जो कि एक असाधारण गुरु थे जिन्होंने पांडवों को प्रशिक्षित किया था। यह पुरस्कार आमतौर पर उन कोच को दिया जाता है जिन्होंने प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में पदक विजेताओं को प्रस्तुत किया है।

पुरस्कार के विजेताओं को द्रोणाचार्य की मूर्ति, औपचारिक पोशाक और पांच लाख रुपये के नकद पुरस्कार के साथ प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाता है।

भालचंद्र भास्कर भागवत (कुश्ती), ओम प्रकाश भारद्वाज (मुक्केबाजी), ओ एम नांबियार (एथलेटिक्स) इस पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता थे जिन्हें 1985 में सम्मानित किया गया था।

ध्यानचंद पुरस्कार

ध्यानचंद पुरस्कार जिसे आधिकारिक तौर पर खेल और खेलों में लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए दिया जाता है, ध्यानचंद पुरस्कार के रूप में जाना जाता है, जो खेल के क्षेत्र में आजीवन उपलब्धि के रुप में एक सर्वोच्च पुरस्कार है। इस पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखा गया है जो न केवल भारतीय सेना में एक सैनिक थे बल्कि वह एक भारतीय फील्ड हॉकी खिलाड़ी भी थे जिन्होंने अपने 20 वर्षों के हॉकी करियर में 1000 से अधिक गोल किए। वर्ष 2002 में स्थापित, यह पुरस्कार सालाना खेल एवं युवा मंत्रालय द्वारा प्रदान किया जाता है । इस पुरस्कार के प्राप्तकर्ताओं को उनके सक्रिय खेल करियर और सेवानिवृत्ति के बाद दोनों में उनके योगदान के आधार पर चुना जाता है। ध्यानचंद पुरस्कार विजेताओं को एक पदक और प्रमाण पत्र के साथ पांच लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है।

पुरस्कार एक वर्ष में तीन से अधिक खिलाड़ियों को प्रदान नहीं किया जाता है (हालांकि 2003, 2012 और 2013 अपवाद थे)।

इन पुरस्कारों के साथ जो मौद्रिक लाभ प्राप्त होता है वह संतोष जनक भले ही ना हो लेकिन इन पुरस्कारों के साथ जो सम्मान, प्रतिष्ठा और गौरव प्राप्त होता है वह पूरी तरह से अथाह है। देश की सरकार द्वारा इन पुरस्कारों को प्राप्त करने से न केवल युवाओं के मनोबल को बढ़ावा मिलता है बल्कि उन्हें खेलों में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहन भी मिलता है।

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इन पुरस्कारों के साथ जो मौद्रिक लाभ प्राप्त होता है वह संतोष जनक भले ही ना हो लेकिन इन पुरस्कारों के साथ जो सम्मान, प्रतिष्ठा और गौरव प्राप्त होता है वह पूरी तरह से अथाह है। देश की सरकार द्वारा इन पुरस्कारों को प्राप्त करने से न केवल युवाओं के मनोबल को बढ़ावा मिलता है बल्किउन्हें खेलों में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहन भी मिलता है।
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