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अल्जाइमर रोग – लक्षण, प्रकार, कारण, निदान, उपचार और रोकथाम

September 21, 2018
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अल्जाइमर रोग - लक्षण, प्रकार, कारण, निदान, उपचार और रोकथाम

अल्जाइमर रोग को सामान्य तरीके से डिमेंशिया (मनोभ्रंश) के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, अल्जाइमर रोग मानसिक प्रक्रियाओं का स्थायी विकार है जो स्मृति क्षति, खराब मन और व्यक्तित्व में बदलाव के कारण होता है। आमतौर पर यह समस्या समय के साथ-साथ गंभीर होती चली जाती है और स्थिति और बिगड़ जाती है. इस वजह से व्यक्ति दैनिक कार्यों को करने में असमर्थ हो जाता है।

ऐसा माना जाता है कि वैश्विक स्तर पर 3 में से 2 लोगों को डिमेंशिया या अल्जाइमर रोग के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस रोग की काफी निंदा की जाती है और इसके बारे में झूठी खबरें फैलाई जाती हैं, जो एक वैश्विक समस्या है। इन समस्याओं को केवल वैश्विक कार्रवाई से ही निपटाया जा सकता है। जागरूकता फैलाने और इससे संबंधित कलंक को दूर करने के लिए, सितंबर माह को विश्व अल्जाइमर माह  के रूप में चिह्नित किया गया है  प्रत्येक वर्ष 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है।

अल्जाइमर रोग के बारे में अधिक जानकारी के लिए नीचे पढ़ें –

अल्जाइमर रोग के लक्षण –

अल्जाइमर रोग के शुरुआती लक्षणों में तुरंत कही बातों को बार-बार याद करना (याददाश्त में कमी) काफी मुश्किल होता है।

अल्जाइमर के अन्य लक्षणों में शामिल हैं-

  • नई चीजों को समझने की क्षमता में कमी।
  • भटकाव I
  • बात को दोहराना और एक ही बात बार-बार पूछना।
  • व्यवहार और समझ में परिवर्तन।
  • संवेदनाओं की कमी I
  • चेहरों और वस्तुओं को पहचानने में असमर्थता।
  • पढ़ने में कठिनाई (अलेक्सिया)।
  • चीजों को इधर-उधर रखना।
  • गलत निर्णय और निर्णय लेने में कठिनाई।
  • चिंता और भटकाव।
  • अनिद्रा, भ्रम और भयावहता।
  • बोलने में कठिनाई।

 

अल्जाइमर के प्रकार –

हल्का अल्जाइमर (प्रारंभिक चरण) – यह अल्जाइमर रोग का प्रारंभिक चरण है। व्यक्ति इसके प्रारंभिक चरण में ज्ञान-संबंधी सभी चीजों को याद रखने में असमर्थ हो जाता है, व्यक्ति अपनी दिनचर्या में कई सरल कार्यों को करने में कठिनाई महसूस करता है जैसे बिलों का भुगतान करना, कठिन कार्यों को करना आदि। हालांकि, व्यक्ति कार्यशील रहता है लेकिन उसे इन कार्यों को करने में अधिक समय लग जाता है।

मध्यम अल्जाइमर (मध्य चरण) – इस चरण में व्यक्ति की याददाश्त में कमी आने लगती है और उसकी निर्भरता (देखभाल की जरूरत) दूसरे व्यक्तियों पर बढ़ जाती है। इसमें सबसे ज्यादा मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुँचता है जिसमें इसके लक्षण अधिक बढ़ जाते हैं। रोग के इस दुसरे चरण में लोग अपने आप पर काबू नहीं रख पाते हैं और वे अपने नियमित कार्यों को करने में असमर्थ रहते हैं।

गंभीर अल्जाइमर (अंतिम चरण-अल्जाइमर) – अल्जाइमर के इस अंतिम चरण के दौरान, पट्टिकाओं और गांठों के फैलने के कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं। जो लोग इस स्थिति तक पहुंच जाते हैं वे आम तौर पर बिस्तर पकड़ लेते हैं और बातचीत करने में असमर्थता महसूस करने लगते हैं। इस स्थिति में रोगी के ठीक होने की संभावना बहुत कम रहती है।

अल्जाइमर रोग का कारण

अल्जाइमर रोग होने का सटीक कारण ज्ञात नहीं है, फिर भी निदान के अनुसार, यह पाया जाता है कि मस्तिष्क समय के साथ सिकुडने लगता है। सबसे पहले इसका असर हमारे मस्तिष्क पर पड़ता है जो याददाश्त को कम करने का कारण बनता है। वैज्ञानिक अन्वेषण के अनुसार, लक्षण दिखाई देने से पहले जीवनशैली में परिवर्तन होने लगता है। मस्तिष्क की कोशिकाओं के चारों ओर एमीलोइड प्लेक नामक एक प्रोटीन दिखने लगता है। मस्तिष्क कोशिकाओं के भीतर टाऊ नामक एक दूसरे प्रोटीन के इकट्ठा होने से गांठे बनने लगती हैंI हैं I अल्जाइमर रोग से ग्रस्त लोगों के मस्तिष्क में एक न्यूरोट्रांसमीटर एसिटाइलॉक्लिन का स्तर कम हो जाता है।

अल्जाइमर रोग की पहचान कैसे करें?

अल्जाइमर रोग का केवल लक्षणों से पहचान नहीं की जा सकती है। इसके लक्षण दिखते ही डॉक्टरों द्वारा उचित जाँच आवश्यक है। इस रोग की पुष्टि करने के लिए इसके लक्षणों का पता लगाएं और शीघ्र ही सुचारु रूप से इसका उपचार कराना शुरू करें।

निम्नलिखित का मूल्यांकन किया जाना चाहिए –

  • याददाश्त या संज्ञानात्मक कौशल में कमी ।
  • व्यक्तित्व और व्यवहार में परिवर्तन।
  • याददाश्त या सोच में परिवर्तन की स्थिति।
  • दैनिक जीवन में काम करने की क्षमता।
  • उभरते लक्षणों का कारण।
  • रोग की पुष्टि के लिए अतिरिक्त प्रयोगशाला परीक्षण या ब्रेन-इमेजिंग टेस्ट भी आयोजित किए जाते हैं।

 

रोग का उपचार और रोकथाम

अल्जाइमर रोग से ग्रसित लोगों के लिए न तो कोई व्युत्पन्न उपचार है और न ही इसे रोकने का कोई सिद्ध तरीका। हालांकि, डॉक्टरों का सुझाव है कि एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने से इस रोग के खतरे को कम किया जा सकता है क्योंकि नियमित शारीरिक गतिविधि और व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य का सुधार करने में मदद करता है और बढ़ते अल्जाइमर रोग को कम भी कर सकता है।

लगातार नैदानिक परीक्षण और शोध किए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा सफर तय करना बाकी है।

इन 6 उपायों को अपनाकर अल्जाइमर रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है:-

सामाजिक जुड़ाव – अध्ययनों के अनुसार हम लोगों के साथ जितना अधिक जुड़ते हैं, उतने अच्छे क्षण हम जीते हैं। सामाजिक जुड़ाव नई यादें बनाने में मदद करता है और एक व्यक्ति को बेहतर तरीके से जीवन जीने के लिए भी प्रेरित करता है। यदि आप एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाते हैं तो आपका दिमाग मजबूत रहेगा।  

गहरी नींद – नींद की कमी सोचने समझने और निर्णय लेने की क्षमता को कम कर देती है। बात को याद रखना, समस्या सुलझाना इत्यादि इसकी वजह से बहुत मुश्किल हो जाता है।  मस्तिष्क की वास्तविक क्रियाओं को मजबूत बनाने के लिए नियमित नींद लें।

नियमित रूप से व्यायाम करें – नियमित व्यायाम करने से अल्जाइमर रोग का खतरा 50% तक कम हो सकता है। 30 मिनट तक नियमित व्यायाम करना मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए अत्यंत लाभदायक साबित हो सकता है।

स्वस्थ आहार – व्यक्ति भूमध्यसागरीय शैली के आहार को अपना सकता है जिसमें पौधे के भोजन, दही, मछलियाँ, जैतून, सब्जियां, फल, फलियां, सूखे मेवे आदि शामिल हैं। यह अल्जाइमर रोग के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

तनाव को कम करें- मन की आंतरिक शांति के लिए एकांत जगह की तलाश करना वास्तव में महत्वपूर्ण है। शरीर और दिमाग के संबंध का ध्यान रखें और मानसिक शांति को प्राथमिकता दें।

मानसिक उत्तेजना – क्रासवर्ड पजल जैसे दिमाग लगाने वाले खेल मस्तिष्क को तेज करने में मदद करते हैं। सुडोकू जैसे गेम खेलें, किताबें पढ़ें और अपने मस्तिष्क को तीक्ष्ण करें। जितनी बड़ी चुनौती होगी, उतना ही ज्यादा मस्तिष्क को लाभ होगा।

आइए इस महीने डिमोंशिया के विरुद्ध जागरुकता फैलाएं और समाज में प्रचलित सभी कलंकों और गलत जानकारियों का डटकर मुकाबला करें।

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अल्जाइमर रोग को सामान्य तरीके से डिमेंशिया (मनोभ्रंश) के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, अल्जाइमर रोग मानसिक प्रक्रियाओं का एक पुराना विकार है जो याददाश्त, भटकाव और व्यक्तित्व में बदलाव के कारण होता है।
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