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छात्रों और शिक्षकों के लिए बाल दिवस पर भाषण

November 2, 2017
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छात्रों और शिक्षकों के लिए 'बाल दिवस' पर भाषण

शुभ प्रभात। मध्य नवंबर में हम सभी के द्वारा मनाया जाने वाला विशेष अवसर (बाल दिवस) को सिर्फ चंद दिन ही शेष रह गए हैं। यह विशेष अवसर 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हम सभी भारतीय, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाते हैं। वह बच्चों के प्रति अपने स्नेह और प्रगाढ़ संबंध के लिए प्रसिद्ध हैं। इस दिन स्कूलों व शैक्षिक संस्थानों और घरों व परिवारों के बच्चे चाचा नेहरू और राष्ट्र के प्रति उनकी भावना को सम्मानित करके, अपने आप को काफी गर्वान्वित महसूस करते हैं। हम इसके माध्यम से भारतीय समाज के योग्य देश के बच्चों के उत्साह और आकांक्षाओं के गौरव को हासिल करने का काम भी कर सकते हैं।

बाल दिवस का दिन बच्चों के मस्ती करने का दिन होता है और इस दिन देश के स्कूल या संस्थान हमारे बच्चों के लिए मनोरंजक कार्यक्रमों और रोमांचक प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं। हालाँकि, यह दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा पालन किए जाने वाले आदर्शों और मूल्यों का मनन किए बिना पूर्ण नहीं माना जाता है। एक बहुत ही विशेषाधिकार प्राप्त पृष्ठभूमि से आने के बाद भी नेहरूजी का दृष्टिकोण प्रभावित नहीं हुआ। नेहरू जी काफी पढ़े-लिखे थे और उनका परिवार भी काफी अमीर था, जिसके कारण उन्हे अंग्रेज काफी सम्मान देते थे। फिर भी उन्होंने महात्मा गांधी के साथ मिलकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में खुलकर सहभागिता निभाई। सविनय अवज्ञा से लेकर सत्याग्रह के लिए जेल की शर्तों व हमारी आजादी की शर्तों पर बातचीत करने के लिए, नेहरू जी ने खुद को राष्ट्र के प्रति समर्पित कर दिया था। हमारे देश के बच्चों को दुनिया के नेताओं के रूप में अपनी सही स्थिति को पुनः प्राप्त करने में सक्षम होना चाहिए, यह वह मार्ग है, जिसे हमें नेहरू जी ने दिखाया है।

पंडित नेहरू बच्चों के एक महान विश्वासपात्र और दोस्त थे। नेहरू ने न केवल देश के उज्ज्वल युवाओं के साथ अपना समय बिताया, बल्कि इस देश के माता-पिता और शिक्षकों के लिए एक बेहतर उदाहरण की स्थापना भी की। आज तकनीक और व्यस्त जीवन का युग है, जहाँ पर हम में से ज्यादातर लोगों को व्यक्तिगत संपर्क और समय की कमी की शिकायत है। नेहरू जी ने यह साबित किया था कि हमारे द्वारा बनाई गई सभी बाधाओं का निर्माण हमारे मन में ही होता है। यह वर्ष 1928 के गर्मियों के दिन थे। नेहरू जी कांग्रेस के काम में व्यस्त थे और पूर्ण स्वराज की माँग का आरंभ ही हुआ था। उस समय नेहरू की बेटी इंदिरा की उम्र 10 साल थी, जो मसूरी में पढ़ रही थी और उस समय मोबाइल फोन या वीडियो कॉल का प्रचलन नहीं था। फिर भी महान व्यक्ति पंडित नेहरू एक पत्र के जरिए, अपनी युवा बेटी के मन को उचित दिशा में अग्रसर करने में सफल हुए। हम उस पत्र को “एक पिता द्वारा अपनी पुत्री को लिखे गए पत्र” के रूप में जानते हैं। उन्होने जो बेहतरीन काम किया, उसके फलस्वरूप हमें सबसे अधिक गतिशील नेताओं में से एक के रूप में इंदिरा गांधी की प्राप्ति हुई थी।

अहमदनगर (वर्ष 1942 और वर्ष 1946 के बीच) में होने वाले अपने चार साल के कारावास में वह भारतीय इतिहास के बेहतरीन लेख डिस्कवरी ऑफ इंडिया (भारत की खोज) की रचना करने में सफल हुए। यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि हम में से बहुत सारे लोग इस महाकाव्य से अभी तक अभिज्ञ हैं। यह इस महाकाव्य का अध्यन करने का सबसे उचित समय है। ये उदाहरण माता-पिता और शिक्षकों को प्रेरित करने के लिए पर्याप्त हैं और इससे पता चलता है कि एक अभिभावक, शिक्षक व एक विचारक, युवा दिमाग को कैसे एक नई आकृति प्रदान कर सकता है और उन्हें कैसे महान बना सकता है।

बच्चों को अच्छे लगने वाले कारक, हमारे भविष्य और हमारे राष्ट्र के निर्माण में बाधा पहुँचाते हैं, उन्ही कारकों की वजह से हमारे देश के बच्चे अभी भी बुनियादी शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। मुझे आज तक सबसे ज्यादा ध्यान देने वाले खतरनाक आँकड़ों को उजागर करने का एक बेहतर दिन नहीं मिला है। जब बाल श्रम रोजगार की बात आती है, तो भारत की एशिया के महाद्वीप में गणना सबसे शीर्ष पर की जाती है। विभिन्न भारतीय उद्योगों में 33 लाख बच्चे काम कर रहे हैं, जो दुनियाभर में कार्यरत बाल श्रम का पाँचवा हिस्सा है। इनमें से कई भारतीय बच्चों को खतरनाक व्यवसायों जैसे मचिस की डिब्बियाँ बनाने और रत्न (कीमती हीरे-जवाहरात) काटने के लिए नियोजित किया जाता है। अगर अब भी हमने बाल श्रम के खिलाफ और प्रत्येक बच्चे के लिए बुनियादी शिक्षा उपलब्ध करने के लिए आवाज नहीं उठाई, तो हम उनके और अपने आप के बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बनाने के दोषी होंगे। अगर हम में से प्रत्येक व्यक्ति इस बुराई के खिलाफ आवाज उठाने का प्रयास करेगा, तो ही हमारा भारत सही मायने में स्वतंत्र देश बनने में सफल हो पाएगा।

मैं बाल दिवस का हार्दिक अभिवंदन करते हुए और बधाई देते हुए समापन के पथ पर अग्रसर हो रहा हूँ। आइए हम इस दिन को खुशीपूर्वक मनाएं और चाचा नेहरू के द्वारा बच्चों को दिए गए उपहार का मूल्यांकन करें। तो आइए बेहतर समाज की स्थापना करने की बड़ी जिम्मेदारी को याद रखते हुए, बेहतर भारत का निर्माण करने में अपना योगदान दें। जय हिन्द।

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