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पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी: आपको जानना चाहिए

September 13, 2018
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पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी: आपको जानना चाहिए

8 सितंबर 2018 को एक बार फिर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी ने लोगों की हिलाकर रख दिया। इसके साथ दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 80.38 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 72.16 रुपये प्रति लीटर हो गई है जिसकी वजह से देश में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन होना शुरू हो गए हैं। पेट्रोलियम उत्पादों में यह अभी तक को सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी है। पिछले एक महीने में पेट्रोल की कीमतों में लगभग 3 रुपये और डीजल की कीमतों में लगभग 4 रुपये की वृद्धि देखी गई है।

इन सबके बाद विपक्ष ने बढ़ती कीमतों के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल के लिए आग्रह किया है। देश में पहले से ही रुपये की गिरती हुई कीमतो ने उथल-पुथल मचा रखी थी, साथ ही तेल की बढ़ती कीमतें अर्थव्यवस्था के लिए एक और चिंता का विषय बन गई है। लेकिन क्या कारण हैं कि ये कीमतें अनियंत्रित होती जा रही हैं?

इस वर्ष भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। हालांकि, वर्ष 2018, देश के साथ-साथ आम आदमी की जेब पर पड़ने वाले अधिक भार के कारण अच्छा नहीं रहा है। जहां रुपया अभी तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है, वहीं विपरीत दिशा में पेट्रोल और डीजल की तेजी से बढ़ने वाली कीमतें आसमान छू रहीं हैं। वर्ष की शुरुआत में राजधानी में पेट्रोल की कीमत 69.97 रुपये के साथ शुरू हुईं और तब से अभी तक इनमें केवल बढ़ती कीमतों को ही देखा गया है। जनवरी 2018 में 59.76 रुपये प्रति लीटर के साथ डीजल की शुरुआत भी कुछ ऐसे ही हुई। आज, दोनों में कम से कम कुल 10 रुपये की बढ़ोत्तरी हो चुकी है।

2018 दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की कीमतें

उसी समय, रुपए ने डॉलर विनिमय दर 63.807 रुपये के साथ वर्ष की शुरुआत की, और आज विनिमय दर 71.80 रुपये पर पहुंचकर मुंह चिढ़ा रही है। पेट्रोल, डीजल की कीमतों और विनिमय दर की स्थिति के बीच गहरे जटिल संबंधों के कारण स्थिति और अधिक खतरनाक हो जाती है। विभिन्न विश्लेषकों के पास इन बढ़ती हुई कीमतों का कारण बताने के कई सारे तरीके हैं।

पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ने से लोगों पर क्या असर पड़ता है

एक्सचेंज रेट

पेट्रोल और डीजल की कीमत

भारत अपनी 80% तेल की आवश्यकताओं को आयात करता है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए की लगातार गिरावट को देखते हुए तेल का आयात पहले की अपेक्षा स्वाभाविक रूप से महंगा हो गया है। इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पहले से ही ज्यादा दबाव बढ़ता जा रहा है, जिसकी वजह से तेल की कीमतें दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं।

इस समय देश में भारतीय रुपये की जो हालत हैं उससे कोई भी अनजान नहीं है। हालांकि, वित्त मंत्री ने कहा है कि चिंता करने की कोई बात नहीं है, उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि रुपये की गिरती हुई कीमतें बाहरी कारणों की वजह से हैं, तेल की कीमतों से इसका कोई लेना देना नही है।

कच्चे तेल की कीमतें

कच्चे तेल की कीमतें

कच्चा तेल असल में वह कच्ची सामग्री होती है जिससे पेट्रोल तथा डीजल निकाला जाता है। इसके बाद उनकी कीमतों के बीच संबंध पूरी तरह से स्पष्ट हो जाते हैं। इस समय कच्चे तेल की कीमतें बढ़ी हैं, जो भारत में तेल की बढ़ी हुई कीमतों का भी कारण है। दिलचस्प बात तो यह है कि कच्चे तेल की कीमतें जो आज हैं वह चार साल पहले इससे अधिक थी। इस हिसाब से देखा जाए तो पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम होनी चाहिए थीं। लेकिन वास्तव में यह कीमतें इससे बिल्कुल विपरीत हैं।

कर

पेट्रोल / डीजल पर उत्पाद शुल्क ईंधन की बिक्री में कर योग्य है। उसी प्रकार, उच्च उत्पाद शुल्क पेट्रोल (या डीजल) की बिक्री को और अधिक महंगा बनाता है। यह बढ़ी हुई कीमत उत्पाद की अंतिम कीमत के लिए अपना रास्ता बनाती है। इसलिए इसका बोझ ग्राहकों पर आ जाता है। अन्य मेट्रो शहरों की तुलना दिल्ली में पेट्रोल की कीमत सबसे कम हैं। यह कम कीमत कर/वैट की वजह से है।

निष्कर्ष

पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से आम जनता बहुत प्रभावित हुई है। वर्तमान परिदृश्य में सिर्फ एक ही बात की ओर इशारा करते हुए इसे स्पष्ट नही किया जा सकता है। हालांकि, वैश्विक अर्थव्यवस्था में लचीलापन परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है उदाहरण के लिए, अमेरिका-ईरान से तनाव पूर्ण संबंधों के कारण, पूर्वी देशों ने ईरान से कोई तेल आयात न करने के लिए कहा है। औसतन भारत प्रति दिन ईरान से 592800 बैरल कच्चे तेल का आयात करता है।

घरेलू मुद्रा की विनिमय दर, कच्चे तेल की कीमत, आंतरिक कर, उत्पाद शुल्क आदि जैसे अन्य कारक भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पेट्रोलियम उत्पादों से उत्पाद संग्रह पिछले चार वर्षों में दोगुना हो गया है। नवंबर 2014 और जनवरी 2016 के बीच, उत्पाद शुल्क को नौ गुना बढ़ाया गया था। निश्चित रूप से, यह पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों के ऊपर दबाव डालता है।

हालांकि, विपक्षी पूरे देश में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के लिए सरकार की आलोचना कर रहे है और इसी के साथ आम आदमी उम्मीद की कुछ किरणों की प्रतीक्षा कर रहा हैं। बोझ कम होगा या नहीं यह सब कुछ दिनों और महीनों तक इंतजार करके ही स्पष्ट होगा।

 

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डीजल और पेट्रोल की कीमतें अभी तक के सबसे उच्च स्तर पर आ गईं हैं। आम आदमी की जेब पर पड़ने वाले बोझ का सामना करने के साथ, हम विश्लेषण करने का प्रयास क्यूं करें।
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