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भारत में उगाए जाने वाले 10 विदेशीफल जो हैं स्वास्थ्य के लिए लाभदायक

January 5, 2018
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भारत में उगाए जाने वाले 10 विदेशीफल जो हैं स्वास्थ्य के लिए लाभदायक

फल मानव जीवन के आहार का अनिवार्य भाग होते हैं, जो पोषण में अपना विशेष योगदान देते हैं क्योंकि फलों में फाइबर, विटामिन सी और पानी की भरपूर मात्रा मौजूद होती है। भारत, अपनी विविध जलवायु की परिस्थितियों के साथ, हिमालयी बेल्ट से लेकर दक्षिणी भारत के उष्णकटिबंधीय बेल्ट तक, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े फल के उत्पादक होने का गौरव प्राप्त करता है।

आजकल सुपरमार्केटों में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में इन मूल्यवान फलों का भारत से निर्यात होता है। इन फलों की खूशबू और रंग इतना अच्छा होता है कि कोई भी व्यक्ति इन फलों का थोड़ा सा टुकड़ा खाने के लिए उत्साहित हो जाता है। लेकिन अनुसंधान की खोजों से पता चला है कि पोषण आहार के लिए जैविक स्थानीय उत्पाद अधिक महत्वपूर्ण हैं और भारत में स्थानीय स्तर पर विदेशी फल उगाए जाते है। इन मूल्यवान फलों को प्रकृति से खोजा गया है और अधिकतर स्थानीय लोगों द्वारा इन का सेवन किया जाता है। लेकिन आजकल उप महादेश में गर्मियों व सर्दियों के दौरान बाजार में इन फलों का तेजी से व्यापार होता हैं। यहाँ कुछ मूल्यवान विदेशी फलों का विवरण प्रस्तुत है जो भारत में आहार पोषण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है-

1. जंगल जलेबी / कूदुकापूली (कैमाचीइल)

जंगल जलेबीजंगल जलेबी, भारतीय मिठाई जलेबी के समान होती है। इसका मटर के समान घुमावदार आकार होता है और इसमें 6 से 10 काले रंग के बीजों के ऊपर गुलाबी रंग का मीठा गूदा होता है। कच्चा या फिर नींबू शिकंजी, बनाने के लिए टेंगी बीज औऱ करी पत्तो के साथ इस्तेमाल करके इसका आनन्द लिया जा सकता है।

  • यह फल मैक्सिको, अमेरिका, मध्य एशिया, भारत, कैरीबियन, फ्लोरिडा (संयुक्त राज्य अमेरिका का एक राज्य) गुआम और फिलीपींस जैसे देशों में प्रमुख रूप से पाया जाता है।
  • जंगल जलेबी भारत के विभिन्न राज्यों जैसे- तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी प्रमुख रूप से पाई जाती हैं।
  • इस फल की छाल व गूदा कसैले और हेमोस्टाटिक होते हैं।
  • जंगल जलेबी फल का गूदा या लुगदी और छाल का प्रयोग सामान्य रोग जैसे दांतों का दर्द, रक्तस्रावों के इलाज में किया जाता है।
  • सामान्यत: इसकी छाल का इस्तेमाल पेचिश, क्रॉनिक डायरिया और तपेदिक जैसे रोगों से निजात पाने के लिए किया जाता है।
  • जंगल जलेबी के ग्राउंडर बीज अल्सर के इलाज में काफी सहायक होते हैं।

2. कारम्बोला (स्टारफ्रूट)

कारम्बोला (स्टारफ्रूट)कारम्बोला फल अत्यधिक कोमल होता है इसे कच्चा खाने के साथ-साथ इसका अचार या मुरब्बा भी बनाया जाता है। जबकि कारम्बोला कच्चा हरे रंग का, बहुत खट्टा होता है। पकने पर यह पूर्णतय: पीला हो जाता है, थोड़ा भूरा होने पर यह खाने में मीठा लगता है। यह फल पूरे भारत में सभी जगहों पर मिलता है लेकिन, विशेष रूप से दक्षिणी भागों में अधिक उगता है। इस फल के पोषण संबंधी निम्नलिखित फायदे होते हैं-

  • कारम्बोला फल में एंटीऑक्सिडेंट, पोटेशियम, और विटामिन सी की बहुमूल्य मात्रा होती है।
  • कारम्बोला में चीनी, सोडियम और एसिड कम मात्रा में उपस्थित होता है।

3. हैंड ऑफ बुद्धा फल (फिगरीडसिट्रन)

हैंड ऑफ बुद्धा फल (फिगरीडसिट्रन)यह विदेशी फल लम्बे नींबू के आकार के समान दिखाई देता है और जिसमें पीले रंग के छिलके, जो बुद्ध की लम्बी अंगुलियों की भाँति प्रतीत होते हैं। यह फल हल्की खूशबू के साथ स्वाद में चटपटा होता है। कुछ विद्वानों का मानना है कि 400 ईसवी पहले भारत के बौद्ध सन्यासियों ने चीन के साथ मिलकर इस फल को लगाया था। पूर्वी भारत में विकसित हैंड ऑफ बुद्धा फल के निम्नवत गुण हैं-

  • अन्य खट्टे फलों के विपरीत हैंड ऑफ बुद्धा फल में कोई गूदा या रस नहीं होता है।
  • हैंड ऑफ बुद्धा फल को “उत्तम रूप और मीठी सुगंध” के लिए पूजा जाता है।
  • खाना खाने के बाद, स्वादिष्ट व्यंजन और मादक पेय पदार्थ (जैसे वोड़का) या मिठाई के रूप में इस फल का आनन्द लिया जा सकता है।
  • इस फल को अधपकी अवस्था में काट कर सुखा लेने से प्राप्त छिलके का प्रयोग पारम्परिक औषधि, टॉनिक बनाने के रूप में किया जाता है।

4. लांग्सा /लोटका (लैंगसैट)

लांग्सा /लोटका (लैंगसैट)यह छोटा, पारदर्शी गोल आकार का फल होता है, जिसे कच्चा खाने पर कड़वा लगता है। लेकिन, जब यह पूर्ण रूप से पक जाता है, तो अंगूर की तरह अत्यधिक मीठा स्वादिष्ट हो जाता है। पूर्व और दक्षिण भारत (विशेषकर नीलगिरि पहाड़ियों) के क्षेत्रों में कम मात्रा में इस लांग्सा या लैंगसैट फल की खेती होती है। इस फल के गुण निम्नवत हैं-

  • लैंगसैट में पौष्टिकता की भरपूर मात्रा पायी जाती है और इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज, विटामिन्स और फाइबर जैसे कई महत्वपूर्ण तत्व शामिल होते हैं।
  • इस फल में विटामिन ए, थाइमिन और राइबोफ्लाविन जैसे तत्वों की अत्यधिक मात्रा होती है जो शरीर की अनेक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अत्यन्त आवश्यक होती हैं।
  • लैंगसैट फल के बीज मलेरिया के उपचार में विरोधी साबित हुए हैं।
  • लैंगसैट फल पाचन तंत्र संबंधी समस्याओं को ठीक करने में काफी सहायता करता है।
  • इसमें अधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो पेट संबंधी रोगों के इलाज में काफी सहायक सिद्ध हुआ है।
  • लैंगसैट पेड़ की छाल में अनेक गुण होते हैं। जैसे पेट में मरोड़ संबंधी समस्यांए, पेचिश और दस्त के उपचार में इसका प्रयोग किया जा सकता है।

5. मंगुस्तान (मँगोस्टीन)

मंगुस्तान (मँगोस्टीन)यह उष्णकटिबंधीय फल खुशबूदार होता है। यह चारो ओर से गहरे बैंगनी, लाल रंग के कठोर आवरण से ढका होता है। मेंगुस्तान मोटा और हिमश्वेत रंग का होता है, जिसका आंतरिक भाग अधिक मीठा होता है। इस फल का स्वाद आम की तरह लगता है। मँगोस्टीन थाईलैंड का राष्ट्रीय फल है। जो भारत के पूर्वी और दक्षिण एशिया में अधिक उपजता है इसके गुण निम्नलिखित हैं-

इस फल में एंटी ऑक्सिडेंट सूक्ष्म जीव निवारक और रोगाणु रोधक की क्षमता होती है।

  • मँगोस्टीन में कैलोरी की मात्रा कम होती है, इसमें संतृप्त वसा या कोलेस्ट्रॉल अधिक नही होता है फिर भी फाइबर प्रचुर मात्रा में उपस्थित होता है।
  • मँगोस्टीन फल में विटामिन सी के साथ-साथ कॉपर, मैंगनीज और मैग्नीशियम जैसे खनिज तत्वों की भरपूर मात्रा होती है।
  • यह फल लाल रक्त कोशिकाओं, कमजोर तन्त्रों की रोग रोधन क्षमता की वृद्धि में सहायक होता है और इसमें एंटी-फ्लेमोरिटी जैसे गुणों के साथ-साथ, कोलेस्ट्रॉल भी कम मात्रा में पाया जाता है।
  • मँगोस्टीन फल ट्यूबर क्लोरोसिस, ब्लडप्रेशर और एन्जाइमस जैसें रोगों के इलाज के लिए प्रभावी साबित हुआ है।

6. जापानीफल (पेर्सिम्मों)

जापानीफल (पेर्सिम्मों)यह जपान का स्थानीय समशीतोष्ण, हिमाचल का विदेशी फल है। यह गहरे नारंगी और लाल रंग का होता है। इसे शीरीन खुरमा भी कहते हैं। पक जाने पर यह नरम हो जाता है और खाने में मीठा और लजीज लगने लगता है। इस फल की अत्याधिक खेती चीन में की जाती है इसलिए मूलतया: इसे चीन का फल कहते है। भारत में इसे 20वीं शताब्दी पहले यूरोपीयवासियों ने इस फल को उगाया था। इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और नीलगिरी पहाड़ियों में भी पाया जाता है। इस फल के लाभकारी गुण निम्नलिखित हैं-

  • इस फल में विटामिन ए और विटामिन सी अधिक मात्रा में पाया जाता है।
  • पेर्सिम्मों में मैंगनीज की भरपूर मात्रा होती है जो श्लेष्मा झिल्ली और त्वचा को स्वस्थ रखने में सहायक है। यह फेफड़े व मुंह के कैंसर जैसे रोगों के लिए प्रभावी उपचार है।
  • पेर्सिम्मों फाइबर, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन्स, कॉपर और फास्फोरस की प्राप्ति का उत्तम साधन है।
  • इसमें कैलोरी और वसा की मात्रा कम होती है और इस छोटे से फल में एंटी ऑक्सिडेंट जैसे गुण भी शामिल होते हैं।
  • हालांकि, पेर्सिम्मों में बहुत अधिक सकारात्मक गुण होते हैं, लेकिन ज्यादा मात्रा में सेवन करने से यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है।

7. आमरा (भारतीय हॉगबेर)

आमरा (भारतीय हॉगबेर)इस फल को जंगली आम भी कहते हैं और कच्चे आमरा में कच्चे आम की तरह खट्टापन भी होता है, लेकिन यह फल पक जाने पर अनन्नास जैसी मिठास और सुगंध देता है। आमरा फलों के ऊपर नमक लाल मिर्च छिड़क कर विविध रूप से प्रयोग कर आनन्द लिया जा सकता है जैसे अचार, फलों का स्वादिष्ट कॉकटेल, सिंपल स्लाइस आदि। विशेष रूप से यह फल तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गोवा में उगाए जाते हैं इस फल की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  • आमरा में विटामिन सी की प्रचुर मात्रा पाई जाती है और इसमें प्राकृतिक एंटी ऑक्सीडेंट जैसे गुण भी शामिल होते हैं।
  • यह शरीर में कोलेजन के निर्माण के लिए सहायक होता है, जोकि त्वचा, स्नायु और हड्डियों के विकास में मदद करता हैं। इसमें रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है, जिससे हमारा शरीर स्वस्थ रहता है।
  • इस फल में आयरन की अधिक मात्रा होती है जो कि हीमोग्लोबिन और माईग्लोबिन उत्पन्न करने में सहायक होता है।
  • अनुसंधान से यह ज्ञात हुआ है कि आमरा फल हृदय संबंधी रोगों के लिए प्रभावी उपचार है।

8. करौंदा (कैरेंडसचैरी)

करौंदा (कैरेंडसचैरी)पोषण से युक्त करौंदे को जंगली बेर भी कहते हैं, कच्चा करौंदा खाने में स्वादिष्ट लगता है और पक जाने पर आप इसका क्रैन बेरी जूस भी तैयार किया जा सकता है। सामान्य रूप से करौंदे का जैम, मिठाई और अचार बनाया जाता है। यह पौधा बिहार और पश्चिम बंगाल के शिवालिक पहाड़ियों, पश्चिमी घाटी और नीलगिरि पहाड़ियों में विकसित होता है, जिसके निम्नवत गुण हैं-

  • करौंदा शरीर के लिए बहुत आवश्यक होता है और इसके सेवन से त्वचा संबंधी बीमारियों को कम किया जा सकता है।
  • करौंदा पेट दर्द, कब्ज और पाचन जैसी तकलीफों को दूर करने में मदद करता है।
  • करौंदे के सेवन से एनीमिया से निजात पायी जा सकती है और पारंपरिक रूप से एनोरेक्सिया और पागलपन के उपचार के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।
  • बुखार, दस्त और कान के दर्द को कम करने के लिए करौदे के पत्तों का काढ़ा बना कर रोगी को दिया जाता है।
  • इस पौधे की जड़ें खुजली में कीटनाशक की तरह काम करती हैं, जिससे खुजली में राहत मिलती है।

9. ताड़गोला / ताड़ (आइस एप्पल या चीनी पामफ्रूट)

ताड़गोला / ताड़ (आइस एप्पल या चीनी पामफ्रूट)यह बाहर से कठोर और भूरे रंग का होता है। इस फल का आंतरिक भाग जैली के समान होता है और भारत के गर्म मौसम में इसका सेवन बहुत अच्छा माना गया है। इस फल की बनावट लीची के समान होती है, जिसका स्वाद ताजे नारियल जैसा लगता है। इसका प्रयोग भारतीय मादक पेय पदार्थ और ताड़ी बनाने के लिए किया जाता है। यह फल तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा और केरल में उगाया जाता है, यह फल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है जिसके निम्नलिखित गुण हैं-

  • गर्मियों के मौसम में इस फल का सेवन करने से शरीर में चीनी और खनिज पदार्थों की मात्रा का संतुलन रहता है।
  • इसमें विटामिन बी, आयरन और कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है।
  • इस फल में विटामिन ए, बी, सी, आयरन, जस्ता, फॉस्फोरस और पोटेशियम भी अत्यधिक मात्रा में उपस्थित होता है।
  • यह फल अनेक बीमारियाँ जैसे मितली, थकान, हीटस्ट्रोक या सनस्ट्रोक, यकृत की समस्याएं और पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज में मदद करता है।
  • यह हाईड्रेटिंग और शरीर का वजन घटाने में भी सहायक होता है।
  • आइस एप्पल गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत लाभकारी होता है।

10. फालसा (भारतीय पेय फल)

फालसा (भारतीय पेय फल)फालसा फल खट्टे और मीठे दोनों फ्लेवर में होते हैं। यह अत्यधिक शीतलता का अनुभव देता है, पके हुए फलों पर नमक और काली मिर्च छिड़क कर इसका आनन्द लिया जा सकता है। इस फल का उपयोग सीरप स्क्वैश बनाने में किया जाता है। फालसा फल पूरे भारत में उगाया जाता है। यह फल स्वास्थ्य के लिए गुणकारी है जिसके निम्नलिखित लाभ हैं-

  • फालसा में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फास्फोरस और विटामिन सी की प्रचुर मात्रा होती है।
  • फालसा प्लांट की छाल का उपयोग दस्त, दर्द और गठिया के इलाज में किया जाता है।
  • इसकी पत्तियां एंटी बायोटिक होती है और घाव को भरने तथा एक्जिमा व अन्य त्वचा संबंधी प्रभावो को कम करने में मदद करती है।

भारत वास्तव में अनेक विदेशी फलों का भारी मात्रा में उत्पादन करता है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त लाभदायक है।

जब भारतीय लोग फल के उत्पादन में विश्व में अपना स्थान ऊपर बनाए हुए हैं, तो क्यों न हम अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्थानीय उत्पादनों की ही खरीद्दारी करें और स्वस्थर हें?