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गुरु पूर्णिमा 2018 : महत्व, इतिहास और उत्सव

July 27, 2018
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गुरु पूर्णिमा 2018: महत्व, इतिहास और उत्सव

गुरु पूर्णिमा का उत्सव, हमारे गुरुओं को याद करने और उनसे आशीर्वाद लेने का एक शुभ अवसर होता है। “गुरु” का अर्थ विडंबनापूर्ण है अर्थात ‘गु’ का अर्थ है अंधेरा और ‘रू’ का अर्थ है अंधेरे को खत्म करने का प्रतीक। इसलिए, दोनों शब्द का एक सच्ची भावना बनाकर गुरु के रूप का वर्णन करते हैं जो हमारे मस्तिष्क और आत्मा को उजागर करते हैं तथा हमारे जीवन के सभी अधंकार को दूर कर देते है। गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मुख्य रूप से पंचांग या हिंदू कैलेंडर के अनुसार शक् संवत के पूर्णिमा दिवस पर हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन, शिष्य अपने गुरु और शिक्षकों को याद करते हैं, उनकी पूजा करते हैं साथ ही साथ उनके द्वारा दिये गये ज्ञान और शिक्षाओं के लिए आभार भी व्यक्त करते हैं। इस वर्ष, यह महान दिवस 27 जुलाई, 2018 को पूरे भारत में मनाया जा रहा है।

गुरु पूर्णिमा का महत्व

प्रबुद्ध मन और आत्मा के बिना, प्रत्येक मनुष्य केवल मांस और हड्डियों का ढांचा है। गुरू ही होता है जो एक मनुष्य को धैर्यवान व्यक्ति बनाने के लिए अच्छे गुणों और शिक्षाओं को उसके अंदर विकसित करता है। एक व्यक्ति का पहला गुरु या शिक्षक उसकी माँ होती है, जो उसे उसके जीवन के वास्तविक मूल्यों को समझती है और उसे सही और गलत के बीच अंतर करने के तरीके बताती है। वह उसे बचपन में नैतिक मूल्यों की शिक्षा देती है जो बाद में शिक्षकों के रूप में भरोसेमंद गुरुओं द्वारा दी जाती है। इसलिए हमारे गुरु का सम्मान करने के लिए इस दिन का उत्सव मनाना जरूरी हो जाता है। केवल हमारे गुरुओं, माता-पिता, शिक्षकों और हमारे शुभचिंतकों की उचित शिक्षाएँ और आशीर्वाद ही हमें एक सुसंस्कृत और उत्तम व्यक्ति बना सकती हैं।

गुरु पूर्णिमा के उत्सव के पीछे का इतिहास

बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म और जैन धर्म में गुरु पूर्णिमा के उत्सव के पीछे एक समृद्ध इतिहास है।

बौद्ध धर्म:  यह दिन भगवान बुद्ध, जिन्होंने इस धर्म की नींव रखी थी, के सम्मान में मनाया जाता है। बौद्ध लोगों का मानना है कि इस पूर्णिमा के दिन, भगवान बुद्ध ने बोधगया में बोधी वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त करने के बाद उत्तर प्रदेश के सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। तब से, उनकी पूजा निष्ठा से करने के लिए यह उत्सव मनाया जाता है।

हिंदू धर्म: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव योग के ज्ञान को सात अनुयायियों या “सप्तर्षियों” में प्रसार करके गुरू बन गये थे। तब से, हिंदू भक्त इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं।

हिंदू धर्म में, गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन महान ऋषि वेद व्यास का जन्म हुआ था। उन्हें हिंदू परंपराओं में सबसे प्रभावशाली गुरु और उन्हें गुरु-शिष्य प्रथा का एक प्रतीक माना जाता है। इस बात पर भी एक धारणा है कि इस दिन उन्होंने अपने प्रसिद्ध काम, ब्रह्मा सूत्र के लेखन को समाप्त किया था। उनके शिष्य इस दिन सूत्रों के प्रति उनके समर्पण और सम्मान को चिन्हित करते हुए इन सूत्रों को पढ़ते हैं।

जैन धर्म: जैन धर्म के प्रसिद्ध 24 वें तीर्थंकर महावीर का सम्मान में गुरु पूर्णिमा को त्रीनोक गुहा पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। जैन धर्म के अनुयायियों का मानना है कि इस दिन महावीर को उनके पहले अनुयायी गौतम स्वामी मिले, जिसके बाद वह एक त्रीनोक गुहा बन गए।

गुरु पूर्णिमा का उत्सव

पूरे देश में गुरु पूर्णिमा खुशी और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह उत्सव तीन धर्म अर्थात हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी इस उत्सव के समारोह में शामिल हो सकते हैं। यह दिन अपने गुरुओं के स्मरण के साथ शिष्यों द्वारा किए गए धार्मिक गतिविधियों से शुरू होता है। लोग अपने घरों या मंदिर में अपने गुरु के नाम पर गुरु पूजा करते हैं।

शैक्षिक संस्थानों जैसे स्कूलों और कॉलेजों में गुरु पूर्णिमा शिक्षकों के प्रति आभारी होने के साथ-साथ उनकी शिक्षाओं और समर्थन के लिए धन्यवाद देकर मनाया जाता है। इस दिन कई शैक्षणिक संस्थानों में कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। भूतपूर्व छात्र भी अपने शिक्षकों से मिलने और उन्हें उपहार देने के लिए दूर-दूर से यात्रा करके आते हैं।

हिंदू भिक्षु या संन्यासी भी, इस दिन को चातुर्मास के वृत्तांत के रूप में, अपने गुरुओं के प्रति  सम्मान में पूजा करके मनाते हैं। कुछ लोग इसे अगल तरीके से मनाते है और खुद को उत्सव मनाने तक ही सीमित रखते हैं, जबकि कुछ अन्य लोगों को उपदेश देकर मनाते हैं।

इस त्यौहार में उन शिष्यों के बीच अधिक प्रसिद्ध  है जो संगीत और नृत्य के भारतीय शास्त्रीय रूपों को सीख रहे हैं।

 

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गुरु पूर्णिमा 2018: महत्व, इतिहास और उत्सव
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आइए गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर अपने गुरु को याद करें। गुरु पूर्णिमा 2018 की हार्दिक शुभकमनाएं!
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