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भारत में वेश्यावृत्ति की वैधता

October 31, 2017
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भारत में वेश्यावृत्ति की वैधता

वेश्यावृत्ति को दुनिया का सबसे पुराना पेशा माना जाता है, कई देशों में यह बहुत लंबे समय से चला आ रहा है। भारत भी उन्हीं देशों में से एक है। अगर हम प्राचीन युगों को देखें, तो यह कह सकते हैं कि प्राचीन समय में कई राज्य ऐसे थे, जिनमें वेश्याओं को राजशाही दर्जा दिया गया था। हालांकि, वर्तमान समय में इस पेशे में शामिल लोगों की स्थिति अब इतनी अच्छी नहीं है। ज्यादातर वेश्याएं बहुत ही बुरी स्थित में अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं और जब कोई महिला एक बार इस घिनौने पेशे में फंस जाती है, तो फिर उसके लिए इस दलदल से निकलना मुश्किल हो जाता है। वास्तव में अगर देखा जाए तो भारत में, ऐसे कई स्थान हैं, जहाँ पर बेसहारा महिलाएं अपनी महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करने के लिए मजबूरी में आकर कुछ गलत रास्तों का चुनाव करती है, जिससे वे कम समय में अधिक धन कमा सकें, इसलिए उन महिलाओं के लिए वेश्यावृत्ति एक आसान रास्ता बन गया है, जिसे अपनाकर वे अपनी विभिन्न जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकती हैं।

भारत के कुछ स्थान हैं जहाँ वेश्यावृत्ति सबसे अधिक है जैसे कि गुजरात में वाडिया, उत्तर प्रदेश में नटपुरवा, मध्य प्रदेश में बंचरा जनजाति और कर्नाटक में देवदासी आदि क्षेत्र है। उत्तर प्रदेश में स्थित नटपुरवा अपनी ही नस्ल या जाति से संबंधित लोगों का निवास स्थान है। वे लोग आज भी अपनी 400 साल पुरानी परंपराओं के साथ जी रहे हैं। मूल रूप से वहाँ की जो युवा लड़कियां होती हैं, उन्हें देवदासी कहा जाता है और जिनकी शादी छोटी सी उम्र में ही वहाँ की देवी येलम्मा से करा दी जाती है और फिर उनको वेश्यावृत्ति से सम्बन्धित कार्यों को करने के लिए विवश किया जाता है। गुजरात में स्थित वाडिया एक ऐसा गांव है जहाँ महिलाओं की दलाली करने वाले पुरूष रहते हैं, जो हर वक्त ऐसी महिलाओं की खोज में रहते हैं, जिन्हें वह वेश्यावृत्ति में ढकेल सकें। बंचरा जनजाति के बारे में अगर कहा जाए, तो इस जनजाति का प्रत्येक परिवार अपने घर की सबसे बड़ी बेटी को एक वेश्या बनने के लिए मजबूर करता है।

भारत में वेश्यावृत्ति वैध है?

जहाँ तक भारतीय कानून का सवाल है, वेश्यावृत्ति को भारत में अवैध नहीं माना जाता है। इसके बावजूद भी भारतीय दंड संहिता में यह कहा गया है कि वेश्यावृत्ति से संबंधित कुछ गतिविधियाँ भारतीय कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं। जो निम्नलिखित हैं।

  • सार्वजनिक स्थानों पर यौन संबंधों के लिये आग्रह करना
  • होटलों में ऐसी गतिविधियों को पूरा करना
  • यौन प्रयोजनों के लिए गाड़ी में किसी को लुभाने के लिए फुटपाथ किनारे खड़े होना
  • वेश्यावृत्ति को बढ़ावा देने वाले दलाल
  • एक वेश्यालय का मालिक होने के नाते एक से अधिक वेश्यालय चलाना
  • दलाल द्वारा वेश्यावृत्ति के लिए महिलाओं को मजबूर करना

अब स्थिति ऐसी है कि उपर्युक्त दी गई गतिविधियां इस पेशे का एक अभिन्न अंग बन गई हैं। इसलिए भारतीय कानूनी प्रणाली का मानना है कि वेश्यावृत्ति को कानूनी रूप से, गैर कानूनी घोषित करना क्या प्रभावी रूप से अवैध है? यह वह सवाल है, जिस पर हमें गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

वेश्यावृत्ति से संबंधित कानून

सन 1956 में, अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम द्वारा यौनकर्मियों की स्थिति के बारे में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण कानून पारित किया गया था। जिसे एसआईटीए के नाम से भी जाना जाता है। यह कानून बताता है कि वेश्याओं को उनके निजी व्यापार को चलाने की पूरी अनुमति है, लेकिन वे इस व्यवसाय को सार्वजनिक रुप से या खुलेआम बिल्कुल भी नहीं चला सकती हैं। बीबीसी में एक लेख प्रकाशित किया गया था, जिसमें कहा गया है कि भारत में वेश्यावृत्ति अवैध है। हालांकि भारतीय कानून, वेश्यावृत्ति के रूप में पैसों के बदले वेश्याओं के साथ सेक्स सम्बन्ध बनाने की अनुमति नहीं देता है। कानून के अनुसार, यदि वे सार्वजनिक रूप से किसी भी यौन गतिविधियों में शामिल होती हैं, तो उनके ग्राहकों को गिरफ्तार भी किया जा सकता है। यदि एक व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत क्षमता के आधार पर पैसे देकर अगर किसी वेश्या से उसके बदले में सेक्स की अनुमति मांगता है, तो कोई भी वेश्या सार्वजनिक स्थान से लगभग 200 गज की दूरी के अंदर यह काम नहीं कर सकती है। देखा जाए, तो ये यौनकर्मी सामान्य श्रम कानूनों के दायरों में नहीं आती है। हालांकि, उनके पास वे सभी अधिकार हैं जो एक आम नागरिक के पास होते हैं, लेकिन आम लोग उनसे केवल आनंद ही लेना चाहते हैं, अगर वे इस दलदल से बचना चाहती हैं, तो उनका पुनर्वास भी करवाया जा सकता हैं।

हालांकि, एसआईटीए के रूप में उसका प्रयोग इस तरह नहीं किया जाता है। कभी-कभी आईपीसी के विभिन्न वर्गों को यौनकर्मियों के खिलाफ उनकी सार्वजनिक अश्लीलता, आपराधिक कृत्यों और आरोपों के विरुद्ध नियोजित किया जाता है। उनके ऊपर सार्वजनिक रुप से बाधाएं उत्पन्न करने के भी आरोप लगाए जा सकते हैं। अब समस्या यह है कि क्या इन अपराधों की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है क्योंकि कुछ सनकी अधिकारियों द्वारा यौनकर्मियों का शोषण करने के बाद उन्हें छोड़ दिया जाता है, वही यौनकर्मी बाद में उनके खिलाफ आरोप लगाती हैं। ‘एसआईटीए’ को हाल ही में ‘पीआईटीए’ या अनैतिक व्यापार (रोकथाम) के अधिनियम द्वारा बदल दिया गया है। इस कानून को बदलने के कई अथक प्रयास किये जा रहे हैं जिससे कि समाज में विस्तृत समूह में फैले हुए वेश्यावृत्ति और वेश्याओं के ग्राहकों पर लगे दोषों पर रोक लगाई जा सके। हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने वेश्यावृत्ति में निरन्तर हो रहे विकास का विरोध किया है। लेकिन इन दिनों, कई बीमा कंपनियां यौनकर्मियों का बीमा करने के लिए आगे आ रही हैं।

अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम – आईटीपीए

अनैतिक तस्करी (निवारण) अधिनियम सन 1986 में पारित किया गया था और यह ‘एसआईटीए’ का एक संशोधित रुप है। इस कानून के अनुसार वेश्याओं द्वारा अपनी सेवाओं के लिए दूसरों से आग्रह करने या फिर लोगों द्वारा उनको गलत रास्ते पर ले जाने के लिए गिरफ्तार किया जाएगा। एक तरह से देखा जाए तो, यौनकर्मी को अपने फोन नंबर को सार्वजनिक बनाने की अनुमति भी इस कानून में नहीं दी गई है और यदि वे ऐसा करती हैं तो उन्हें वित्तीय जुर्माने के साथ-साथ 6 महीने की जेल भी हो सकती है।

जो ग्राहक वेश्याओं के साथ संबंध रखते हैं या फिर सार्वजनिक क्षेत्र में 200 गज की दूरी के अन्दर वेश्यावृत्ति से सम्बन्धित किसी भी प्रकार की गतिविधियों में शामिल होते हैं, तो उन्हें उसका जुर्माना भरना पड़ेगा और उन्हें कम से कम 3 महीने की सजा भी हो सकती है। अगर कोई व्यक्ति 18 साल से कम उम्र की किसी लड़की के साथ ऐसी गतिविधियों में शामिल पाया जाता है, तो ऐसे मामले में उसे (महिला या पुरूष) 7 से 10 साल की सजा हो सकती है। वेश्याओं की जो दलाली करते हैं, वे उनके द्वारा अर्जित की गई आय पर ही निर्भर रहते हैं, इसलिए उनको भी इन मामलों में बराबर का दोषी माना जाएगा। उसी मामले के लिए, यदि कोई वयस्क पुरुष किसी वेश्या के साथ निरन्तर रह रहा है तो उसे भी दोषी माना जा सकता है। अगर वह खुद को निर्दोष साबित नहीं कर पाता है तो उसे 2 से 4 साल तक की सजा हो सकती है।

ऐसे लोग जो वेश्यावृत्ति के इस व्यवसाय को चलाते हैं और वेश्यालयों की रखवाली करते हैं, उन पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है, जिसके लिए वे खुद जिम्मेदार है, इसके साथ ही वेश्यावृत्ति को अवैध भी माना जाता है। इस अपराध के लिए उन्हें कम से कम 3 साल के लिए सजा भी सुनाई जा सकती है। यदि कोई महिलाओं की दलाली करने वाला दलाल जबरन किसी महिला को अपने वेश्यालय में वेश्या बनाकर रखने का प्रयास करता हैं और फिर उसे यौन शोषण के लिए बाध्य करता हैं, तो उन्हें कम से कम 7 साल के लिए जेल हो सकती है।

इस कानून ने काफी हद तक होटलों (रेस्तरां) में हो रही वेश्यावृत्ति पर भी रोक लगाई है। वो लोग यदि- जबरन या स्वेच्छा- से मानव तस्करी करके वेश्यावृत्ति में शामिल करने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें 3-7 साल की सजा हो सकती है।

ऐसी महिलाओं को बचाने की कानूनी जिम्मेदारी सरकार की है कि सरकार ऐसी पीड़ित महिलाओं का बचाव करें, उनके लिए  पुनर्वास और सुरक्षा गृहों की व्यवस्था करें।

इस कानून का मुख्य उद्देश्य, ऐसे स्थानों जैसे कि पूजास्थल, हॉस्टल, शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों आदि जिन्हें सार्वजनिक स्थानों के अन्तर्गत माना जाता है। ऐसे स्थान पर वेश्यालय न हो, यहाँ पर यौनकर्मी न रहते हो।

क्या भारत में वेश्यावृत्ति वैध होनी चाहिए?

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 30 लाख यौनकर्मी रहते हैं। भारत में जिन महिलाओं को पैसे की अत्यधिक आवश्कता है और उनके पास धन कमाने का कोई रास्ता नही है तो वे विवश होकर इस पेशे को अपना लेती हैं। हालांकि, बहुत से ऐसे लोग भी होते हैं जो इन महिलाओं को वेश्यावृत्ति के पेशे को अपनाने के लिए मजबूर करते हैं। ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ यौनकर्मी के अध्यक्ष, भारती डे का कहना है कि महिलाएं खुद के हालातों से समझौता करके, अन्त में वेश्या बन जाती हैं, मगर हमें उन वेश्याओं को दूसरों के समान अधिकार देने की आवश्यकता है। पिछले कुछ सालों में, वेश्यावृत्ति के उद्योग में भारी बढोत्तरी हुई है और नए यौनकर्मी में से अधिकांश महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों की हैं, जिनमें बहुत ही कम महिलाएं ऐसी हैं जो कम या बिल्कुल भी शिक्षित नहीं है। उनमें से कुछ महिलाएं ऐसी हैं जो कम रुपयों में ही कोई छोटा और अच्छा काम करने का रास्ता चुनती हैं, जबकि कुछ महिलाएं अधिक रुपयों के लालच में यौनकर्मी का काम चुनती हैं।

पक्ष में तर्क

वास्तव में, डे की अध्यक्षता वाला समूह, वेश्यावृत्ति में लिप्त महिलाओं को बाहर निकालना चाहता है। अप्रैल 2015 के दौरान, महिलाओं के खिलाफ अपराधिक मामलों पर एक बैठक बुलाई गई थी और जिसमें ऐसा कहा गया था कि अगर भारत यौनकर्मियों की संख्या को कम करने में सफल रहा, तो देश में महिलाओं की स्थिति काफी बेहतर हो जाएगी। 2009 में, सुप्रीम कोर्ट ने यह सुझाव दिया था कि वेश्यावृत्ति के लिए कानून बनाया जाए। महिलाओं के लिए राष्ट्रीय आयोग, एक राष्ट्रीय-सरकारी संगठन ने इस मुद्दे को नजरअदांज कर दिया। इसकी प्रमुख ललिता कुमारमंगलम ने कहा था कि अगर वेश्यावृत्ति को पूर्ण रूप से नियन्त्रित करना है, तो हमारे देश के उच्च अधिकारियों को विशेष रूप से बच्चों की तस्करी पर रोक लगाने के लिए जल्द से जल्द कोई बेहतर कदम उठाने होगें।

यह उन बुरे हालातों में सुधार करने में मदद करेगा, जिसमें ग्राहक और यौनकर्मी के शरीर में एचआईवी-एड्स के प्रसार के साथ किसी अन्य बीमारी भी एक-दूसरे में पहुँचती हैं। 8 नवंबर को उन्होंने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में विशेष पैनल के रूप में प्रस्तुत किया, जो कानून बदलना चाह रहे थे। ‘मयंक ऑस्टेन सूफी’ जीबी रोड पर स्थिति वेश्यालय के बारे में लिखते रहे हैं और उनके अनुसार, सभी यौनकर्मी से बातचीत करने पर पता चला है कि वे सभी कानूनी दर्जा प्राप्त करने की इच्छा रखती है। वे लोग डॉक्टरों के पास बार-बार जाकर थक गई है और हमेशा पुलिस द्वारा परेशान किये जाने का डर भी उन्हें लगा रहता है। वे अपने मालिकों के घर भी एक डर की संभावना के साथ रहती हैं कि पता नहीं कब उनका मालिक उनको उस घर से निकाल दें, वे सब जीवित रहने के लिए वेश्यावृत्ति करने को मजबूर हैं।

विपक्ष में तर्क 

यह निश्चित रूप से सच है, हम केवल मजबूरी में की जाने वाली वेश्यावृत्ति को तुरंत बंद कर सकते है न कि ऐसी किसी भी गतिविधियों को जो स्वेच्छा से हो रही है। ‘अपने आप’ नाम का एक गैर-तस्करी समूह का कहना है कि तस्कारों के दलालों द्वारा गांवों में युवा लड़कियों और बच्चियों के माता-पिता को कम कीमत देकर खरीदते हैं, वह उन लड़कियों को दुगनी कीमत पर बेचते है, इसलिए इन मासूम लड़कियों को मजबूरी में अपने साथ हो रहे बलात्कार को सहना पड़ता है। अक्सर, पुलिस और एनजीओ के संगठनों ने इन पर छापा भी मारा है और लड़कियों को बचाने में मदद भी की है, लेकिन इससे कोई खास फायदा नहीं हुआ क्योंकि जैसे ही लड़कियां उनके चंगुल से छूट कर आती है, उनके परिवार वाले फिर से उन्हीं दलालों के हाथ बेच देते है। ‘अपने आप’ के अनुसार, भारत में लगभग 30% से अधिक यौनकर्मी 18 साल की आयु से कम की हैं।

स्पष्ट रूप से यह समूह वेश्यावृत्ति को कानूनी दर्जा देने के खिलाफ है। इनका कहना है कि सेक्स के लिए अधिक मांग के साथ, केवल तस्करी की मात्रा में वृद्धि होगी। इनकी ऐसी मांगों को कम करने के लिए “कूल मैन डू नॉट बाय सेक्स” नामक अभियान भी चलाया जा रहा था। इस अभियान को देखते हुए, वास्तव में इस कार्यक्रम को सफलता नहीं मिली, क्योंकि वह अब तक वेश्यावृत्ति के कम होने या वैध होने की संभावना की उम्मीद कर रहे थे।बीजेपी (भाजपा) एक रूढ़िवादी पार्टी के रूप में जानी जाती है और यह अप्रत्याशित है कि यह पार्टी यौन व्यापार के अनुमोदन के लिए अपना टिकट प्रदान करेगी, जिससे कि वेश्यावृत्ति में शामिल महिलाओं को राहत मिल सकें।

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